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इंदौर के कोरोना रोगियों पर बाबा रामदेव आख़िर क्या प्रयोग करना चाहते थे?

इंदौर के कोरोना रोगियों पर बाबा रामदेव आख़िर क्या प्रयोग करना चाहते थे?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बड़े प्रशंसक और स्वदेशी के बड़े पैरोकार बाबा रामदेव और उनकी कंपनी ‘पतंजलि’ इंदौर में कोरोना पाॅजिटिव रोगियों पर आख़िर कौन-सा प्रयोग करना चाहती थी?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बड़े प्रशंसक और स्वदेशी के बड़े पैरोकार बाबा रामदेव और उनकी कंपनी ‘पतंजलि’ इंदौर में कोरोना पाॅजिटिव रोगियों पर आख़िर कौन-सा प्रयोग करना चाहती थी यह सवाल गहरा हो गया है। असल में इंदौर कलेक्टर ने ‘पतंजलि’ के काढ़े को कोरोना पाॅजिटिव रोगियों को बाँटने की अनुमति देकर वापस ले ली है। इसके बाद बाबा रामदेव, उनकी कंपनी पतंजलि, स्थानीय प्रशासन और शिवराज सरकार लोगों के निशाने पर आ गये हैं।

मध्य प्रदेश की व्यावसायिक नगरी इंदौर कोरोना का सबसे बड़ा हाॅट स्पाॅट बनी हुई है। इंदौर में कोरोना संक्रमितों का आँकड़ा तीन हज़ार पार कर चुका है। रविवार शाम तक इंदौर में 114 मौतें दर्ज हो चुकी हैं। कोरोना के कुल मामलों में राज्य में इंदौर नंबर वन बना हुआ है। प्रशासन और सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी इंदौर में कोरोना काबू में आने का नाम नहीं ले रहा है। हर दिन संक्रमित मिल रहे हैं। अब तो इंदौर के आसपास के कई ज़िलों में भी बड़ी संख्या में तेज़ी से कोरोना के रोगी मिल रहे हैं। सूबे के कुल 52 में से 50 ज़िले कोरोना संक्रमण की चपेट में हैं।

दरअसल, बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि ने एक काढ़ा तैयार किया है। अश्वगंधा और गिलोय समेत कुछ जड़ी-बुटियों से यह बना है। कंपनी का दावा है कि कोरोना पाॅजिटिव रोगियों के लिए काढ़ा ‘रामबाण’ है। कंपनी यह दावा भी कर रही है कि कोविड-19 के रोगी इसके पीने से तेज़ी से ठीक होते हैं।

बताते हैं कि पतंजलि प्रबंधन में रामदेव के बाद ‘नंबर टू’ आचार्य बालकृष्ण ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से पिछले सप्ताह बातचीत की थी। बातचीत में पतंजलि का ‘नया प्रोडक्ट’ यह काढ़ा ‘विषय’ था अथवा नहीं, यह तो पता नहीं चल पाया है लेकिन बाद में कंपनी की इंदौर के कलेक्टर मनीष सिंह और इंदौर विकास प्राधिकरण के सीईओ विवेक श्रोत्रिय से बातचीत होने संबंधी ख़बरें आयीं।

पतंजलि कंपनी का विधिवत एक प्रस्ताव इंदौर पहुँचा। प्रस्ताव में कंपनी ने अपने काढ़े का प्रयोग कोरोना पाॅजिटिव रोगियों पर करने की अनुमति चाही। बताते हैं कि कंपनी का ख़त भोपाल में बैठने वाले संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव को भेज दिया गया था। इस बीच कंपनी ने काढ़ा बाँटना आरंभ कर दिया। दावा किया गया है कि प्रशासन की अनुमति पर काढ़ा कोरोना के रोगियों और संदिग्धों को दिया गया।

काढ़ा बाँटे जाने को लेकर कई जागरूक संगठनों ने आपत्तियाँ दर्ज कराईं। आपत्ति करने वाले संगठनों का कहना था कि यह तो ‘ड्रग ट्राॅयल’ है। ज़िला प्रशासन और सरकार को इस तरह के ‘ट्रायल’ की अनुमति देने का अधिकार ही नहीं है।

विरोध होने और सवाल उठने पर कलेक्टर सिंह ने ‘यू टर्न’ ले लिया। उन्होंने कहा, ‘मेडिकल काॅलेज से प्राप्त प्रस्ताव में आयुर्वेदिक दवा मरीज़ों को काढ़े की तरह देने की बात कही गई थी। अनुमति दवा बाँटने के लिए दी थी, ट्रायल की नहीं।’

कलेक्टर ने यह भी कहा, ‘ट्रायल, आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाइयों के नहीं होते हैं। सामने आये तथ्यों के आधार पर आवेदन पर दी गई अनुमति को निरस्त कर दिया गया है।’

उधर, मेडिकल काॅलेज की डीन डाॅक्टर ज्योति बिंदल की इस पूरे मामले में प्रतिक्रिया अलग रही। डाॅक्टर बिंदल के अनुसार पतंजलि द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव में आयुर्वेदिक काढ़े को कोरोना संक्रमित मरीज़ों को देने के परिणाम को टेस्ट करने की बात लिखी गई थी, इसी वजह से उन्होंने आवेदन प्रमुख सचिव को भेज दिया था। चूँकि डीन और कलेक्टर के बयान विरोधाभासी हैं लिहाज़ा- सवाल ज़्यादा उठ रहे हैं।

आईसीएमआर ही दे सकती है अनुमति

कोरोना से निपटने के लिए दुनिया भर में दवा की खोज चल रही है। डब्ल्यूएचओ दुनिया के हर देश पर निगाह रखे हुए है। भारत में इंडियन काॅउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ड्रग ट्रायल की अनुमति देने के लिए अधिकृत है। किसी भी राज्य को किसी भी तरह की दवा का ट्रॉयल प्रभावितों पर यदि करना है तो पूरे प्रोटोकाॅल और आईसीएमआर की अनुमति बेहद आवश्यक है।

ग्वालियर दक्षिण क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक प्रवीण पाठक ने पूरा मामला सामने आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को एक पत्र लिखा था। पतंजलि के कथित ड्रग ट्राॅयल पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कटाक्ष किया था, ‘मुख्यमंत्री के निर्देश पर यदि कलेक्टर ने अनुमति दी, तो फिर इसे निरस्त करने का कारण समझ में नहीं आया। क्या पतंजलि रोगियों को काढ़ा पिलाने से इतर भी कोई ऐसा प्रयोग करना चाह रही थी जिसकी जानकारी उसने मध्य प्रदेश को भेजे अपने प्रस्ताव में नहीं दी थी’

पाठक की चिट्ठी और अन्य उठ रहे सवालों पर सरकार की ओर से अभी तक कोई सफ़ाई सामने नहीं आयी है।

बाबा रामदेव, कंपनी पर आपराधिक केस हो: कांग्रेस

मामले के तूल पकड़ने के बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस ने बाबा रामदेव और पतंजलि कंपनी के ख़िलाफ़ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की माँग की है। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता भूपेन्द्र गुप्ता ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘बीजेपी और शिवराज सरकार के पिछले पन्द्रह सालों के कार्यकाल में मध्य प्रदेश गिनी पिग बना रहा। बिना अनुमतियों के भी ड्रग ट्रायल होते रहे। ट्रायल माफिया फलता-फूलता रहा। चौथी बार शिवराज के सत्ता में आते ही ड्रग ट्रायल का पुराना गोरखधंधा एक बार फिर प्रदेश में ज़ोर पकड़ने लगा है।’

गुप्ता ने कहा, ‘कोरोना महामारी जैसे दौर में चांदी काटने वालों की सक्रियता और ऐसे तत्वों को प्रश्रय दिया जाना, बेहद शर्मनाक और निंदनीय कृत्य है। इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जाँच होनी चाहिये और सरकारी अमले में बैठे जो भी लोग दोषी पाये जाते हैं, उनके ख़िलाफ़ बेहद सख़्त कार्रवाई हो।’

शिवराज सरकार बाँट रही है काढ़ा

शिवराज सरकार ने कोरोना से बचने के लिए राज्य भर में आयुर्वेदिक काढ़ा और एक तेल मुफ़्त में बाँटा है। बाबा रामदेव की कंपनी के प्रस्ताव के पहले से आयुर्वेदिक काढ़ा सूबे में बाँटा जा रहा है। एक करोड़ से ज़्यादा पैकेट बाँटे भी जा चुके हैं। लोगों को भले ही यह मुफ़्त में दिया जा रहा है लेकिन वितरण के लिए सरकार ने तो इसे खरीदा है। मुख्यमंत्री अपनी वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग और अन्य चर्चाओं के दौरान कई बार आयुर्वेदिक काढ़े की सार्वजनिक रूप से तारीफ़ कर चुके हैं। इसके पीने के फ़ायदे भी उन्होंने कई बार गिनाये हैं।

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