जेल में बंद गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ अहमद की शनिवार रात उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गोली मारकर हत्या कर दी गई। हत्या की वारदात तब हुई जब उन्हें मेडिकल परीक्षण के लिए ले जाया जा रहा था। टेलीविजन फुटेज में अतीक अहमद को पत्रकारों से बात करते हुए देखा गया। तभी कम से कम दो लोगों ने पिस्तौल से उन पर गोलियाँ चला दीं। तब भारी पुलिस बल तैनात था। तो सवाल है कि आख़िर ऐसा करने की हिम्मत किसकी हुई? पुलिस कर्मियों व मीडिया के कैमरे के सामने ही अतीक जैसे गैंगस्टर की हत्या क्या आम बात है?
कहा जाता है कि अतीक़ अहमद के अनगिनत दुश्मन रहे हैं और इसका अंदाज़ा इससे भी लगाया जा सकता है कि उनके आपराधिक इतिहास में 100 से भी अधिक मुक़दमे दर्ज हैं। वह बसपा विधायक राजू पाल ही हत्या के मुख्य अभियुक्त थे। इस साल 28 मार्च को प्रयागराज की एमपीएमएलए अदालत ने उनको उमेश पाल का 2006 में अपहरण करने के आरोप में दोषी पाया और उम्रकैद की सजा सुनाई।
अतीक पर पहला मुक़दमा 1979 में दर्ज हुआ था। इसके बाद जुर्म की दुनिया में अतीक काफ़ी तेज़ी से आगे बढ़े। हत्या, लूट, अपहरण के कई मुकदमे उनके खिलाफ दर्ज होते रहे थे। उनके ख़िलाफ़ फ़िलहाल अदालतों में क़रीब 50 मामले चल रहे हैं। इनमें एनएसए, गैंगस्टर और गुंडा एक्ट के डेढ़ दर्जन से अधिक मुक़दमे हैं।
कहा जाता है कि एक जमाने में अतीक़ का ऐसा ख़ौफ़ था कि उनके ख़िलाफ़ कोई सर उठाने की हिम्मत नहीं कर पाता था। यही वजह है कि कई मुक़दमों में गवाह मुकर गए। तो सवाल है कि क्या अब उनके दुश्मनों ने यह हत्या कराई है? क्या भाड़े के शूटरों से हत्या कराई गई?
जिस तरह से भारी पुलिस बल की सुरक्षा में और मीडिया के कैमरे के सामने यह वारदात हुई, वह कोई आम अपराधी नहीं कर सकता है। जिस तरह की इसके लिए तैयारी की गई होगी, जिस तरह की इसके लिए साज़िश रची गई होगी, उसे कोई पेशेवर अपराधी ही कर सकता है। घटना स्थल के फुटेज देखने से पता चलता है कि शूटर पहले से ही घात लगाकर बैठे थे। उन्हें पता था कि वह कैसे एकदम से अतीक के क़रीब पहुँच पाएँगे। इतना क़रीब कि पिस्तौल सीधे अतीक की कनपटी पर रखकर ट्रिगर दबा सकें।
अब पुलिस के अनुसार हत्या करने के बाद शूटरों ने पिस्तौल फेंक दी और सरेंडर कर दिया। कहा जा रहा है कि शूटरों ने भागने की कोशिश तक नहीं की। तो क्या यह भी साज़िश के तहत किया गया?
हालाँकि, इसके बाद वहाँ चले घटनाक्रमों पर भी खूब चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि हत्या की घटना के तुरंत बाद ही पुलिसकर्मियों की एक टीम किसी का पीछा करने गई थी जिसके बारे में कुछ जानकारी नहीं दी गई है। हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार घटनास्थल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर चल रहा है जिसमें गोली चलने के कुछ समय बाद ही एक पुलिस जीप स्टेशन की ओर तेज़ी से गई। रिपोर्ट के अनुसार एक पुलिस की एक बाइक भी तेजी से उसी ओर भागी थी जिस पर पुलिस के जवान सवार थे। रिपोर्ट के अनुसार इसके बारे में कुछ भी पता नहीं चला है। सवाल उठ रहा है कि आख़िर वे कौन लोग थे जिसके पीछे पुलिस भागी थी?
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार प्रयागराज के पुलिस आयुक्त रमित शर्मा ने बाद में कहा कि बंदूकधारी मीडियाकर्मियों के भेष में वहाँ आए थे। उन्होंने कहा है कि शूटरों से पूछताछ की जा रही है और अभी तक उनकी पहचान नहीं की जा सकी है। हालाँकि कुछ मीडिया रिपोर्टों में उनकी पहचान बताई गई है, लेकिन पुलिस ने इसकी पुष्टि नहीं की है। इसने हत्या के आरोपियों के नाम साझा नहीं किए हैं। हालाँकि, एनडीटीवी ने ख़बर दी है कि पुलिस ने तीनों हमलावरों की पहचान लवलेश, सनी और अरुण मौर्य के रूप में की है। रिपोर्ट के अनुसार वे पत्रकारों के रूप में आए थे। आज तक की रिपोर्ट के अनुसार कथित आरोपियों- लवलेश, सनी और अरुण की जानकारी को पुष्टि करने का प्रयास किया जा रहा है।