अरुणाचल प्रदेश पुलिस ने उस रिपोर्ट के आधार पर जाँच शुरू की है जिसमें बताया गया है कि चीन-भारत सीमा पर ऊपरी सुबनसिरी ज़िले में एक जंगल में शिकार करने गए पाँच लोगों को कथित तौर पर चीनी सेना ने अगवा कर लिया था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बात की जानकारी दी है। दूसरी तरफ़ पासीघाट के कांग्रेस विधायक निनॉन्ग एरिंग ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि सेना अपहरण की बात को छिपा रही है, जबकि अरुणाचल में पीएलए की घुसपैठ कोई नई बात नहीं है।
ज़िले के नाचो इलाक़े में शुक्रवार को कथित तौर पर यह घटना हुई, उनके परिवार वालों ने बताया। कथित तौर पर अगवा किए गए लोगों की पहचान टोच सिंगकम, प्रसात रिंगलिंग, डोंग्टू इबिया, तनु बेकर और नारगु डिरी के रूप में की गई है। ये सभी तागिन समुदाय के हैं। दो अन्य व्यक्ति जो समूह में थे, भागने में सफल रहे और उन्होंने पुलिस को सूचित किया।
पुलिस अधीक्षक तारू गुसार ने कहा, ‘मैंने तथ्यों को सत्यापित करने के लिए नाचो पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को क्षेत्र में भेजा है और उन्हें तुरंत रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है’।
ज़िला मुख्यालय द्रोपिजो में रहने वाले उनके परिवार के सदस्यों ने कहा कि उनके कुछ रिश्तेदार भारतीय सेना के साथ इस मामले पर चर्चा करने के लिए नाचो के लिए रवाना हुए थे। नाचो ज़िला मुख्यालय से लगभग 120 किलोमीटर दूर है। परिजनों ने अधिकारियों से उन्हें वापस लाने के लिए क़दम उठाने का आग्रह किया।
पासीघाट पश्चिम के विधायक निनॉन्ग एरिंग ने कहा कि इस घटना के लिए चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को जवाब दिया जाना चाहिए।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘हमारे राज्य अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी ज़िले के पाँच लोगों का कथित तौर पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने अपहरण कर लिया है। कुछ महीने पहले भी इसी तरह की घटना हुई थी।’
मार्च में मैकमोहन रेखा के पास आसपिला सेक्टर से पीएलए द्वारा एक 21 वर्षीय व्यक्ति का अपहरण कर लिया गया था। टोगली सिंकम नामक व्यक्ति को बंदूक़ की नोक पर ले जाया गया, जबकि उनके दो दोस्त भागने में सफल रहे। उनके परिवार वालों ने बताया। 19 दिनों की कैद में रखने के बाद चीनी सेना द्वारा युवा को रिहा कर दिया गया।
निनॉन्ग एरिंग ने कहा कि घटना के संबंध में नाचो के उपायुक्त (डीसी) से उन्होंने बात की थी लेकिन डीसी ने कहा कि उन्हें इस तरह के घटनाक्रम की जानकारी नहीं है। एरिंग ने कहा कि हालाँकि सेना को घटना के बारे में पता है, वह इसका खुलासा करने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि सात जवान ऐसे थे जो भारतीय सेना के साथ पोर्टर्स के रूप में गए थे, लेकिन सेना इसका खुलासा नहीं कर रही है। एरिंग ने कहा कि सेना अक्सर स्थानीय युवकों को सामान लादने के लिए पोर्टर नियुक्त करती है और तवांग में भी यह प्रथा प्रचलित है। एरिंग ने कहा कि युवक सेना के सामान को पहुँचाने के बाद मछली पकड़ने या शिकार के लिए गए होंगे, लेकिन यह निश्चित है कि वे सेना के साथ गए थे।
एरिंग ने कहा, ‘चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) भारतीय क्षेत्र में अंदर तक कैसे आ सकती है, जब भारत-चीन सीमा नाचो से दूर है।’
एरिंग ने दोहराया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेतृत्व वाली केंद्र सरकार हमेशा से भारत की धरती पर चीन की उपस्थिति का खंडन करती रही है, लेकिन इस घटना ने साबित कर दिया है कि पीएलए चुपचाप भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करती है। उन्होंने कहा कि चीन हताशा की वजह से ऐसी हरकतें कर रहा है क्योंकि कई देशों ने चीनी उत्पादों और मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया है। जब भी डोकलाम या लद्दाख में भारत और चीन के बीच गतिरोध होता है तो चीन अरुणाचल प्रदेश पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करता है।
एरिंग ने यह भी कहा कि चीन ने दिबांग घाटी तक सड़क का निर्माण किया है और यह उपग्रह चित्रों से स्पष्ट है।
एरिंग ने कहा, ‘हालाँकि मैंने इस घटना पर ट्वीट किया है, पीएमओ ने इस घटना के बारे में कोई पुष्टि नहीं की है। उपायुक्त को घटना की पुष्टि करने के लिए भी समय लगेगा क्योंकि घटनास्थल तक पहुँचने में सात दिन लगते हैं।’