असम: व्यवसायी को एनकाउंटर, जिहादी लिंक की धमकी, 5 पुलिसकर्मी गिरफ्तार
असम में एक व्यवसायी रबीउल इस्लाम के साथ अजीबोगरीब घटनाएँ घटीं। आधी रात पुलिस घर में घुसी। उन्हें खींचकर बाहर निकाला। 'ड्रग्स और नकदी' के बारे में पूछताछ की। घर की तलाशी ली। फिर मारपीट की। और आख़िर में एनकाउंटर तक बात पहुँच गई। करोड़ों रुपये की फिरौती मांगी गई और नहीं देने पर एनकाउंटर करने की धमकी दी गई। रबीउल इस्लाम के ऐसे ही आरोपों के बाद एफ़आईआर दर्ज की गई और पाँच पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ़्तार किए गए लोगों में एक आईपीएस अधिकारी भी शामिल हैं।
यह मामला असम के बजली जिले का है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों सहित नौ लोगों को राज्य अपराध जांच विभाग यानी सीआईडी ने गिरफ्तार किया है। व्यवसायी रबीउल इस्लाम ने अन्य बातों के अलावा आरोप लगाया कि उन्हें पुलिस ने गलत तरीके से हिरासत में लिया और 2.5 करोड़ रुपये देने के लिए कहा। उन्होंने आरोप लगाया है कि रुपये नहीं देने पर धमकी दी गई कि उन्हें मुठभेड़ में मार दिया जाएगा और उनकी हत्या को "पाकिस्तानी और बांग्लादेशियों के साथ संबंध" बताकर सही ठहराया जाएगा।
यह घटना उस असम राज्य की है जहाँ के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा लगातार मुस्लिमों को लेकर बयान देते रहे हैं। सरमा ने कर्नाटक चुनाव के दौरान भी मुस्लिमों पर खूब भाषण दिए थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि बांग्लादेश के लोग पूर्वोत्तर के राज्यों में आकर वहां की सभ्यता और संस्कृति को नष्ट कर रहे हैं। उन्होंने इसी साल मई में कहा था कि जो कोई भी मदरसों को बंद करता है और समान नागरिक संहिता की बात करता है, वह वास्तव में भारतीय मुसलमानों का हितैषी है।
उनकी आलोचना तब भी हुई थी जब उन्होंने एक अपराध में शामिल अभियुक्तों के नामों को ट्विटर पर लिखा था। वे सभी अभियुक्त मुसलमान थे। सवाल उठा था कि कई अपराधों में हिंदू समुदाय के भी लोग पुलिस की पकड़ में आते हैं, तब भी क्या वह उनके नाम इसी तरह ट्विटर पर लिखते हैं? वह मुसलमानों को दो बच्चे रखने की नसीहत देते रहे हैं। चुनाव से पहले तो हिमंत एआईयूडीएफ़ के अध्यक्ष बदरूद्दीन अज़मल को जिन्ना बता चुके हैं। लंबे वक़्त तक कांग्रेस की राजनीति करने वाले सरमा कुछ साल पहले ही बीजेपी में आए हैं। इसके बाद से ही वह मुसलमानों के ख़िलाफ़ विवादित बयान देते रहे हैं।
बहरहाल, असम के व्यवसायी रबीउल इस्लाम की शिकायत के बाद कार्रवाई की गई। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अपनी शिकायत में इस्लाम ने आरोप लगाया कि डराना-धमकाना 16 जुलाई को शुरू हुआ जब पुलिसकर्मी रात करीब 1.30 बजे उसके परिवार के घर में घुस आए और उससे "ड्रग्स और नकदी" के बारे में पूछने लगे। उन्होंने शिकायत में कहा कि पुलिस अधिकारियों ने उन्हें 'कम से कम दो से तीन घंटे तक मुक्का और लात मारी', बिना वारंट के उनके घर की तलाशी ली और कई सामान ले गए।
उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें एसपी के आवास पर ले जाया गया, जहां एसपी ने उनसे पूछताछ की। पूछताछ के दौरान, कथित तौर पर पुलिस अधिकारी द्वारा उन पर कई बार हमला किया गया। बाद उन्हें एक डिटर्जेंट फैक्ट्री में ले जाया गया। उन्होंने शिकायत में आरोप लगाया, 'उन्होंने मुझे भागने के लिए कहा और उन्होंने मुझसे कहा कि असम के पुलिस महानिदेशक के निर्देशानुसार वे मुझे अपने हैंडगन से गोली मार देंगे।' उन्होंने कहा, 'उसी समय, दूसरी कार से एक अन्य व्यक्ति, जो हमारा पीछा कर रहा था, मेरे पास आया और मुझसे हिंदी में कहा कि मैं यह स्वीकार कर लूं कि मेरे जिहादी तत्वों के साथ संबंध हैं और मैंने अपनी सभी संपत्तियाँ अवैध रूप से हासिल कर ली हैं।'
उन्होंने आरोप लगाया, 'जब मैंने ऐसा करने से इनकार कर दिया तो उस व्यक्ति ने एक बंदूक निकाली और मुझे गोली मारने की कोशिश की और मुझसे 2.5 करोड़ रुपये की मांग की। उसने मुझसे कहा कि वह एक एनकाउंटर स्पेशलिस्ट है और अगर मैंने उक्त राशि का भुगतान नहीं किया, तो वह मुझे मार डालेगा और पुलिस यह दिखा देगी कि यह एक मुठभेड़ है और मेरे पाकिस्तानी व बांग्लादेशी जिहादी तत्वों के साथ संबंध हैं।'
उन्होंने आरोप लगाया कि जब उन्होंने पैसों की मांग मान ली तो उन्हें पुलिस स्टेशन ले जाया गया। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने 10 लाख रुपये नकद दिए और उनकी मां ने अपने बैंक खाते से 10-10 लाख रुपये के 21 चेक जारी किए।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार सोमवार को असम पुलिस ने 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी सिद्धार्थ बुरागोहन को गिरफ्तार कर लिया, जो दो दिन पहले असम पुलिस मुख्यालय में स्थानांतरित होने से पहले बजली के पुलिस अधीक्षक थे। पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय) पुष्कल गोगोई, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गायत्री सोनोवाल, उनके पति सुभाष चंदर, उप-निरीक्षक देबजीत गिरी और कांस्टेबल इंजमामुल हसन को भी गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार किए गए तीन अन्य लोगों में एक किशोर बरुआ और पुलिस ड्राइवर नबीर अहमद और दीपजॉय कलिता शामिल हैं।
रिपोर्ट के अनुसार असम के डीजीपी जीपी सिंह ने शुक्रवार को कहा कि पुलिस को बजली पुलिस अधिकारियों द्वारा पैसे की मांग की शिकायत मिलने के बाद, सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय को जाल बिछाने का निर्देश दिया गया था, लेकिन सफल नहीं हो सके। हालाँकि, उन्होंने कहा कि क्योंकि शिकायत "प्रथम दृष्टया सही" पाई गई इसलिए एफआईआर दर्ज की गई।
रिपोर्ट के अनुसार 31 अगस्त को इस्लाम की शिकायत के आधार पर असम सीआईडी ने आईपीसी की कई धाराओं के तहत एक एफआईआर दर्ज की, जिसमें हत्या का प्रयास, जबरन वसूली के लिए मौत का डर पैदा करना, आपराधिक धमकी, गलत कारावास और आपराधिक साजिश शामिल है।