लिंचिंग को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखने पर 49 हस्तियों के ख़िलाफ़ दर्ज राजद्रोह के केस को बिहार पुलिस ने बंद करने का फ़ैसला किया है। इसके साथ ही शिकायत करने वाले वकील सुधीर ओझा के ख़िलाफ़ बेतुकी शिकायतें देने के लिए एफ़आईआर दर्ज की जाएगी।
सुधीर ओझा की शिकायत पर ही न्यायिक मजिस्ट्रेट ने इतिहासकार रामचंद्र गुहा, फ़िल्म निर्माता अपर्णा सेन, श्याम बेनेगल सहित कई हस्तियों के ख़िलाफ़ राजद्रोह का मुक़दमा दर्ज करने का आदेश दिया था। पिछले हफ़्ते ही एफ़आईआर दर्ज होने के बाद इस पर काफ़ी हंगामा हुआ था। विपक्षी दलों ने इसके लिए सरकार पर भी निशाना साधा था। हालाँकि सरकार की ओर से कहा गया था कि यह मामला मजिस्ट्रेट के आदेश पर दर्ज किया गया है तो इसमें सरकार का हाथ कैसे हो सकता है।
पुलिस के प्रवक्ता जितेंद्र कुमार ने 'एनडीटीवी' से कहा कि ज़िला पुलिस प्रमुख ने मामले को 'दुर्भावनापूर्ण रूप से झूठा' करार दिया है। उन्होंने कहा कि मुक़दमा 'सिर्फ़ प्रचार' पाने के लिए दायर किया गया था।
रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारी ने कहा कि एसएसपी ने मामले को बंद करने और शिकायतकर्ता के ख़िलाफ़ 'झूठा मामला' दर्ज करने के लिए कार्रवाई की सिफ़ारिश की है। आगे उन्होंने कहा कि मामले के जाँच अधिकारी एक या दो दिन में स्थानीय अदालत में अंतिम रिपोर्ट दाखिल करेंगे।
बता दें कि इन हस्तियों ने अलग-अलग जगहों पर लोगों को पीट-पीट कर मार डालने की वारदात पर चिंता जताते हुए इसी साल 23 जुलाई को एक खुला ख़त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा था। हाल में लिंचिंग के कई मामले आए हैं। सिर्फ़ झारखंड में पिछले 6 साल में इस तरह की 53 घटनाएँ हुई हैं, पर किसी मामले में किसी को कोई सज़ा नहीं हुई है।
इस चिट्ठी में इस ओर ध्यान दिलाया गया था कि संविधान में धर्मनिरपेक्षता और सभी जातियों, धर्मों, नस्लों के लोगों के साथ बराबरी की गारंटी दी गई है। इस चिट्ठी में यह उम्मीद जताई गई थी कि चिंता को सही परिप्रेक्ष्य में समझा जाएगा और भारत के लोगों की चिंता और परेशानी को समझा जाएगा।