मान की गैर हाजिरी में केजरीवाल ने ली बैठक, विपक्ष हमलावर
पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले ही कई सियासी दल आरोप लगाते थे कि अगर आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तो यह दिल्ली से चलेगी। उनका सीधा मतलब यह था कि पंजाब में मुख्यमंत्री कोई भी हो लेकिन उसे आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इशारे पर ही काम करना होगा।
पंजाब में सोमवार को अरविंद केजरीवाल ने राज्य के अफसरों की बैठक ली और अहम बात यह है कि इस बैठक में मुख्यमंत्री भगवंत मान नहीं थे। इसके बाद इस तरह की चर्चाएं फिर से सिर उठाने लगी हैं।
यह जानकारी सामने आने के बाद पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आम आदमी पार्टी की सरकार पर हमला बोला है।
केजरीवाल ने सोमवार को पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के बड़े अफसरों के साथ बैठक की। इस बैठक में मुख्य सचिव और ऊर्जा महकमे के सचिव भी शामिल थे।
नवजोत सिंह सिद्धू ने ट्वीट कर कहा है कि केजरीवाल के द्वारा भगवंत मान की गैर हाजिरी में अफसरों की बैठक लेना फेडरेलिज्म (संघीय व्यवस्था) का पूरी तरह उल्लंघन है और पंजाबी स्वाभिमान का अपमान है। उन्होंने कहा है कि दोनों को इस बारे में अपनी बात साफ करनी चाहिए।
चलने दो आंधियाँ हकीकत की, न जाने कौन से झोंके से बहरूपियों के मुखौटे उड़ जाएं
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) April 12, 2022
Punjabs IAS officers summoned by @ArvindKejriwal in CM @BhagwantMann’s absence. This exposes the Defacto CM & Delhi remote control. Clear breach of federalism, insult to Punjabi pride. Both must clarify
जबकि लगभग 10 साल तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि बुरा होने का डर था, बुरा हो गया। अमरिंदर सिंह ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने उम्मीद से पहले ही पंजाब पर हक जमा लिया है और भगवंत मान रबर स्टाम्प बनकर रह गए हैं।
आम आदमी पार्टी को विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल हुई है और इसका बड़ा श्रेय भगवंत मान को जाता है। लेकिन इस बात की आशंका पंजाब के राजनीतिक विश्लेषक लगाते रहे हैं कि भगवंत मान कहीं अरविंद केजरीवाल के अनुसार चलने को मजबूर ना हो जाएं।
मान के लिए मुश्किल?
पंजाब का मिजाज रहा है कि वह दिल्ली के सामने हमेशा डट कर खड़ा रहा है। कृषि कानूनों के मसले पर हुए जोरदार आंदोलन के दौरान भी पंजाब के किसानों ने झुकने से इनकार कर दिया था और बाद में सरकार को ही अपने कदम वापस खींचने पड़े थे। ऐसे में विपक्षी दलों ने केजरीवाल के द्वारा पंजाब सरकार के काम में दखलंदाजी को पंजाब के स्वाभिमान का मुद्दा बना लिया तो आम आदमी पार्टी और भगवंत मान के लिए खासी मुश्किल खड़ी हो जाएगी।
प्रवक्ता ने किया बचाव
हालांकि आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता ने इस बैठक का बचाव करते हुए कहा है कि विपक्षी दलों को इसका स्वागत करना चाहिए। आप के प्रवक्ता मलविंदर सिंह कंग ने कहा कि पार्टी लगातार अरविंद केजरीवाल से दिशा-निर्देश लेती है और अगर पंजाब की भलाई के लिए कुछ बेहतर कदम उठाए जाते हैं तो विपक्ष को इसकी आलोचना करने के बजाए इसका समर्थन करना चाहिए।
उठे थे सवाल
2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री के चेहरे का एलान न करने पर यह सवाल उठा था कि क्या केजरीवाल पंजाब का मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। 2022 में यह सवाल फिर से उठा लेकिन चुनाव से एक महीने पहले केजरीवाल ने भगवंत मान को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में आगे किया था। लेकिन इसमें हुई देरी के कारण केजरीवाल बुरी तरह घिर गए थे। आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता और कवि कुमार विश्वास की ओर से इस मामले में लगाए गए आरोपों के कारण भी पंजाब की सियासत गर्म रही थी।