अयोध्या: कोर्ट के फ़ैसले के बाद मंदिर निर्माण की तैयारियाँ तेज़

07:29 am Nov 13, 2019 | वी. एन. दास - सत्य हिन्दी

बाबरी मसजिद-राम मंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद अयोध्या मंदिर निर्माण  की तैयारियों को लेकर मंदिर कार्यशाला में सरगर्मी तेज़ हो गई है। राम जन्मभूमि न्यास के पदाधिकारी व विश्व हिन्दू परिषद के लोग अब  कोर्ट के आदेश के तहत अगले एक्शन प्लान पर गंभीरता से विचार कर रहें हैं।

मंदिर के प्रस्तावित मॉडल के मुताबिक़, पत्थरों को तराशने का काम फिर से शुरू करने के पहले कई व्यवस्थाओं को पूरा करने पर चिंतन हो रहा है। मंदिर के पत्थरों की व्यवस्था के प्रभारी प्रकाश कुमार गुप्त ने सत्य हिन्दी से कहा कि कारीगरों को बड़ी संख्या बुलाने के पहले पत्थरों को काटने की मशीन को ठीक करवाना होगा। इसके साथ ही रामसेवकपुरम में रखे पत्थरों का आकार बहुत बड़ा है, जिन्हें  कार्यशाला तक लाने के लिए बड़ी शक्तिशाली क्रेन की ज़रूरत है। पहले इनको दो क्रेनों को लगा कर उतारा गया था।

राम जन्म भूमि न्यास के पदाधिकारी व विश्व हिन्दू परिषद के लोग इस बात पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं कि अधिग्रहीत 67 एकड़ ज़मीन केंद्र सरकार से वापस करवाई जाए, जिसमें 48 एकड़ ज़मीन रामजन्म भूमि न्यास की है।

पत्थर तराश कर कार्यशाला में रखे गए हैं ताकि मंदिर स्थल के क़रीब उन्हें शिफ्ट करवाया जाए।

पत्थरों को रामलला मंदिर के अहाते में ले जाने के लिए खाली और सुरक्षित चैड़ी सड़क की भी ज़रूरत है। गुप्ता ने बताया कि इस सब की व्यवस्था करने के बाद ही बड़ी संख्या मे कारीगरों को पत्थर तराशने के लिए बुलाया जा सकेगा।

कैसा होगा ट्रस्ट

बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर  राम मंदिर के लिए सोमनाथ मंदिर अथवा माँ वैष्णैव देवी मंदिर के पैटर्न पर बनने वाले ट्रस्ट पर भी राम जन्मभूमि न्यास व विहिप की नज़र है।

धन की कमी नहीं

राम मंदिर के वैधानिक कार्य व इससे जुड़े अन्य कार्य को देखने वाले विहिप के संगठन मंत्री व रामलला के सखा त्रिलोकी नाथ पांडे के मुताबिक़, मंदिर निर्माण में धन की कमी सामने नही आएगी। अभी से दान देने वालों की बड़ी संख्या तैयार है। 

मंदिर आंदोलन के दौरान शिलापूजन कार्यक्रम के तहत 3 लाख गाँवों में प्रत्येक व्यक्ति से डेढ़ रुपये का दान लिया गया था। इससे 8 करोड़ का फंड न्यास के खाते में जमा हुआ था। उसी से मंदिर के पत्थरों को तराशने का काम 1991 से अनवरत जारी है।

पांडे ने बताया कि कार्यशाला की ज़मीन अयोध्या राजघराने से दान मे मिली है। राम सेवकपुरम कार्यशाला की जमीन को विहिप व राम मंदिर न्यास ने मिल कर खरीदा है। कारसेवक पुरम की ज़मीन विहिप व इससे जुड़े संगठनों के सहयोग से खरीदी गई थी। शिला पूजन के दौरान जमा 8 करोड रुपये  से न्यास के खाते में अभी भी कार्यशाला में काम जारी रखने के लिए धन है।

दान की राशि तेजी से बढ़ी

मंदिर कार्य के संगठन मंत्री ने बताया कि जबसे मंदिर मसजिद मामले  की नियमित सुनवाई शुरू हुई है, कार्यशाला में श्रद्धालुओं की भी भीड़ अप्रत्याशित तरीके से बढ़ी है। साथ ही दानपात्र  में चढावा राशि में ख़ासा इजाफ़ा हुआ है।

जहाँ 30 सितंबर 2019 से पहले दान से 30 हजार रुपये की मासिक आय होती थी, वहीं अक्टूबर में यह राशि बढकर 3 लाख 86 हज़ार हो गई है। इसके अलावा रसीद कटवा कर चंदा के रूप में भी साढे तीन लाख रुपये मासिक मिल रहे हैं।

उन्होंने बताया कि मंदिर के पक्ष में फ़ैसला आने के बाद तो दान की राशि में और तेजी से इजाफ़ा हो रहा है। 

भरतपुर से मंदिर के प्रथम तल के बचे काम को पूरा करवाने के लिए जब कारीगरों को बुलाया जाएगा तो 40 फ़ीसदी बचे पत्थरों को भी जरूरत पड़ेगी। फ़िलहाल अभी भी पर्याप्त संख्या मे पत्थर रामसेवकपुरम में रखे गए है। ग्राउंड फ्लोर का काम पूरा हो चुका है। प्रथम तल का काम बाकी है। जिसे व्यवस्था पूरी करने के बाद शुरू किया जाएगा।