कांग्रेस नेता राहुल गाँधी के नेतृत्व में सात सितंबर को कन्याकुमारी से शुरू होकर कश्मीर तक चल रही भारत जोड़ो यात्रा भीषण शीत लहरी के बावजूद अपने पूरे जोश-उत्साह और उमंग के साथ आगे बढ़ते हुये अपनी मंज़िल की ओर अग्रसर है। देश के 12 राज्यों से गुज़रते हुये लगभग 150 दिन में 3750 किलोमीटर का सफ़र तय करने वाली इस यात्रा को प्रत्येक राज्यों से, चाहे वे भाजपा शासित राज्य हों, कांग्रेस शासित या ग़ैर कांग्रेस शासित राज्य, हर जगह अकल्पनीय समर्थन हासिल हो रहा है।
देश के अनेक विपक्षी दल के नेताओं, पूर्व नौकरशाहों, सामाजिक कार्यकर्ताओं से लेकर फ़िल्म व खेल जगत आदि के अनेक दिग्गज राहुल गांधी के साथ यात्रा में शामिल हो रहे हैं। आश्चर्य की बात है कि इतनी कड़ाके की ठंड में इस यात्रा में शिरकत करने व राहुल गाँधी की एक झलक देखने के लिये क्या शहर क्या क़स्बा तो क्या गांव हर जगह भारी भीड़ उमड़ती दिखाई दे रही है।
भारत जोड़ो यात्रा को मिल रहे इस राष्ट्रव्यापी समर्थन से जहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का नया संचार हो रहा है वहीं सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी जिसने गत दस वर्षों से राहुल गाँधी की छवि को बिगाड़ने के लिये अपनी पूरी ताक़त झोंक दी थी, इस यात्रा से बुरी तरह से बौखला उठी है। भाजपा नेता भारत जोड़ो यात्रा को 'भारत तोड़ो यात्रा' का नाम दे चुके हैं। इस कठिनतम यात्रा को नकारात्मक नज़रों से देखने वालों की नज़रें राहुल गाँधी की टी शर्ट से लेकर उनकी दाढ़ी व कंटेनर्स पर ही नहीं बल्कि इस यात्रा में शामिल होने वाले लोगों पर भी लगी हुई हैं । और भाजपा समय समय पर चयनात्मक रूप से उनकी यात्रा में शिरकत को लेकर सवाल भी उठाती रही है।
उदाहरण के तौर पर भारत जोड़ो यात्रा में जिस समय सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर शामिल हुई थीं उसी समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात की एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि "जो लोग 'गुजरात के लोगों को प्यासा रखना' चाहते थे, वो भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हैं। इसी प्रकार भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने तेलंगाना में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुये यहां तक कहा था कि - "यह एक प्रायश्चित यात्रा है क्योंकि राहुल गांधी के पूर्वजों ने भारत को तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी है." उन्होंने राहुल गांधी को गुजराती विरोधी बताया था।
अब गत 3 जनवरी को जब कि भारत जोड़ो यात्रा दिल्ली में नौ दिनों तक रुकने के बाद उत्तर प्रदेश के लिए रवाना हुई उस समय भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी 'रिसर्च एंड एनालिसिस विंग ' (रॉ ) के पूर्व प्रमुख अमरजीत सिंह दुलत भी राहुल के साथ यात्रा में राहुल के क़दम से क़दम मिलाते नज़र आए। भाजपा पूर्व रॉ प्रमुख दुलत की यात्रा में शिरकत को लेकर भी हमलावर हुई ।
भाजपा आई टी सेल प्रमुख ने दुलत पर निशाना साधते हुये कहा कि- “पूर्व स्पाईमास्टर दुलत अपने काम के प्रति कभी प्रतिबद्ध नहीं थे। वे अलगाववादियों और पाकिस्तान से प्रभावित थे।” उन्होंने कहा कि रॉ के पूर्व सचिव दुलत की कश्मीर संकट में यादगार भूमिका है। भाजपा आई टी सेल प्रमुख ने यह भी कहा, “अलगाववादियों और पाकिस्तान के समर्थन और कश्मीर बवाल में उनकी अहम भूमिका है।”
ग़ौर तलब है कि यही अमरजीत सिंह दुलत अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में प्रधान मंत्री के कश्मीर मामलों के सलाहकार भी थे। उन्होंने रॉ से अवकाश प्राप्ति के बाद तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जम्मू-कश्मीर मामलों के सलाहकार के रूप में कार्य किया था। उस समय तो वाजपेई जी को पूर्व स्पाईमास्टर दुलत में योग्यता व कुशलता नज़र आई जबकि आज की भाजपा उन्हीं के बारे में 'अलगाववादियों और पाकिस्तान को समर्थन और कश्मीर बवाल में उनकी अहम भूमिका' जैसी ग़ैर ज़िम्मेदाराना बातें कर रही है? क्या यह इसलिये है कि कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ समझे जाने वाले यही वह दुलत भी थे जिन्होंने गत वर्ष अप्रैल में बॉलीवुड की फ़िल्म 'द कश्मीर फ़ाइल्स' को कोरा दुष्प्रचार बताया था जबकि भाजपा इस फ़िल्म को बढ़ावा दे रही थी तथा इसे प्रचारित कर रही थी ?
अब तक भारत यात्रा में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों व पूर्व मुख्यमंत्रियों सहित कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी व प्रियंका गाँधी, आदित्य ठाकरे, महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी, आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन, सहित फ़िल्मी दुनिया के प्रसिद्ध सितारे कमल हासन, स्वरा भास्कर, पूजा भट्ट, रिया सेन,पटवर्धन, रिया सेन, अमोल पालेकर स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा व सुशांत सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय, रोहित वेमुला की मां और खेल जगत की अनेक मशहूर हस्तियां यात्रा में शामिल हो चुकी हैं।
योगेंद्र यादव जैसे सामाजिक कार्यकर्त्ता तो कन्याकुमारी से कश्मीर तक की पूरी यात्रा में साथ चल रहे हैं। इन समस्त भारत यात्रियों को यही उम्मीद है कि शायद ये यात्रा उस बिसरे हुए भारत की याद ताज़ा कर सके जो उदारवादी, धर्मनिरपेक्ष, समावेशी और प्रगतिवादी मूल्यों के साथ साथ अनेकता में एकता के लिए विश्व प्रसिद्ध था।
सवाल यह है कि क्या महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी , आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन, व रॉ के पूर्व प्रमुख अमरजीत सिंह दुलत जैसे अनेक लोग जो देश व संविधान की रक्षा के लिये देश को संवैधानिक व सामाजिक रूप से एकजुट करने के मक़सद से भारत जोड़ो यात्रा को अपना समर्थन दे रहे हैं, वे भाजपा के मतानुसार ' भारत तोड़ो यात्रा ' के शरीक हैं ? और जो गाँधी के हत्यारे का महिमांडन करते हों, जो संविधान विरोधी ज़हर उगलते रहते हों, जो हेमंत करकरे जैसे शहीद को अपने 'श्राप ' का शिकार बताते हों वे सब न केवल राष्ट्रवादी बल्कि 'सांस्कृतिक राष्ट्रवादी ' हैं ?
जो लोग समाज के सभी वर्गों को जोड़ने की बात करें वे 'भारत तोड़क ' और जो वर्ग विशेष के विरुद्ध दूसरे वर्ग के लोगों को चाक़ू तेज़ करने के लिये उकसाये वह 'राष्ट्र जोड़क '? जिनके शासनकाल में सैकड़ों सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम स्थापित किये गये हों वे भारत विरोधी और जो लोग इन्हीं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को किसी व्यक्ति विशेष के हाथों बेच रहे हों वे राष्ट्रवादी?
कहना ग़लत नहीं होगा कि भारत जोड़ो यात्रा इस समय भारी जनसमर्थन और पूर्वाग्रही राजनीति के विरोध की पराकाष्ठा से जूझती हुयी देश में सामाजिक एकता का एक नया इतिहास लिख रही है।