यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड को लेकर चल रही बहसों के बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने मुसलिम महिलाओं का ज़िक्र कर इस पर तीखा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता उनका मुद्दा नहीं बल्कि मुसलिम महिलाओं का है। संवाददाताओं से उन्होंने कहा कि कोई भी मुसलिम महिला यह नहीं चाहेगी कि उसका पति तीन पत्नियाँ ले आए।
असम के मुख्यमंत्री ने मीडिया को दिए गए अपने इस बयान वाले वीडियो को ट्वीट किया है और लिखा है कि समान नागरिक संहिता पर यह उनका विचार है।
हिमंत बिस्व सरमा की यह प्रतिक्रिया तब आई है जब एक दिन पहले शनिवार को एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी का विरोध करते हुए कहा था कि 'भारत में इसकी आवश्यकता नहीं है'।
ओवैसी ने एएनआई से कहा, 'बेरोजगारी और महंगाई बढ़ रही है और आप समान नागरिक संहिता के बारे में चिंतित हैं। हम इसके ख़िलाफ़ हैं। विधि आयोग ने भी कहा है कि भारत में यूसीसी की ज़रूरत नहीं है।'
उन्होंने कहा कि बीजेपी सभी राज्यों में शराब पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाती। उन्होंने कहा, 'जहाँ बीजेपी सत्ता में है... जिस तरह आपने गुजरात में पाबंदियां लगाई हैं, उसी तरह की पाबंदियां कहीं और क्यों नहीं लगाते?'
उन्होंने पूछा कि मुसलमानों, सिखों और ईसाइयों के लिए हिंदू अविभाजित परिवार की तरह कर छूट क्यों नहीं है? साथ ही संविधान मेघालय, मिजोरम और नागालैंड की संस्कृति की रक्षा करने का वादा करता है... क्या इसे हटा दिया जाएगा?
ओवैसी ने गोवा नागरिक संहिता के उस प्रावधान की ओर भी इशारा किया जो एक हिंदू पुरुष को दूसरी पत्नी रखने की अनुमति देता है यदि वह 30 वर्ष की आयु प्राप्त कर चुकी है और उसके पास कोई बेटा नहीं है।
ओवैसी ने कहा कि 'इस पर बीजेपी क्या कहेगी? आप वहाँ सत्ता में हैं।'
बहरहाल, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने शनिवार को समान नागरिक संहिता को लेकर कहा कि यह सभी मुसलिम महिलाओं के लिए एक मुद्दा है। उन्होंने कहा, 'हर कोई यूसीसी का समर्थन करता है। कोई भी मुसलिम महिला नहीं चाहती कि उसका पति तीन अन्य पत्नियों को घर ले आए… तीन शादियां करें। ऐसा कौन चाहेगा? यह मेरा मुद्दा नहीं है, यह मुसलिम माताओं और महिलाओं के लिए एक मुद्दा है।'
वैसे, हिमंत बिस्व सरमा मुसलिमों को लेकर आक्रामक बयान देते रहे हैं। उन्होंने मार्च महीने में कहा था कि असम की आबादी में 35 फ़ीसदी मुसलमान हैं और अब उन्हें 'अल्पसंख्यक' नहीं माना जा सकता है। इसके साथ ही उन्होंने कश्मीर का ज़िक्र करते हुए कश्मीरी पंडितों जैसा हाल होने की आशंका जताई थी।
उससे पहले जुलाई 2021 में सरमा ने कहा था कि उनकी सरकार जल्द ही महिलाओं से शादी करने के लिए धार्मिक पहचान व ऐसी ही दूसरी जानकारी छुपाने वालों के ख़िलाफ़ क़ानून लाएगी।
पिछले साल ही सरमा की आलोचना तब हुई थी जब उन्होंने एक अपराध में शामिल अभियुक्तों के नामों को ट्विटर पर लिखा था। वे सभी अभियुक्त मुसलमान थे। वह एक समय मुसलमानों को दो बच्चे रखने की नसीहत दे रहे थे।