राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को राज्य में जातिगत जनगणना करवाने की घोषणा की है। इसके साथ ही उन्होंने ओबीसी आरक्षण 21 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने और मूल ओबीसी के लिए अलग से 6 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की है। गहलोत ने बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम में विश्व आदिवासी दिवस पर ये बातें कही। राहुल गांधी की उपस्थिति में अशोक गहलोत ने ये घोषणाएं की हैं।
सभा में उन्होंने कहा, राहुल गांधी ने कहा कि जातिगत जनगणना होनी चाहिए तो पूरे देश में इसका मैसेज चला गया। आपकी भावना के हिसाब से राजस्थान में जातिगत जनगणना शुरू होगी। जाति के आधार पर जिसका जितना हक है, उसे मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की सोच को हम आगे बढ़ाना चाहते हैं।
बाद में उन्होंने बुधवार की रात ट्विटर पर एक ट्विट कर इसके बारे में जानकारी दी है। इसमें उन्होंने कहा है कि राजस्थान में वर्तमान में जारी अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) के लिए 21 प्रतिशत आरक्षण के साथ 6 प्रतिशत अतिरिक्त आरक्षण दिया जाएगा जो ओबीसी वर्ग की अति पिछड़ी जातियों के लिए रिजर्व होगा।
ओबीसी वर्ग में अति पिछड़ी जातियों की पहचान के लिए ओबीसी आयोग द्वारा सर्वे किया जाएगा एवं आयोग समयबद्ध तरीके से रिपोर्ट देगा। इससे अति पिछड़ी जातियों को शिक्षा एवं सरकारी क्षेत्र में सेवा के अधिक मौके मिल सकेंगे। एससी-एसटी के विभिन्न संगठन भी जनसंख्या के आधार पर आरक्षण की मांग लगातार कर रहे हैं। सरकार इस मांग का भी परीक्षण करवा रही है। इडब्लूएस वर्ग के 10 प्रतिशत आरक्षण में राजस्थान सरकार ने अचल संपत्ति की शर्त को हटाया था जिससे इस वर्ग को भी आरक्षण का लाभ पूरी तरह मिलना सुनिश्चित हो सका।
राजस्थान में अब 70 प्रतिशत हो जाएगा आरक्षण
राजस्थान में अभी एससी को 16 प्रतिशत, ST को 12 प्रतिशत, ओबीसी को 21 प्रतिशत, ईडब्लूएस को 10 प्रतिशत और एमबीसी को 5 प्रतिशत आरक्षण है। ओबीसी का आरक्षण बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने के बाद राजस्थान में अब कुल 70 प्रतिशत आरक्षण हो जाएगा। राजस्थान में अभी ओबीसी की 82 जातियां हैं। माना जा रहा है कि चुनावी साल में ओबीसी वोट बैंक को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए अशोक गहलोत ने यह बड़ा सियासी कदम उठाया है। राज्य में ओबीसी आरक्षण को बढ़ाने की मांग लंबे समय से की जा रही थी। चुनाव से पहले ओबीसी आरक्षण का दायरा बढ़ने से कांग्रेस को राजस्थान में फायदा मिल सकता है। कई राजनैतिक विश्लेषक सरकार के इस कदम को गेम चेंजर फैसला मान रहे हैं।इतने कम समय में जातिगत जनगणना मुश्किल
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जातिगत जनगणना करवाने की घोषणा तो कर दी है लेकिन इसके लिए उनके पास काफी कम समय है। विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने में करीब तीन महीने से भी कम समय शेष है। ऐसे में इतने कम समय में जातिगत जनगणना पूरी करना मुश्किल दिख रहा है। माना जा रहा है कि आचार संहिता लगते ही यह मामला अटक जाएगा।जातिगत जनगणना के लिए घर-घर जाकर सर्वे करना होता है। इसके लिए सरकार को काफी तैयारियां करनी होगी। कर्मियों और अधिकारियों को इसकी ट्रेनिंग देनी होगी। पूरी प्रशासनिक मशीनरी को जनगणना के अभियान के लिए उतारना होगा।
राजस्थान विधानसभा में पिछले दिनों राज्य सरकार ने जातिगत जनगणना को लेकर संकल्प पारित करके केंद्र सरकार को भेजा था। इस संकल्प में केंद्र सरकार से जातिगत जनगणना करवाने की मांग की गई थी। साथ में पुराने आंकड़े सार्वजनिक करने की मांग की गई थी।