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हाथ चूमकर कोरोना का 'इलाज' करने वाले बाबा की मौत, 23 को दे गया संक्रमण

हाथ चूमकर कोरोना का 'इलाज' करने वाले बाबा की मौत, 23 को दे गया संक्रमण

हर मर्ज का हाथ चूमकर इलाज करने वाला एक स्वयंभू बाबा, कोरोना का भी ‘उपचार’ करता रहा। बाबा की ख़ुद की जान चली गई और मृत्यु के पहले वह दो दर्जन लोगों को कोरोना दे गया।

भारत की बहुत बड़ी आबादी अशिक्षित है। ख़ासकर ग्रामीण इलाक़ों में नीम-हकीम, बाबा और ओझाओं से रोगों का ‘इलाज’ आम है। नीम-हकीम, बाबा और ओझा के भरोसे रहना कितना घातक और जानलेवा साबित हो सकता है, इसका ज्वलंत उदाहरण मध्य प्रदेश के रतलाम से सामने आया है। हर मर्ज का हाथ चूमकर 'इलाज' करने वाला एक स्वयंभू बाबा, कोरोना का भी ‘उपचार’ करता रहा। बाबा की ख़ुद की जान चली गई और मृत्यु के पहले वह दो दर्जन लोगों को कोरोना वायरस का संक्रमण दे गया।

जानकारी के अनुसार रतलाम के नयापुरा क्षेत्र में असलम बाबा नामक शख्स लंबे वक़्त से झाड़-फूँक और अन्य तरीक़ों से तमाम रोगों का इलाज कर रहा था। असलम हरेक रोग का उपचार हाथ चूमकर करने के लिए मशहूर रहा।

कोरोना फैला तो इसके उपचार का भी असलम ने दावा किया। नियमित इलाज कराने वाले लोगों के अलावा सर्दी-जुकाम और बुखार पीड़ित भी उपचार के लिए उसके पास आते रहे। वह हाथ चूमकर, झाड़-फूँक, गंडा-ताबीज़ और भभूत आदि की पुड़ियाएँ लोगों को देता रहा।

पिछले महीने असलम बीमार पड़ा। अस्पताल में भर्ती किया गया। जाँच हुई तो वह कोरोना पाॅजिटिव पाया गया। चार जून को उपचार के दरमियान उसकी मौत हो गई। असलम की मौत के बाद स्वास्थ्य महकमा और प्रशासन सक्रिय हुए। असलम की ‘शरण’ में आये ‘भक्तजन और रोगियों’ की तलाश की गई। पूरी चेन का पता लगाने का काम अभी जारी है।

अभी तक की छानबीन में सामने आया कि बीमार पड़ने के पहले उसने बड़ी संख्या में लोगों का ‘उपचार’ किया। अब तक जिन लोगों के बारे में प्रशासन को पता चला है, उनके कोरोना के टेस्ट कराये गये हैं। 

तीन दर्जन से कुछ ज़्यादा हुए टेस्टों में असलम के संपर्क में आये 23 लोग कोरोना पाॅजिटिव पाये गये हैं। असलम के संपर्क में आये काफ़ी संख्या में लोगों को क्वॉरेंटीन भी किया गया है।

23 बाबाओं को भी किया गया है क्वॉरेंटीन

असमल एपिसोड के बाद प्रशासन सख़्त हुआ है। शहर में 37 बाबाओं की ना केवल पहचान की गई है, बल्कि सभी को क्वॉरेंटीन भी कर दिया गया है। असलम की मौत और अनेक लोगों के कोरोना पाॅजिटिव मिलने के बाद झाड़-फूँक और गंडे-ताबीज़ के ज़रिये इलाज कराने वालों में ख़ौफ का आलम है।

उधर क्वॉरेंटीन किये गये बाबा और ओझा प्रशासन की कार्रवाई को फिजूल क़रार दे रहे हैं। बाबा और ओझाओं का दावा है कि कोरोना संदिग्ध ना होने के बावजूद कइयों को जबरन क्वॉरेंटीन कर दिया गया है।

मध्य प्रदेश में कोरोना हो रहा है बेकाबू

मध्य प्रदेश में भी कोरोना संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा है। स्वास्थ्य विभाग के 11 जून के बुलेटिन के अनुसार राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या 10 हजार 241 हो चुकी है। 24 घंटों में 192 नये रोगी मिले।

कोरोना से मारे जाने वालों का आँकड़ा 431 पर पहुुँच चुका है। इंदौर, भोपाल और उज्जैन सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं। पिछले सप्ताह भर से भोपाल में सबसे ज़्यादा नये रोगी मिल रहे हैं। पिछले तीन दिनों में 150 से ज़्यादा रोगी अकेले भोपाल में मिल चुके हैं।

मध्य प्रदेश के सभी 51 ज़िले कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। अब तक 7 हज़ार 42 रोगी ठीक भी हुए हैं। मध्य प्रदेश में कोरोना का रिकवरी रेट 68 प्रतिशत के लगभग होने को सरकार सुखद पक्ष बता रही है।

अस्पताल में ही इलाज कराएँ: स्वास्थ्य मंत्री

रतलाम में कथित तौर पर ओझा से फैले कोरोना मामलों पर अनभिज्ञता जताते हुए स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने अफसोस जताया। उन्होंने कहा है, ‘स्वास्थ्य महकमा और सरकार, लोगों को लगातार सचेत एवं शिक्षित कर रही है कि कोरोना के लक्षण होने पर पास के सरकारी अस्पताल अथवा अधिकृत डाॅक्टर के पास ही जाएँ, बावजूद इसके झाड़-फूँक एवं ताबीज़ का सहारा लिया गया है तो यह बेहद दुःखद है। प्रदेश के हर क्षेत्र में सरकार ने कोरोना के उपचार की व्यवस्था की हुई है।’

स्वास्थ्य मंत्री मिश्रा ने लोगों से पुनः अपील की कि-‘सर्दी-जुकाम, बुखार और कोरोना के अन्य लक्षण होने पर झाड़-फूँक, गंडा-ताबीज़ और बाबा-ओझाओं के चक्कर में न पड़ें। सीधे अस्पताल जाएँ और डाॅक्टर को दिखाएँ।’

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