दक्षिण भारत की अप्सरा रेड्डी को कांग्रेस पार्टी में अनोखा गौरव हासिल हुआ है। वह पहली ट्रांसजेंडर हैं जिन्हें कांग्रेस ने राष्टीय स्तर पर पदाधिकारी बनाया है। अप्सरा रेड्डी को पार्टी की महिला इकाई यानी ऑल इंडिया महिला कांग्रेस का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है। अप्सरा को महासचिव बनाये जाने की घोषणा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी और ऑल इंडिया महिला कांग्रेस की अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य सुष्मिता देब की मौजूदगी में की गई।
अप्सरा रेड्डी तमिलनाडु की राजनीति में जाना-पहचाना नाम है। वे काफ़ी समय तक जयललिता की पार्टी ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) की प्रवक्ता रहीं। वह तमिल भाषी ख़बरिया चैनलों के अलावा कई अंग्रेज़ी के नेशनल चैनलों पर दमदार तरीके से पार्टी का रुख़ पेश कर चुकी हैं। जयललिता के निधन के बाद पार्टी नेताओं के बीच उभरे मतभेदों की वजह से वे अलग-अलग वर्गों के बीच सत्ता की राजनीति में फँस गईं। सूत्रों का कहना है कि अप्सरा जयललिता की सबसे क़रीबी रहीं शशिकला की क़रीबी हैं। भ्रष्टाचार के एक मामले में शशिकला के जेल जाने के बाद अप्सरा को किसी नेता ने तवज्जो नहीं दी। मुख्यमंत्री पलानिसामी और उपमुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम दोनों ने अप्सरा को इस वजह से दूर रखा क्योंकि वे अप्सरा को शशिकला के क़रीबी के तौर पर ही जानते थे और इनके लिए अप्सरा पर भरोसा करना आसान नहीं था। पार्टी में वांछित महत्त्व न मिलने की वजह से अप्सरा ने पार्टी छोड़ने का मन बना लिया। वैसे भी जयललिता की मृत्यु के बाद उन्हें पार्टी का भविष्य उज्जवल नहीं नज़र आ रहा था। अप्सरा कुछ समय के लिए भारतीय जनता पार्टी में भी गई थीं। लेकिन पार्टी उन्हें रास नहीं आई और एक महीने में ही उन्होंने पार्टी छोड़ दी। अब राहुल गाँधी और सुष्मिता देब की वजह से उन्हें इस राष्ट्रीय पार्टी में बड़ा पद मिला है।
अप्सरा रेड्डी की कई ख़ूबियाँ हैं। वह अंग्रेज़ी की अच्छी वक्ता हैं। कई मुद्दों पर उनकी पकड़ मज़बूत है। पत्रकार और लेखिका के नाते उन्होंने कई विषयों का अध्ययन किया है, कई आंदोलनों में हिस्सा लिया है।
अप्सरा ने समलैंगिकों और ट्रांसजेंडरों के अधिकारों के लिए काफ़ी संघर्ष किया है। एलजीबीटी कम्युनिटी यानी लेस्बियन, गे, बाईसेक्सुअल और ट्रांसजेंडर कम्युनिटी की जानी-मानी हस्ती हैं।
अप्सरा का संबंध आंध्रप्रदेश के नेल्लूरू जिले के एक तेलुगु भाषी परिवार से है। उनके पिता आकर चेन्नई में बस गए थे। पिता बड़े कारोबारी हैं। अप्सरा की स्कूली शिक्षा चेन्नई में हुई है। उन्होंने विदेश में भी पढ़ाई की है। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में ग्रेजुएशन किया। अप्सरा ने लंदन से पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई की और फिर बाद में देश-विदेश के कुछ मीडिया संस्थानों में काम भी किया। इसके बाद जयललिता से प्रभावित होकर राजनीति में आ गईं।
- ग़ौर करने वाली बात यह भी है कि दक्षिण के राज्यों, विशेषकर, तमिलनाडु में एलजीबीटी कम्युनिटी के लोगों की संख्या अच्छी-ख़ासी है। अप्सरा इस छोटे लेकिन असरदार वोट-बैंक को कांग्रेस की तरफ़ खींच सकती हैं।
कांग्रेस का दामन थामते ही अप्सरा ने राहुल गाँधी और सुष्मिता देब की जमकर तारीफ़ की। अप्सरा ने अपने बयान में कहा कि लोगों की सेवा के लिए कांग्रेस पार्टी उनके लिए सबसे बेहतर विकल्प है। राहुल गाँधी युवा हैं और भारत को लेकर उनकी एक दृष्टि है। राहुल गाँधी का पार्टी में महिलाओं के साथ बराबरी का व्यवहार है। अप्सरा का कहना है कि उन्होंने अपनी ज़िंदगी में काफ़ी तकलीफ़ें उठाई हैं। कई लोगों ने उनका मज़ाक बनाया, लेकिन वह घबराई नहीं और लोगों के अधिकारों के लिए लड़ती रही हैं। एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपनी अलग पहचान बनाने वाली अप्सरा कहती हैं कि जिस तरह से देश की सबसे पुरानी और बड़ी पार्टी में उनका स्वागत हुआ है उससे वह बहुत खुश हैं और पार्टी को मज़बूत करने में अपनी पूरी ताक़त झोंक देंगी।