सिटिज़नशिप विधेयक को लेकर एक ओर जहाँ पूर्वोत्तर के राज्यों में हिंसक आंदोलन हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बीजेपी इस पर जश्न मना रही है। असम में बीजेपी सरकार के मंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने प्रधानमंत्री मोदी का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि ऐसा करके मोदी जी ने 18 सीटें ‘जिन्ना’ यानी बदरुद्दीन अजमल के हाथों में जाने से बचा लीं। सरमा को उत्तर-पूर्व के राज्यों में बीजेपी का बड़ा चेहरा माना जाता है और 2016 के विधानसभा चुनाव में असम में बीजेपी की जीत में सरमा की अहम भूमिका रही थी।
यह भी पढ़ें : पीएम मोदी की राह मुश्किल करेगा सिटिज़नशिप विधेयक?
बदरुद्दीन अजमल ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ़्रंट के नेता हैं, जिसका असम के मुसलिम बहुल इलाक़ों में अच्छा - खासा प्रभाव है। सिटिज़नशिप विधेयक को लेकर पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए सरमा ने कहा, हमारे लिए धर्म को आधार बनाकर ही यह विधेयक लाना ज़रूरी था, वरना हम अवैध घुसपैठ को कैसे रोकते?। ये सबको पता है कि मुसलिम आप्रवासियों ने हमारी ज़मीनों कर क़ब्जा कर रखा है। हम अब और यह बात बर्दाश्त नहीं कर सकते कि वह असम में और फैलें।’
असम में क़रीब 34 फ़ीसदी आबादी मुसलमानों की है और इनमें मूल असमिया और बांग्लादेश से आए मुसलमान शामिल हैं। अजमल की असम की राजनीति में मजबूत पकड़ है। 2005 में बनी उनकी पार्टी एआईयूडीएफ़ ने 2006 में हुए असम विधानसभा चुनाव में 10 सीटें जीत लीं। 2011 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को 18 सीटें और 2016 के चुनाव में 13 सीटें मिलीं। सरमा इन्हीं 18 सीटों की बात कर रहे थे जहाँ अजमल की पार्टी जीतती रही है।
बीजेपी, अजमल पर आरोप लगाती है कि वह सिर्फ़ मुसलमानों के नेता हैं और सांप्रदायिक राजनीति करते हैं। यह बात काफ़ी हद तक सही भी है क्योंकि अजमल अपने भड़काऊ बयानों के लिए कई बार विवादों में भी आ चुके हैं। लेकिन अजमल की पार्टी इस आरोप को बिलकुल ग़लत बताती है।
यह भी पढ़ें : अब असम गण परिषद ने भी छोड़ा बीजेपी का साथ
एआईयूडीएफ़ के नेताओं का कहना है कि उनकी पार्टी बड़ी संख्या में ग़ैर-मुसलिमों को भी टिकट देती है और वे चुनाव जीतकर भी आते हैं। एआईयूडीएफ़ के नेताओं का कहना है कि पिछले कई चुनावों के आंकड़ों से यह बात साबित होती है। एआईयूडीएफ़ के मौजूदा तीन सांसदों में से एक राधेश्याम बिस्वास हिंदू हैं। पार्टी के अनुसार अजमल सिर्फ़ मुसलमानों के नेता होते तो इतनी संख्या में ग़ैर-मुसलिमों को चुनाव नहीं लड़ाते।
अजमल की बढ़ती सियासी ताक़त बीजेपी के लिए मुश्किल पैदा कर रही है और सरमा के बयान को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। अभी कुछ दिन पहले सरमा ने सिटिज़नशिप विधेयक को लेकर ही एक और बयान में कहा था कि यह 'जिन्ना' की विरासत और भारत की विरासत के बीच की लड़ाई है। सरमा ने कहा था, ‘जिन्ना’ की मानसिकता वालों को राज्य से बाहर निकाल दिया जाएगा।
यह भी पढ़ें : असम पंचायत चुनावों में बीजेपी और पार्टनर एजीपी में जंग
कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस पर बरसते हुए सरमा ने कहा, ‘ये दोनों दल चाहते हैं कि मुसलिमों को ज़मीन का अधिकार दे दिया जाए। लेकिन हम क़तई ऐसा नहीं होने देंगे।’