छत्तीसगढ़: बघेल, सिंहदेव बारी-बारी से होंगे मुख्यमंत्री

11:59 pm Dec 15, 2018 | यूसुफ़ अंसारी - सत्य हिन्दी

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री पद पर चल रहे घमासान के बीच कांग्रेस ने एक नया फ़ॉर्मूला निकाला है। इस फॉर्मूले के तहत छत्तीसगढ़ के कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल और पिछली विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे टी. एस. सिंहदेव ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री बनेंगे। दोनों गुटों के बीच ज़बरदस्त रस्साकशी को देखते हुए राहुल गाँधी ने यह फ़ैसला किया है। पहले कौन मुख्यमंत्री बनेगा, इस पर विवाद और रस्साकशी दोनों जारी हैं। दोनों ही पहले मुख्यमंत्री पद की कमान संभालने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा रहे हैं।

दिल्ली के ख़िलाफ़ बग़ावत

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री चुनने को लेकर कांग्रेस की मुश्किलें उस वक्त बढ़ गईं, जब नए नेता का नाम तय करने और इसके एलान के लिए बुलाई गई विधायक दल की बैठक में दिल्ली से नाम तय करके भेजे गए ताम्रध्वज साहू के ख़िलाफ़ बग़ावत हो गई। शनिवार शाम को रायपुर में हुई विधायक दल की बैठक में विधायक दल के नेता यानी नए मुख्यमंत्री के तौर पर ताम्रध्वज साहू के नाम पर मुहर लगनी थी और इसका एलान होना था। लेकिन उनके ख़िलाफ़ विधायकों की बगावत के बाद बैठक रविवार तक के लिए टाल दी गई। अंदर की ख़बर यह है कि बैठक में कई विधायकों ने ताम्रध्वज साहू  के ख़िलाफ़ खुली बग़ावत कर दी। विधायकों के बाग़ी तेवरों को देखते हुए कांग्रेस आला कमान को फ़ैसला रविवार तक के लिए टालना पड़ा।

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को अप्रत्याशित दो-तिहाई बहुमत मिलने के बावजूद पार्टी में बेचैनी है। इसकी वजह यह है कि मुख्यमंत्री पद का कोई दावेदार पीछे हटने को तैयार नहीं है। वे आला कमान के ख़िलाफ़ बग़ावत तक करने को तैयार हैं।

नया फ़ॉर्मूला

कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में 90 में से 68 सीटें जीती हैं। तीन-चौथाई बहुमत से जीत हासिल करने के बावजूद नेता का चुनाव करने में कांग्रेस के पसीने छूट गए। दिल्ली में दो दिन क़वायद चली। शनिवार को राहुल गाँधी के घर हुई अहम बैठक में ताम्रध्वज साहू का नाम तय हुआ था। यूपीए चेयरपर्सन और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी भी इस बैठक में शामिल हुईं। रायपुर में होने वाली विधायक दल की बैठक में इसी नाम पर मुहर लगा कर एलान किया जाना था। विधायक दल की बैठक में उनके ख़िलाफ़ बगावत होने के बाद फैसले का एलान  रविवार तक के लिए टाल दिया गया। कांग्रेसी सूत्रों के मुताबिक़, रायपुर की विधायक दल की बैठक में मचे बवाल के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने सोनिया गाँधी और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ सलाह-मशविरा करके नया फॉर्मूला निकाला है। इसका एलान रविवार को रायपुर में किया जाएगा।

ऐप का क्या हुआ?

तीन चौथाई  सीटें जीतने के बाद छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री चुनने के लिए राहुल गांधी ने निजी तौर पर भी विधायकों से फ़ोन पर भी बात करके उनकी राय जानी थी। इसके अलावा राहुल गाँधी ने शक्ति ऐप के जरिए छत्तीसगढ़ के कांग्रेस कार्यकर्ताओं से भी राय पूछी थी। राहुल गाँधी को निजी तौर पर विधायकों ने किसका नाम बताया, इस बात की कोई जानकारी बाहर नहीं आई है। शक्ति ऐप के ज़रिए कार्यकर्ताओं से मुख्यमंत्री बनाने को लेकर ली गई राय भी पूरी तरह गोपनीय है। यह पता नहीं चल पा रहा कि कितने कार्यकर्ताओं ने किसके हक़ में राय दी है। लिहाज़ा, कांग्रेस का कोई भी नेता इस पर मुँह खोलने को तैयार नहीं है।

राहुल गाँधी ने 'शक्ति' ऐप लॉन्च किया और कार्यकर्ताओं से उनकी पसंद पूछी। पर अब यह पूछा जाना चाहिए कि लोगों की पसंद का क्या हुआ। आला कमान को ही सबकुछ तय करना था तो इस ऐप की क्या ज़रूरत थी?

आला कमान बेचैन

कांग्रेस में चर्चा है कि विधायक दल की बैठक से पहले ताम्रध्वज साहू का नाम लीक होने की वजह से यह सब बवाल हुआ है। रायपुर में होने वाली विधायक दल की बैठक से पहले राहुल गाँधी ने चार नेताओं के साथ तस्वीर ट्ववीट करके एकजुट होकर चलने की बात कही थी। इसके बावजूद छत्तीसगढ़ में राहुल गाँधी की तरफ़ से तय किए गए नाम पर बग़ावत हुई। ज़ाहिर है, एकजुटता का सबक़ नहीं समझा गया। इससे पहले हुई विधायक दल की बैठक में फ़ैसला आला कमान पर छोड़ा गया था। अब उस फ़ैसले के विरोध को आला कमान से बग़ावत माना जा रहा है। मध्य प्रदेश से भी ख़बर आ रही है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के क़रीबी विधायकों ने इस्तीफ़ा देने की धमकी दी है। इन हालात से कांग्रेस आलाकमान में ख़ास़ी बेचैनी है।