आर्मी ने कहा है कि हिंसा प्रभावित मणिपुर के मोरेह और कांगपोकपी इलाकों में स्थिति नियंत्रण में है और स्थिर बनी हुई है। सेना ने कहा कि मिलीजुली कार्रवाई के माध्यम से स्थिति को नियंत्रण में लाया गया है। IAF के विमानों से 4 मई की रात को हिंसा में फंसे लोगों को निकाला गया। आज 5 मई की सुबह भी काफी लोगों को हिंसा वाले क्षेत्रों से निकाला गया है। सेना ने कहा कि चुराचांदपुर और अन्य संवेदनशील इलाकों में फ्लैग मार्च अभी भी जारी है। हिंसा प्रभावित इलाकों में देखते ही गोली मारने का आदेश अभी वापस नहीं हुआ है। यह आदेश कल गुरुवार को जारी हुआ था।
सेना का कहना है कि निहित स्वार्थों के लिए कुछ शरारती तत्व असम राइफल्स पोस्ट पर हमले के फर्जी वीडियो और मणिपुर में सुरक्षा स्थिति पर नकली वीडियो प्रसारित कर रहे हैं। सेना ने इन पर भरोसा नहीं करने को कहा है। सभी से सिर्फ आधिकारिक और सत्यापित स्रोतों के माध्यम से मिली सामग्री पर भरोसा करने का अनुरोध किया है। सेना ने कहा कि वो ऑनलाइन फर्जी वीडियो के प्रसार को लेकर सतर्क है।
इस बीच पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने मणिपुर जाने वाली सभी ट्रेनों को बंद कर दिया है। एनएफ रेलवे के सीपीआरओ सब्यसाची डे ने कहा कि ''स्थिति में सुधार होने तक कोई ट्रेन मणिपुर में नहीं जा रही है। मणिपुर सरकार ने ट्रेन की आवाजाही बंद करने की सलाह के बाद यह फैसला लिया गया है।
असम के मुख्यमंत्री ने कछार के जिला प्रशासन से मणिपुर से आए परिवारों की देखभाल करने को कहा है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने ट्वीट किया, "मणिपुर में हाल की घटनाओं से प्रभावित कई परिवारों ने असम में शरण ली है। मैंने कछार के जिला प्रशासन से इन परिवारों की देखभाल करने का अनुरोध किया है। मैं मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के साथ भी लगातार संपर्क में हूं।
पूर्वोत्तर के कई राज्यों ने मणिपुर से आए परिवारों के लिए हेल्पलाइन शुरू कर दी है। मिजोरम, नागालैंड, असम, अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में मणिपुर के काफी परिवारों ने शरण ली है। कुछ को सेना के विमानों से भी पहुंचाया गया है।
हिंसा क्यों हुई, कौन जिम्मेदार
ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (ATSUM) ने बुधवार (3 मई) को 'आदिवासी एकजुटता मार्च' निकाला। उस दौरान मणिपुर में विभिन्न स्थानों पर हिंसक झड़पें हुईं। सेना और असम राइफल्स ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। बुधवार का मार्च लंबे समय से चली आ रही मांग का विरोध करने के लिए बुलाया गया था कि मेइती समुदाय को राज्य की अनुसूचित जनजातियों (एसटी) की सूची में क्यों शामिल किया गया। पिछले महीने मणिपुर हाईकोर्ट ने इस समुदाय को एसटी दर्जा देने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के आदेश का राज्य के आदिवासी समुदायों के समूहों ने कड़ा विरोध किया। बीजेपी लंबे समय से मेइती समुदाय को एसटी दर्जा दिलाने का वादा कर रही थी। राज्य के तमाम जनजातीय समूह मानते हैं कि बीजेपी ने सारे मामले में घालमेल किया है। उसकी नजर मेइती समुदाय के 51 फीसदी वोटों पर है।
मणिपुर की बीजेपी सरकार हालात को भांप नहीं पाई। अप्रैल में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह एक जिम का उद्घाटन करने पहुंचे तो उनका भारी विरोध हुआ। उन्हें उद्घाटन नहीं करने दिया गया। वो वापस लौट गए। उस मौके पर वहां भयानक हिंसा हुई। बीरेन सिंह बाकी आशंकित जनजातीय समूहों को यह भरोसा नहीं दे पाए कि उनके हित सुरक्षित हैं।
कांग्रेस ने भी मणिपुर हिंसा के लिए बीजेपी की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मणिपुर जल रहा है। भाजपा ने समुदायों के बीच दरार पैदा कर दी है और एक सुंदर राज्य की शांति को नष्ट कर दिया है। इस गड़बड़ी के लिए बीजेपी की नफरत, बंटवारे की राजनीति और सत्ता का लालच जिम्मेदार है. हम सभी पक्षों के लोगों से संयम बरतने और शांति की अपील करते हैं। एक ट्वीट में राहुल गांधी ने कहा कि वह मणिपुर की तेजी से बिगड़ती कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर बहुत चिंतित हैं। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री को शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने पर ध्यान देना चाहिए। मैं मणिपुर के लोगों से शांत रहने का आग्रह करता हूं।"