मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री कमलनाथ होंगे। आज रात कांग्रेस विधायक दल ने उन्हें अपना नेता चुन लिया। भोपाल में हुई इस बैठक के बाद संवाददाताओं के सामने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ए. के. ऐन्टनी ने उनके नाम का एलान कर दिया। कमलनाथ शुक्रवार को सुबह साढ़े दस बजे राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मिल कर सरकार बनाने का दावा पेश करेगे। अपने नाम का एलान होने के बाद उन्होंने कहा, 'जो विश्वास मध्य प्रदेश की जनता ने मुझ पर व्यक्त किया है, मैं उसके क़ाबिल रहूँ।'कमलनाथ और उनके प्रतिद्वंद्वी माने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिन्धिया आज दिल्ली से लौटे और तुरंत भोपाल स्थित कांग्रेस दफ़्तर पहुँचे। वहाँ विधायकों की छोटी-सी बैठक हुई और उसमें औपचारिक तौर पर कमलनाथ को नेता चुन लिया गया।विधायक दल की बैठक में सिंधिया ने कमलनाथ को नेता चुनने का प्रस्ताव रखा जिसे विधायकों से स्वीकार कर लिया। कमलनाथ ने विधायकों के नाम अपने संक्षिप्त संदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति आभार जताया और उनके दिवंगत पिता माधवराव सिन्धिया को याद किया। उन्होंने याद दिलाया कि 13 दिसंबर को ही इंदिरा गाँधी ने छिंदवाड़ा की जनता के सामने प्रस्तुत किया था। कमलनाथ ने कहा, 'यह पद मेरे लिए मील का पत्थर है। मुझे पद की कोई भूख नहीं है।' बाद में हुई प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान सिंधिया मोबाइल में ही व्यस्त दिखे। बीच-बीच में वे हाथ हिला कर लोगों का अभिवादन स्वीकार कर रहे थे लेकिन उनके चेहरे को भाव बता रहे थे कि वे इस फ़ैसले से ख़ुश नहीं हैं।इससे पहले राहुल गाँधी ने कमलनाथ के नाम पर अंतिम मुहर लगा दी थी। सिंधिया ने इस फ़ैसले पर बेमन से ही सही, सहमति दे दी। उनको मनाने के लिए पार्टी ने उनको या उनके समर्थकों को क्या ऑफ़र किया है, इसकी जानकारी अभी नहीं मिली है। समझा जाता है कि सिंधिया के पास पर्याप्त विधायक नहीं थे।कमलनाथ को मुख्यमंत्री ऐसे समय चुना जा रहा है जब राज्य में पार्टी को अपने बूते बहुमत नहीं मिला।यह भी पढ़ें: कौन हैं मध्य प्रदेश के भावी मुख्यमंत्री कमलनाथ
कमलनाथ की ताज़पोशी किस तारीख़ को होगी, यह अभी साफ़ नहीं हुआ है। पर समझा जाता है कि कांग्रेस पार्टी खरमास के पहले ही शपथ ग्रहण समारोह रखेगी। हिन्दू ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक़, सूर्य जब धनु राशि में संचार करता है, उस दौरान पूरे महीने विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश या नए व्यापार जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते। इस बार सूर्य धनु राशि में 16 दिसंबर को सुबह 9.09 पर प्रवेश करेगा और 14 जनवरी 2019 को शाम 7.51 तक रहेगा। इस दौरान शुभ कार्य वर्जित होता है।
सिंधिया ने रखा कमलनाथ के नाम का प्रस्ताव
इससे पहले मध्य प्रदेश कांग्रेस के विधायक दल की बुधवार को हुई बैठक में विधायकों ने आम सहमति से यह फ़ैसला किया कि मुख्यमंत्री चुनने की ज़िम्मेदारी पार्टी अध्यक्ष राहुल गाँधी को ही सौंपी जाए। गुरुवार को दिन में विधायक दल की बैठक एक बार फिर हुई।राहुल गाँधी ने कमलनाथ के नाम पर अपनी सहमति दे दी। उन्होंने दोनों नेताओं के साथ तसवीर लेव तोलस्तॉय के एक उद्धरण के साथ ट्वीट किया है। उद्धरण का अर्थ है - दो सबसे ताक़तवर योद्धा हैं समय और धैर्य। लोग उनके इस उद्धरण से यह मतलब निकाल रहे हैं कि अभी 'समय' कमलनाथ का है और ज्योतिरादित्य को 'धैर्य' से काम लेना चाहिए।कमलनाथ का अनुभव काम आया
कमलनाथ को कुर्सी सौंपने की पीछे यह सोच भी है कि लोकभा चुनाव के ठीक पहले सरकार किसी तरह के विवाद में न फँसे और पार्टी को चुनाव के दौरान सफ़ाई न देनी पड़े। इसके अलावा यह भी सोचा जा रहा है कि चुनाव के पहले पार्टी एकजुट रहे, किसी तरह की गुटबंदी न हो और पार्टी के सारे लोग पूरी ताक़त लगा कर चुनाव में कूदें। कमलनाथ का प्रशासनिक अनुभव और पार्टी पर पकड़ उनके पक्ष में गया है।
बहुजन समाज पार्टी को दो विधायकों और समाजवादी पार्टी के एक विधायक के समर्थन के बल पर कांग्रेस बहुमत के आँकड़े को पार करने में क़ामयाब हुई है। लिहाज़ा, एक ऐसे मुख्यमंत्री की ज़रूरत है, जो कुशलता से सरकार चलाए और सबको साथ ले कर चले।
अकाली दल ने विरोध जताया
अकाली दल ने कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनाने के फ़ैसले का विरोध करने का निर्णय किया है। अकाली विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने राहुल गाँधी को कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने ट्वीट कर कांग्रेस अध्यक्ष से कहा कि वे कमलनाथ को मुख्यमंत्री बना कर सिखों को उत्तेजित न करें। उन्होंने आह्वान किया दुनिया का हर सिख जिसने 1984 के 'सिख कत्लेआम' का दर्द महसूस किया है, वह इसका विरोध करें।जिन्हें न मालूम हो, उन्हें हम बता दें कि साल 1984 में सिख विरोधी दंगों में कमलनाथ की भूमिका पर सवाल उठे थे हालाँकि वे कभी अभियुक्त नहीं बनाए गए और न ही कभी किसी तरह की जाँच हुई, लेकिन सिखों को इस मुद्दे पर सफ़ाई कांग्रेस को देनी पड़ सकती है। लेकिन राहुल गाँधी ने सिखों की संभावित नाराज़गी पर ध्यान दिए बग़ैर ही कमलनाथ को मध्य प्रदेश की कमान सौंपने का फ़ैसला कर लिया। कमलनाथ मूल रूप से संजय गाँधी के ग्रुप में थे। उसके पहले भी उनकी छवि दबंगई के लिए मशहूर हुई थी। ये अतीत की बाते हैं और शायद आज प्रासंगिक नही हैं पर कमलनाथ को पसंद न करने वाले इन गड़े मुर्दों को उखाड़ सकते हैं।