बिहार विधानसभा चुनाव के पहले एनडीए में सीट बँटवारे को लेकर दबाव की राजनीति चरम पर है। एलजेपी नेता चिराग पासवान ने दो दिन पहले बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाक़ात कर बड़ा दाँव खेला है। चिराग ने बीजेपी के सामने यह प्रस्ताव रखा था कि उनकी पार्टी बिहार में बड़े भाई की भूमिका अदा करते हुए ज़्यादा सीटों पर चुनाव लड़े। जेपी नड्डा से बातचीत के बाद चिराग पासवान ने एलजेपी के वरिष्ठ अधिकारियों को बुलाकर 143 सीटों पर चुनाव की तैयारी करने को कह दिया था। लेकिन क्या बीजेपी और जेडीयू बड़े भाई की भूमिका देने को तैयार होंगे और क्या ख़ुद एलजेपी को ही अपने इस दावे पर भरोसा है।
लोक जन शक्ति पार्टी यानी एलजेपी के प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पहले ही आश्वस्त किया है कि पार्टी ने जितनी सीटों पर 2015 में चुनाव लड़ा था उतनी सीटें तो मिलेंगी ही। उन्होंने कहा कि बीते लोकसभा चुनाव में एलजेपी और बीजेपी का स्ट्राइक रेट सौ फ़ीसदी रहा है। इसके अनुसार ही सीटें मिलनी चाहिए। ग़ौरतलब है कि पिछले चुनाव मे जदयू एनडीए मे नहीं था और एलजेपी को 40 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौक़ा मिला था। माना जा रहा है कि पार्टी इस बार भी 40 सीटें चाहती है।
आसान नहीं सीटों का बँटवारा
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा सीट बँटवारे की गुत्थी सुलझा ही रहे थे कि एलजेपी और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा यानी हम ने सीटों के बँटवारे पर नया पेच फँसा दिया है। अधिक सीटें हासिल करने के लिए एलजेपी संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष चिराग पासवान ने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि राज्य में उनका गठबंधन बीजेपी से है न कि जदयू से। दूसरी ओर एलजेपी की काट के लिए नीतीश ने जीतन राम माँझी के हम को गठबंधन में शामिल किया है। हम के मुखिया और राज्य के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने चिराग की तर्ज पर कहा है कि उनकी पार्टी का गठबंधन जदयू से है न कि बीजेपी से।
ग़ौरतलब है कि चिराग पासवान लगातार जदयू और नीतीश कुमार पर हमलावर हैं। चिराग पासवान बिहार विधानसभा में ज़्यादा सीटों के लिए बीजेपी और जदयू पर लगातार दबाव बना रहे हैं। असल में चिराग पासवान शुरू से ही दबाव की राजनीति कर रहे हैं। अब उनकी पार्टी के नेता सूरजभान सिंह ने बुधवार को इस पर मोर्चा सम्भाल लिया है।
एलजेपी नेता सूरजभान सिंह ने कहा कि कोई भी दल उनकी गर्दन दबाने की कोशिश ना करे, अगर ऐसा हुआ तो एलजेपी की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया होगी।
एलजेपी ने पेश किया नया फ़ॉर्मूला
हालाँकि गुरुवार को एलजेपी नेता सूरजभान सिंह के तेवर ढीले हुए और उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी एनडीए में विधानसभा की कम से कम 36 सीटें चाहती है और अगर लोक जनशक्ति पार्टी का गला दबाया गया तो वह पलटवार भी कर सकते हैं। सूरजभान सिंह ने कहा है कि एलजेपी ने विधानसभा के लिए 20 सीटों का चयन कर रखा है और इसके अलावा 16 अन्य सीटों पर भी उसकी दावेदारी है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी 36 से कम सीटों पर चुनाव लड़ने को राज़ी नहीं होगी। इसको लेकर उन्होंने एक फ़ॉर्मूला भी बताया है। उनके फ़ॉर्मूला के तहत 123 सीटों पर बीजेपी और जदयू के सिटिंग विधायक हैं। बाक़ी बची 120 सीटों में से 20 सीटें एलजेपी अपनी पसंद की लेगी और उसके बाद बची 100 सीटों में से एनडीए 16 सीट एलजेपी को दे सकती है।
नीतीश के गठबंधन में रार पर देखिए शैलेश की रिपोर्ट।
एलजेपी को नीतीश पर नहीं है भरोसा
चिराग पासवान इसके पहले भी कह चुके हैं कि बिहार में नेतृत्व किसका होगा इसका फ़ैसला बीजेपी करे। चिराग ने अपनी तरफ़ से बीजेपी पर पूरा भरोसा जताया है। चिराग पासवान ने कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखकर बिहार के राजनीतिक स्थिति के बारे में जानकारी दी थी। अब एक बार फिर चिराग पासवान ने बीजेपी को बड़े भाई की भूमिका निभाने को कहा है। एलजेपी को उम्मीद है कि अगर बीजेपी को अधिक सीटें मिलती हैं तो एलजेपी को इसका फ़ायदा होगा। यहाँ यह बताना ज़रूरी है कि जदयू की योजना थी कि बीजेपी और जदयू बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी करें और बीजेपी अपने कोटे से एलजेपी को और जदयू अपने कोटे से हम पार्टी को सीट दें।
जदयू चाहती है कि उसे ज़्यादा सीटें हासिल मिले और सीट बँटवारे का आधार 2015 का विधानसभा चुनाव बनाया जाए। बीजेपी बीते लोकसभा चुनाव को सीट बँटवारे का आधार बनाना चाहती है। बीजेपी ख़ुद और जदयू को सौ-सौ सीटें, एलजेपी को 30 तो अन्य दलों को 13 सीटें देना चाहती है।
बीजेपी-जेडीयू बोले- समय आने पर होगा फ़ैसला
इस बाबत बीजेपी के प्रवक्ता संजय टाइगर ने कहा है कि सभी दल अधिक से अधिक सीटों पर लड़ना चाहते हैं। एनडीए में सीट मिलना जीत की गारंटी है। किस पार्टी को कितनी सीटें मिलेंगी और कौन कहाँ से लड़ेगा, ये फ़िलहाल कोई मुद्दा नहीं है। समय आने पर सब तय कर लिया जाएगा। जेडीयू की तरफ़ से मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि एलजेपी को अपनी बात रखने का अधिकार है। सभी मामले हल हो जाएँगे। एनडीए में कोई विवाद नहीं है।
एलजेपी के तेवर ढीले
एलजेपी भी जानती है कि उसको अपने गठबंधन से कितनी सीटें मिल सकती हैं। एलजेपी ने अपने अंदर एक फ़ॉर्मूला सेट कर रखा है कि 2019 लोकसभा चुनाव में जिस तरह से सीटों का बँटवारा हुआ था उसी फ़ॉर्मूले के मुताबिक़ एलजेपी आने वाले समय में एनडीए के सामने 36 सीटों का प्रस्ताव रखेगी। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या बीजेपी जदयू को इसके लिए मना पाती है कि नहीं।
चिराग क्यों चाहते हैं ज़्यादा सीटें
चिराग पासवान को जबसे उनके पिता रामविलास पासवान ने पार्टी की कमान सौंपी है, चिराग अपने पिता की तरह पार्टी पर पकड़ मज़बूत करना चाहते हैं और एक बड़े नेता के तौर पर अपनी पहचान भी बनाना चाहते हैं। अगर चिराग अपने दबाव की राजनीति में सफल हो जाते हैं तो उनकी सीएम बनने की चाहत को भी पंख लग जाएँगे। कहा तो यह भी जा रहा है कि बीजेपी की सह पर चिराग नीतीश पर हमलावर हैं। चर्चा है भी है कि बीजेपी बिहार में नीतीश का विकल्प ढूंढ रही है। बहरहाल, देखना यह भी दिलचस्प होगा कि चिराग के कंधे पर बंदूक रख कर बीजेपी कैसे निशाना लगाती है।