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पायलट पर बोले गहलोत-अनुशासन बनाए रखें, बयानबाजी से बचें

पायलट पर बोले गहलोत-अनुशासन बनाए रखें, बयानबाजी से बचें

राजस्थान कांग्रेस में क्या फिर से वो बखेड़ा खड़ा होगा जो अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमे के बीच अक्सर होता रहा है? जानिए, पायलट के बयान पर गहलोत ने क्या जवाब दिया।

सचिन पायलट के एक बयान ने फिर से आज राजस्थान कांग्रेस में खलबली मचा दी। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी माने जाने वाले अशोक गहलोत को लेकर जब बयान दिया तो गहलोत की भी प्रतिक्रिया आई। दोनों ने एक-दूसरे पर कटाक्ष किया। पहले सचिन ने और फिर बाद में गहलोत ने। सचिन के बयान के संदर्भ में गहलोत ने नसीहत दे डाली कि पार्टी के नेता अनुशासन बनाए रखें और बयानबाजी से बचें।

गहलोत अलवर की यात्रा के दौरान पत्रकारों से बात कर रहे थे। एएनआई के अनुसार गहलोत ने कांग्रेस महासचिव का ज़िक्र करते हुए कहा, 'केसी वेणुगोपाल ने बयान नहीं देने को कहा है। हम भी चाहते हैं कि सभी नेता अनुशासन बनाए रखें।' मुख्यमंत्री ने कहा कि पार्टी का ध्यान राजस्थान में सरकार बरकरार रखने पर होना चाहिए, जहाँ क़रीब 13 महीने में मतदान होना है।

समझा जाता है कि पार्टी नेताओं को अशोक गहलोत की यह नसीहत उनके प्रतिद्वंद्वी सचिन पायलट को लेकर है जिन्होंने आज ही गहलोत को लेकर तीखा बयान दिया है।

सचिन पायलट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तारीफ किए जाने का ज़िक्र करते हुए पायलट ने बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री ने जिस तरह अशोक गहलोत की तारीफ़ की है वह दिलचस्प घटनाक्रम है क्योंकि इसी तरह प्रधानमंत्री ने संसद में कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद की तारीफ़ की थी और उसके बाद क्या हुआ, यह हम सब जानते हैं। 

पायलट का यह बयान गहलोत पर बड़ा आरोप लगाने वाला था। ऐसा इसलिए कि कांग्रेस और सोनिया गांधी के बेहद वफादार माने जाने वाले गुलाम नबी आज़ाद ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी है। लेकिन उनके पार्टी छोड़ने से पहले फरवरी, 2021 में गुलाम नबी आज़ाद के राज्यसभा से विदाई समारोह के मौक़े पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में बेहद भावुक हो गए थे और उन्होंने आज़ाद की तारीफ़ की थी। 

तो क्या जिस तरह की तारीफ़ गुलाम नबी आज़ाद की प्रधानमंत्री मोदी ने पहले की थी, क्या उससे तुलना अशोक गहलोत की तारीफ़ वाले बयान से की जा सकती है?

कम से कम सचिन पायलट के बयान से तो यही संकेत मिलता है। पायलट भी कांग्रेस के ही नेता हैं और इस वजह से उनके बयान को हल्के में नहीं लिया जाएगा। लेकिन पायलट उनके प्रतिद्वंद्वी के तौर पर भी हैं और इस वजह से उनके बयान को विरोधी के तौर पर भी लिया जाएगा। लेकिन सच क्या है, वह तो प्रधानमंत्री मोदी के बयान से भी साफ़ पता चलता है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मानगढ़ में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि मुख्यमंत्री रहते हुए वह और अशोक गहलोत एक साथ काम करते रहे हैं और अशोक गहलोत सबसे सीनियर मुख्यमंत्रियों में से एक हैं। 

बहरहाल, इस बयान के मायने कुछ भी हों, लेकिन इसके मायने तो कांग्रेस के ही नेता कुछ और निकाल रहे हैं। प्रधानमंत्री के उसी बयान को लेकर अब पायलट के स्वर तीखे हो गए हैं। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को अब राजस्थान को लेकर कोई फ़ैसला तुरत करना चाहिए। पायलट ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष को उन विधायकों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करनी चाहिए जिन्होंने सितंबर में पार्टी नेतृत्व के ख़िलाफ़ बगावत की थी।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन जब सितंबर के महीने में बतौर पर्यवेक्षक राजस्थान पहुँचे थे तो गहलोत समर्थक विधायक जयपुर में बुलाई गई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में नहीं पहुँचे थे। इन विधायकों ने बैठक में पहुँचने के बजाय कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर बैठक की थी और फिर स्पीकर सीपी जोशी को अपने इस्तीफ़े सौंप दिए थे। इसके बाद कांग्रेस हाईकमान ने गहलोत के समर्थकों- शांति धारीवाल, महेश जोशी और विधायक धर्मेंद्र राठौड़ को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।

अब सचिन पायलट ने कहा कि वह कांग्रेस अध्यक्ष से अनुरोध करते हैं कि वह इस तरह की अनुशासनहीनता के खिलाफ कार्रवाई करें।

वैसे, जिस अनुशासनहीनता की बात पायलट कर रहे हैं, वैसा ही कुछ उनके खेमे ने साल 2020 में किया था। ऐसा ही सियासी संकट तब खड़ा हुआ था जब पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ गुड़गांव के पास मानेसर में स्थित एक रिजॉर्ट में चले गए थे। तब कई दिनों तक अशोक गहलोत और सचिन पायलट के खेमे आमने-सामने रहे थे और कांग्रेस हाईकमान को दखल देकर इस सियासी संघर्ष को खत्म करना पड़ा था।

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