रामपुर: नवेद मियां का बीजेपी को समर्थन क्या सपा के लिए मुसीबत बनेगा?
उत्तर प्रदेश की रामपुर सीट पर होने वाले उपचुनाव में बीजेपी को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। बीजेपी को रामपुर के नवाब खानदान का समर्थन मिला है। नवाब खानदान से आने वाले और कांग्रेस नेता नवाब काजिम अली खान उर्फ नवेद मियां ने बीजेपी के प्रत्याशी घनश्याम लोधी को समर्थन देने का एलान किया है।
इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को चिट्ठी भी लिखी है।
रामपुर सीट पर 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा के दिग्गज नेता आज़म खान को जीत हासिल हुई थी जबकि 2014 में इस सीट पर बीजेपी के प्रत्याशी नेपाल सिंह जीते थे। यह सीट आज़म खान के उत्तर प्रदेश विधानसभा का सदस्य चुने जाने की वजह से खाली हुई है।
रामपुर का उपचुनाव बीजेपी और सपा के बीच जोरदार टक्कर का चुनाव है। बीएसपी ने यहां अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है और इसी तरह कांग्रेस ने भी पार्टी के किसी नेता को टिकट नहीं दिया है।
आज़म से 36 का आंकड़ा
नवाब खानदान का रामपुर की सियासत में आज़म खान से 36 का आंकड़ा रहा है। लंबे अरसे से नवाब खानदान और आज़म खान व उनके समर्थक चुनावों में आमने-सामने रहे हैं। आज़म खान रामपुर शहर सीट से 10 बार विधायक रह चुके हैं तो नवाब खानदान भी यहां से कई बार सांसद और विधायक का चुनाव जीत चुका है।
नवेद मियां के पिता नवाब जुल्फिकार अली खान यहां से पांच बार सांसद बने तो उनकी मां नूर बानो भी दो बार सांसद चुनी गईं। खुद नवेद मियां रामपुर जिले से 5 बार विधायक रहे हैं। साथ ही वह उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे हैं।
'कांग्रेस नेतृत्व को गुमराह किया'
नवेद मियां ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को लिखी चिट्ठी में कहा है कि वह कांग्रेस में हैं और रहेंगे। उन्होंने लिखा है कि वह रामपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर उपचुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन कुछ लोगों ने कांग्रेस नेतृत्व को गुमराह कर इस चुनाव में प्रत्याशी न उतारने का फैसला करा लिया।
नवेद मियां ने कहा कि हालात यही रहे तो 2024 में भी उन्हें टिकट नहीं मिल पाएगा और इसलिए उनसे अनुरोध है कि प्रियंका गांधी उन्हें और उनकी मां बेगम नूर बानो को मिलने का वक्त दें जिससे चर्चा की जा सके कि उनका परिवार आगे राजनीति करे या नहीं।
‘बीजेपी को जीत मिलेगी’
नवेद मियां ने कहा कि उपचुनाव में प्रत्याशी न उतारने का फैसला कर हमें फ्री छोड़ दिया गया और कहा कि आप जिसको लड़ाना चाहते हैं अपनी मर्जी से लड़ा सकते हैं। इसलिए उन्होंने नामांकन नहीं किया और वह और उनके समर्थक चुनाव में समाजवादी पार्टी का विरोध करेंगे और यहां बीजेपी को जीत मिलेगी।
नवेद मियां ने कहा कि अगर आज़म खान के परिवार से कोई भी चुनाव लड़ता तो वह जरूर चुनाव लड़ते।
चूंकि कांग्रेस हाईकमान ने फैसला लिया है कि पार्टी रामपुर में चुनाव नहीं लड़ेगी इसलिए कांग्रेस का संगठन नवेद मियां के इस एलान से दूरी बनाए हुए है। कांग्रेस जिला अध्यक्ष धर्मेंद्र देव गुप्ता का कहना है कि ऐसे हालात में कोई भी किसी को वोट दे सकता है।
2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा-रालोद गठबंधन के उम्मीदवार आज़म खान ने बीजेपी की उम्मीदवार जया प्रदा को लगभग 1,20,000 वोटों से हराया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा के उम्मीदवार नसीर अहमद खान यहां बीजेपी उम्मीदवार नेपाल सिंह से 23000 वोटों के अंतर से हारे थे।
रामपुर उत्तर प्रदेश की ऐसी लोकसभा सीट है जहां पर लगभग 50 फीसद मुसलमान आबादी है। नवाब खानदान का भी रामपुर में अच्छा-खासा दबदबा है। ऐसे में देखना होगा कि नवाब खानदान किस हद तक यहां समाजवादी पार्टी को सियासी नुकसान पहुंचा पाता है।
दूसरी ओर, आज़म खान भी दो साल तक जेल में रहने के बाद अब बाहर आए हैं। इस सीट पर सपा के उम्मीदवार बनाए गए आसिम राजा को आज़म खान के कहने पर ही टिकट दिया गया है। यहां सपा की जीत का पूरा जिम्मा आज़म खान के कंधों पर ही है।
निश्चित रूप से आज़म रामपुर की सियासत के कद्दावर नेता हैं क्या वह समाजवादी पार्टी को रामपुर में जीत दिला पाएंगे?