देश भर में सरकारों पर कोरोना से मौत के मामलों को छुपाने के आरोप क्यों लग रहे हैं? यह बिहार में कोरोना से मौत की ताज़ा संख्या से साफ़ हो जाएगा। राज्य में कोरोना से पहले जहाँ क़रीब 5500 लोगों की मौत हुई थी वह बुधवार को एकाएक 9429 हो गई है। यानी क़रीब 72 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है। दरअसल, यह हुआ है कि मौतें पहले हुई थीं, लेकिन इनकी गिनती अब हुई है। इसीलिए पूरे देश में एक दिन में मृतकों की संख्या बढ़कर 6148 हो गई है जो एक दिन में सबसे ज़्यादा है। यह दुनिया के किसी भी देश में एक दिन में सबसे ज़्यादा मौत की संख्या है।
सवाल है कि राज्य में मौतों की इतनी संख्या यानी क़रीब 4000 क्या छुपाई गई थी? इस सवाल को तो सरकार जाहिर तौर पर खारिज ही करेगी। लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार ने ये आँकड़े तब सुधारे हैं जब पटना हाई कोर्ट ने इसके लिए निर्देश दिया था।
पहले से आशंका जताई जा रही थी कि राज्य कोरोना महामारी से संबंधित आँकड़ों में हेरफेर कर रहे हैं। बिहार में भी मृतकों के आंकड़ों में घालमेल करने का आरोप लगता रहा है। इन्हीं आरोपों के बीच पटना उच्च न्यायालय ने अप्रैल-मई में कोरोना की दूसरी लहर में मृतकों की संख्या का ऑडिट करने के लिए कहा था।
बिहार की नीतीश सरकार ने अब तक कोरोना से 5 हजार 458 मौत होने की जानकारी दी थी। 24 घंटे में ये आंकड़ा 9 हजार 429 पर पहुंच गया। तीन सप्ताह के ऑडिट के बाद नए आंकड़े बताते हैं कि मार्च 2020 और मार्च 2021 के बीच बिहार में कोविड से 1,600 लोगों की मौत हुई। इस साल अप्रैल से 7 जून तक मौतों की संख्या 7,775 थी, जो लगभग छह गुना अधिक थी। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि सभी ज़िलों से सत्यापन के बाद मौत की संख्या क़रीब 72 प्रतिशत बढ़ गई है। हालाँकि विभाग ने 38 ज़िलों का ज़िलेवार विवरण दिया है लेकिन यह साफ़ नहीं किया कि ये अतिरिक्त मौतें कब हुईं।
नए आँकड़ों के मुताबिक़ सबसे ज़्यादा मौतें राज्य की राजधानी पटना में 2,303 हुईं। हालाँकि यह संख्या भी काफ़ी कम है। सरकारी श्मशानों में ही कोरोना प्रोटोकॉल के तहत 3243 लोगों का अंतिम संस्कार किया गया है।
स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा है कि पहले कोरोना से होने वाली मौत का सही आँकड़ा सामने नहीं आया था। उन्होंने कहा कि जिन्होंने गडबड़ी की और सही संख्या की जानकारी नहीं दी, उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि 18 मई को ही राज्य सरकार ने कोरोना से होने वाली मौत को लेकर जांच कराने का आदेश जारी किया था।
बिहार के अलावा दूसरे राज्यों में भी मौत के आँकड़ों में समय-समय पर सुधार किए जाते रहे हैं। महाराष्ट्र में 17 मई को जब 1019 लोगों की मौत का आँकड़ा आया था तो इसमें से 289 तो 15 से 17 मई के बीच के मौत के आँकड़े थे जबकि 227 उससे पहले के हफ़्ते के दिनों के थे। 484 मौत के आँकड़े उससे पहले के हफ़्ते के थे जिन्हें अब तक कोरोना से मौत के आँकड़ों में जोड़ा नहीं जा सका था। कर्नाटक में भी ऐसे मामले आए थे।
भारत में कोरोना के पॉजिटिव केस और इससे मरने वालों की संख्या कम दर्ज होने के जो आरोप लगाए जा रहे हैं, उस पर 'न्यूयॉर्क टाइम्स' ने मई महीने में एक रिपोर्ट छापी थी। इसने कई सर्वे और संक्रमण के दर्ज किए गए आँकड़ों के आकलन के आधार पर लिखा था कि भारत में आधिकारिक तौर पर जो क़रीब 3 लाख मौतें (अब साढ़े तीन लाख से भी ज़्यादा) बताई जा रही हैं वह दरअसल 6 लाख से लेकर 42 लाख के बीच होंगी।
मौत के आँकड़ों को सुधारने की ऐसी पहली ख़बर चीन से आई थी। पिछले साल ही जब चीन में कुल मौत के आँकड़े 3300 के आसपास थे और तब एकाएक क़रीब 1300 लोगों की मौत के मामले बढ़ा दिए गए थे और वह आँकड़ा बढ़कर 4600 से ज़्यादा हो गया था। यह पिछले साल अप्रैल का महीना था और तब चीन में कभी-कभार कुछ मामले आ जाते थे। यह संख्या दहाई में भी मुश्किल से ही होती थी। तो सीधा सवाल उठा था कि जब संक्रमण के मामले न के बराबर आ रहे थे तो 1300 लोगों की मौत का आँकड़ा कैसे बढ़ गया? दरअसल, चीन ने अपनी मृतकों की संख्या में संशोधन किया था। उसने कहा था कि कई मामलों में मौत का कारण जानने में ग़लती हुई या कई मामलों का पता ही नहीं चल पाया था। इसी संशोधन के कारण मौत का आँकड़ा बढ़ गया था।