अतीक अहमद हाई प्रोफाइल गैंगस्टर से सांसद बने थे। उन पर हाई प्रोफाइल केस भी चल रहे थे। सुरक्षा का ख़तरा लगातार बना रहा था। हाल में जब अतीक अहमद को बार-बार गुजरात और यूपी के बीच सड़क मार्ग से लाया-ले जाया जा रहा था तो उन्होंने हत्या की आशंका भी जताई थी। इतना सब होने के बावजूद अतीक की हत्या कैसे हो गई?
हत्या भी हुई तो पुलिस कस्टडी में। घटना उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुई। जिस वक़्त यह अपराध हुआ उस वक़्त मीडिया कर्मियों के कैमरे भी थे। और अतीक पत्रकारों के सवाले के जवाब भी दे रहे थे। सबकुछ लाइव था। यानी हत्या की यह वारदात पूरी तरह लाइव चली।
बताया जाता है कि अतीक और अशरफ से पूछताछ लगभग पूरी हो चुकी थी और नियमित कानूनी प्रक्रिया के अनुसार, दोनों को न्यायिक हिरासत में वापस भेजे जाने से पहले चेक-अप के लिए पुलिस सुरक्षा में अस्पताल ले जाया गया था। लेकिन इसी बीच दोनों को सरेआम, पुलिस और टेलीविज़न कैमरे के सामने हत्या कर दी गई। अतीक की हत्या शनिवार रात साढ़े दस बेज की गई।
यही वह घटनाक्रम चला जब अतीक और अशरफ की हत्याएँ हुईं। और इसी से सीधे पुलिस पर कई सवाल उठते हैं। सवाल उठने के पीछे वजह सिर्फ अतीक का बड़ा गैंगस्टर होना ही नहीं है, बल्कि जिस हालात में वह वारदात हुई, उस हालात से ही सवाल उठ रहे हैं।
ये उठ रहे हैं सवाल
- हाई प्रोफाइल गैंगस्टर अतीक अहमद और अशरफ को चिकित्सकीय जांच के लिए देर रात को अस्पताल क्यों ले जाया गया था?
- गैंगस्टर को ले जा रही पुलिस की गाड़ी अस्पताल के गेट के बाहर ही क्यों खड़ी हुई और वहां से पैदल क्यों ले जाया गया? गाड़ी अंदर तक क्यों नहीं गई?
- करीब 20 पुलिसकर्मियों की एक टीम अतीक और अशरफ के साथ अस्पताल गई थी। वे तीन शूटरों से कैदियों को बचाने में कैसे नाकाम रहे?
- हत्यारों ने अतीक को कम से कम नौ और अशरफ को पांच गोलियां मारीं। शूटरों ने 20 राउंड फायरिंग की, लेकिन पुलिसकर्मियों ने एक भी गोली क्यों नहीं चलाई?
- हथकड़ी लगे अतीक और अशरफ सिर में गोली लगने के बाद जमीन पर गिर पड़े। फिर भी पुलिस की ओर से फायरिंग क्यों नहीं की गई?
- हमलावर अरुण मौर्य, लवलेश तिवारी और सनी सिंह के पास आयातित बंदूक़ें थीं। हाई-प्रोफाइल कैदियों के पास जाने से पहले उनकी तलाशी क्यों नहीं ली गई?