महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख 100 करोड़ रुपये वसूली के मामले में लगभग एक साल बाद जेल से छूट गए हैं। हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद सीबीआई ने अनिल देशमुख की जमानत की अर्जी खारिज करने के लिए एक बार फिर बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसे अदालत ने अस्वीकार कर दिया था। इसके बाद अनिल देशमुख का जेल से बाहर आने का रास्ता साफ़ हो गया था। अनिल देशमुख एक साल से जेल में बंद थे। अनिल देशमुख का स्वागत करने के लिए एनसीपी के बड़े नेता अजित पवार, महाराष्ट्र एनसीपी अध्यक्ष जयंत पाटील और दूसरे बड़े नेता ऑर्थर रोड जेल के बाहर मौजूद रहे।
देशमुख को मनी लॉन्ड्रिंग के दूसरे मामले में पहले ही जमानत मिल चुकी थी। देशमुख पर मुंबई के रेस्टोरेंट और बार से हर महीने 100 करोड़ रुपए वसूली करवाने का आरोप लगा था जिसके बाद अनिल देशमुख को प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले साल गिरफ्तार कर लिया था।
पिछले एक साल से जेल में बंद अनिल देशमुख ने जमानत के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और उन्हें पिछले हफ्ते ही बॉम्बे हाई कोर्ट में जमानत मिल गई थी लेकिन सीबीआई ने जमानत का विरोध किया था जिसके बाद हाईकोर्ट ने सीबीआई को 10 दिन के अंदर सुप्रीम कोर्ट में जाने के लिए कहा था। सीबीआई सुप्रीम कोर्ट में जमानत का विरोध नहीं कर पाई और आखिरकार हाईकोर्ट के आदेश के बाद अनिल देशमुख की रिहाई हो गई। इससे पहले मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में अनिल देशमुख को पहले ही जमानत मिल चुकी है। देशमुख को पिछले साल प्रवर्तन निदेशालय ने 100 करोड़ रुपए की वसूली के मामले में गिरफ्तार किया था।
अनिल देशमुख बुधवार को जब मुंबई की आर्थर रोड जेल से बाहर आए तो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया। इस मौके पर एनसीपी के बड़े नेता अजित पवार, महाराष्ट्र एनसीपी अध्यक्ष जयंत पाटील और एनसीपी के बड़े नेता मौजूद रहे।
एनसीपी के मुंबई कार्याध्यक्ष नरेंद्र राणे ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार के कहने पर केंद्र सरकार ने जबरन अनिल देशमुख को जेल में बंद करके रखा हुआ था। जबकि अनिल देशमुख के ऊपर मनी लॉन्ड्रिंग का कोई मामला नहीं बनता है। राणे ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार बदले की भावना से कार्रवाई कर रही है। जेल के बाहर पत्रकारों से बातचीत में अनिल देशमुख ने कहा कि सरकार ने उन्हें फ़र्जी आरोपों के चलते फंसाया था।
प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले साल जब अनिल देशमुख को गिरफ्तार किया था तो ईडी ने हाईकोर्ट को बताया था कि जब पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर ने बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाज़े से मुंबई के रेस्टोरेंट और बार से हर महीने 100 करोड़ रुपए वसूल करने को कहा था।
ईडी ने अपनी चार्जशीट में भी उस समय बताया था कि 100 करोड़ रुपए की उगाही की बात सचिन वाज़े ने तत्कालीन पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह को बताई थी। जिसके बाद परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिखकर 100 करोड़ रुपए उगाही के मामले का खुलासा किया था।
पिछले साल ईडी ने जब अनिल देशमुख के खिलाफ अदालत में चार्जशीट फ़ाइल की थी तो उसमें बताया था कि अनिल देशमुख अक्सर सचिन वाज़े को मुलाकात के लिए अपने बंगले पर बुलाते रहते थे। इसके बाद देशमुख ने वाज़े से मुंबई के रेस्टॉरेंट, पब और बार से 100 करोड़ रुपये हफ्ता वसूलने के काम पर लगाया था। देशमुख ने अपने सरकारी निवास पर यह बात तत्कालीन डीसीपी राजू भुजबल और एसीपी संजय पाटिल से भी की थी। ईडी की चार्जशीट में यह भी बताया गया था कि वाज़े बार वालों से उगाही गयी हफ्ते की रकम अपनी कार में ही रखा करता था।
ईडी ने अनिल देशमुख पर आरोप लगाया था कि सचिन वाजे ने अनिल देशमुख के कहने पर 16 बैग के जरिए 4 करोड़ 60 लाख रुपये देशमुख के पीए कुंदन शिंदे को दिए थे। सचिन वाजे ने साथ ही यह भी खुलासा किया था कि महाराष्ट्र में आईपीएस अधिकारियों के ट्रांसफर के लिए 20 करोड़ की रक़म शिवसेना के नेता और मंत्री अनिल परब को उनके पीए बजरंग खरमाटे को दी थी। इसके बाद अनिल देशमुख के दो पीए भी ईडी के राडार पर आ गए थे और ईडी ने उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया था।
अनिल देशमुख पर आरोप था कि उन्होंने गृहमंत्री रहते हुए सचिन वाज़े से 4.60 करोड़ रुपये लिए थे। पहले इस रकम को दिल्ली की एक कंपनी को भेजा था। बाद में यह रकम डोनेशन के रूप में अनिल देशमुख के ट्रस्ट श्री साईं शिक्षण संस्थान ट्रस्ट को भेजी गई। इस ट्रस्ट की देखभाल देशमुख परिवार करता है।
बता दें कि जब मुंबई के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने अनिल देशमुख पर 100 करोड़ रुपए की उगाही का आरोप लगाया था तो पहले सीबीआई ने इस मामले में प्राथमिक जांच दर्ज की थी। जिसके बाद पैसों का लेनदेन होने के चलते प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई ने मामला दर्ज किया था। ईडी ने अपनी जांच में अनिल देशमुख को दोषी पाया था और उनको पिछले साल गिरफ्तार कर लिया था और इसी मामले में देशमुख को अक्टूबर में जमानत मिल गयी थी। हालांकि अनिल देशमुख को जेल से मुक्ति नहीं मिली थी क्योंकि सीबीआई ने भी देशमुख के खिलाफ मामला दर्ज किया था और अब अदालत से देशमुख को जमानत मिलने के बाद जेल से रिहाई हो पाई है।