गैंगस्टर से राजनेता बने अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ की गोली मारकर हत्या करने वाले आरोपियों की सुरक्षा को लेकर अब एहतियात बरता जा रहा है। कहा जा रहा है कि हत्या के तीनों आरोपियों को सुरक्षा कारणों से उत्तर प्रदेश की दूसरी जेल में स्थानांतरित कर दिया गया है।
लवलेश तिवारी, सन्नी सिंह और अरुण मौर्य ने कथित तौर पर गैंगस्टरों को तब मार डाला था जब उन्हें पुलिस मेडिकल जाँच के लिए प्रयागराज के अस्पताल में ले गयी थी। जिस वक़्त यह अपराध हुआ उस वक़्त पुलिसकर्मी भी मौजूद थे। मीडिया कर्मियों के कैमरे भी थे। और अतीक पत्रकारों के सवाले के जवाब भी दे रहे थे। सबकुछ लाइव था।
अतीक और अशरफ़ दोनों को सरेआम, पुलिस और टेलीविज़न कैमरे के सामने हत्या कर दी गई। टेलीविजन फुटेज में हत्या के वक़्त अतीक अहमद को पत्रकारों से बात करते हुए देखा गया। हत्या के आरोपी लवलेश, सनी और अरुण तीनों खुद को पत्रकार बताते हुए अतीक़ के क़रीब गए थे। उन्होंने हत्याओं के बाद 'जय श्री राम' के नारे लगाए और आत्मसमर्पण कर दिया।
पुलिस ने कहा कि उन्होंने शूटरों के पास से तीन फर्जी मीडिया आईडी कार्ड, एक माइक्रोफोन और एक कैमरा बरामद किया है। गोली मारने के बाद उन्होंने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इन तीनों की सुरक्षा पर ख़तरा बताया जा रहा है।
तीनों को पहले की नैनी जेल से प्रतापगढ़ जेल ले जाया गया। रिपोर्टों में खुफिया इनपुट के आधार पर कहा गया है कि नैनी जेल में तीनों पर हमला हो सकता था।
बता दें कि तीनों ही आरोपियों से कुछ घंटे पूछताछ के बाद पुलिस ने रिमांड नहीं मांगा था और इस कारण तीनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। पुलिस का कहना है कि ये तीनों अतीक अहमद के गिरोह को खत्म करके अपना नाम बनाना चाहते थे।
उत्तर प्रदेश सरकार ने तीन सदस्यीय न्यायिक जांच समिति को लाइव टीवी पर हुई हत्याओं पर एक रिपोर्ट देने के लिए दो महीने का समय दिया है। राज्य पुलिस ने सनसनीखेज हत्याकांड की जांच के लिए दो विशेष जांच दल यानी एसआईटी गठित करने की भी घोषणा की है।