लोकसभा चुनाव में अभी 4 महीने बाकी है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के बीच ज़ुबानी जंग तेज़ हो गई है। नए साल के पहले ही दिन नरेंद्र मोदी ने डेढ़ घंटे का इंटरव्यू देकर तमाम मुद्दों पर अपनी राय रखी। नेहरू-गाँधी परिवार पर सीधा हमला बोलते हुए उन्होंने कहा था कि 'नेशनल हेरल्ड' मामले में ज़मानत पर चल रहे राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी को रफ़ाल मुद्दे पर उनसे सवाल पूछने का कोई हक़ नहीं है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा था कि रफ़ाल मामले में उन पर व्यक्तिगत आरोप ही लगे हैं। प्रधानमंत्री के इस इंटरव्यू का जवाब राहुल गाँधी ने आधे घंटे की प्रेस कॉन्फ्रेंस करके दिया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गाँधी ने पीएम को चुनौती देते हुए कहा, 'अगर प्रधानमंत्री में हिम्मत है तो वह रफ़ाल मुद्दे पर मुझसे 20 मिनट आमने-सामने चर्चा करें। उसके बाद देश तय करे कि इस डील में भ्रष्टाचार हुआ है या नहीं।'
रफ़ाल पर हमला
राहुल गाँधी ने प्रधानमंत्री पर सीधा हमला बोला और रफ़ाल मुद्दे पर 5 सवाल पूछे। राहुल दो टूक बोले, 'मैं यह साफ कर देना चाहता हूं कि हम रफ़ाल मामले पर प्रधानमंत्री जी हम आप ही से सवाल पूछ रहे हैं। पता नहीं प्रधानमंत्री कौन सी दुनिया में रहते हैं।' राहुल गाँधी ने एक बार फिर अपनी हर चुनावी रैली में दिया नारा दोहराया। राहुल बोले, 'देश जान गया है कि चौकीदार ही चोर है।' राहुल गाँधी ने प्रधानमंत्री और बीजेपी के इस तर्क को पूरी तरह खारिज किया कि सुप्रीम कोर्ट ने रफ़ाल मुद्दे पर सरकार को क्लीन चिट दे दी है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा है कि इसकी जाँच का मामला उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। सुप्रीम कोर्ट ने यह कहीं भी यह नहीं कहा कि राफ़ाल मुद्दे की जांच नहीं हो सकती या उस पर संयुक्त संसदीय समिति जाँच नहीं कर सकती। एक सवाल के जवाब में राहुल ने साफ़ कर दिया कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो निश्चित तौर पर संसदीय समिति से इस मामले की जाँच कराएगी।
पत्रकार पर तंज
करीब आधे घंटे की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गाँधी ने शुरू के 10 मिनट में अपनी बात कही। बाकी के 20 मिनट में क़रीब 10 टीवी चैनल और अखबारों के पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राहुल गाँधी पहले के मुक़ाबले ज़्यादा सहज और आत्मविश्वास से भरे हुए नज़र आए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मोदी सरकार के दूसरे मंत्रियों पर हमला करने में उन्होंने कोई मौका नहीं छोड़ा।
राहुल ने पत्रकारों से पूछा कि क्या उन्हें कभी प्रधानमंत्री से ऐसे सवाल पूछने का ऐसा मौक़ा मिला है, जैसे वो उनसे पूछ रहे हैं क्या प्रधानमंत्री ने कभी उन्हें कभी ऐसा मौका दिया है जैसे वो हर 10 -15 दिन में पत्रकारों को सवाल पूछने का मौक़ा देते हैं।
उन्होंने प्रधानमंत्री का इंटरव्यू लेने वाली एएनआई की संपादक स्मिता प्रकाश पर तंज करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के पूरे इंटरव्यू के दौरान ऐसा लग रहा था जैसे इंटरव्यू करने वाली महिला पत्रकार सवालों के जवाब भी खुद ही दे रहीं हों।
जेटली को जवाब
एक और सवाल के जवाब में राहुल गाँधी ने स्पष्ट किया कि वह खुद पायलट हैं। भले ही उनके पास आज की तारीख़ में जहाज़ उड़ाने का लाइसेंस नहीं है, लेकिन वह हवाई जहाज़ और लड़ाकू जहाज़ के बीच के फ़र्क को समझते हैं। ग़ौरतलब है कि लोकसभा में राहुल गाँधी के भाषण के दौरान वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लड़ाकू जहाज़ को लेकर राहुल की समझ पर सवाल उठाए थे। इसी का जवाब राहुल गाँधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिया और बताया कि वह अरुण जेटली को अच्छी तरह हवाई जहाज़ और लड़ाकू जहाज़ का फ़र्क समझा सकते हैं। राहुल गाँधी ने एक और बुनियादी सवाल उठाया कि सदन में रफ़ाल मुद्दे पर चर्चा के दौरान आरोप रक्षा मंत्री और प्रधान मंत्री पर लग रहे थे तो इन दोनों में से किसी ने जवाब क्यों नहीं दिए वित्त मंत्री क्यों रक्षा मंत्रालय के बचाव में खड़े हुए। प्रधानमंत्री चर्चा के दौरान सदन में मौजूद क्यों नहीं थे राहुल गाँधी ने साफ़ कहा कि रफाल मामले पर प्रधानमंत्री संदेह के घेरे में हैं। लिहाज़ा, लोकसभा में हुई बहस का जवाब भी उन्हीं को देना चाहिए।
प्रधानमंत्री हो रहे हैे ब्लैकमेल
बुधवार को कांग्रेस रफ़ाल के मुद्दे पर सुबह से ही आक्रामक रही। लोकसभा में इस मुद्दे पर चर्चा से पहले ही कांग्रेस के कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट विभाग के अध्यक्ष रणदीप सुरजेवाला ने एक टेप जारी करके तहलका मचा दिया। कांग्रेस ने दावा किया है इस टेप स्टेप में गोवा के एक मंत्री विश्वजीत राणे ने किसी पत्रकार को बताया है कि पूर्व रक्षा मंत्री और गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने गोवा सरकार की मंत्रिमंडल में इस बात का खुलासा किया है कि रफ़ाल मामले से संबंधित फाइल उनके पास उनके बेडरूम में रखी है इसलिए उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
राहुल ने आरोप लगाया कि गोवा के मुख्यमंत्री रफ़ाल फ़ाइल के बहाने सीधे-सीधे प्रधानमंत्री को ब्लैकमेल कर रहे हैं। राहुल ने यह भी दावा किया कि उनके पास इससे जुड़े कई टेप हैं और वक़्त आने पर एक-एक करके जारी किए जाएंगे।
निशाना स्पीकर पर
राहुल गाँधी एयरटेल लोकसभा में सुनना चाहते थे, लेकिन लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने इसकी इजाज़त नहीं दी। बाद में राहुल ने टेप की ट्रांसक्रिप्ट पढ़ना चाही। इसकी भी उन्हें अनुमति नहीं मिली। दरअसल सुमित्रा महाजन राहुल से पूछ रही थी कि क्या वह इस टेप को प्रमाणित मानते हैं। लोकसभा में तो राहुल इसका जवाब नहीं दिया था, लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल ने इसे पूरी तरह प्रमाणिक बताया बताया। इस टेप के सामने आने के बाद मोदी सरकार और बीजेपी रफाल मुद्दे पर बैकफुट पर हैं। इसी का फ़ायदा उठाकर कांग्रेस रफ़ाल मुद्दे पर को लेकर प्रधानमंत्री पर हमले तेज़ कर रही है।
दरअसल कांग्रेस की रणनीति राहुल को मोदी के खि़लाफ़ आक्रामक तरीके से पेश करने की है। उसे लगता है कि राहुल गाँधी मोदी के ख़िलाफ़ किसी मुद्दे पर जितना अधिक आक्रामक रुख अपनाएंगे, कांग्रेस को उतना ही फ़ायदा होगा।
आक्रामक शैली की रणनीति
हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में मोदी पर सीधे हमला करने का कांग्रेस को लाभ हुआ। रफ़ाल मुद्दे पर राहुल गाँधी ने जिस तरह मोदी को घेरा है उससे कांग्रेसियों का हौसला बढ़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साढ़े 4 साल से ज्यादा के कार्यकाल में एक बार भी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की। किसी भी मौके पर पत्रकारों के सवालों के जवाब नहीं दिए। इसे लेकर उनकी आलोचना होती रही है। कांग्रेस ने रणनीति बनाई है कि वह हर हफ़्ते-दस दिन में राहुल गाँधी को देश के सामने पेश करके पत्रकारों के ज़्यादा से ज़्यादा सवालों के जवाब देने की कोशिश करेगी। इसका संकेत राहुल गाँधी ने कर दिया कि वह तो आपके सवालों का जवाब देना चाहते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री कभी उनसे इस तरह चर्चा नहीं करते। राहुल गाँधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस नरेंद्र मोदी के एक न्यूज़ एजेंसी की संपादक को दिए गए इंटरव्यू का जवाब थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू एक तरह से 'एकालाप' था। इसका जवाब राहुल गाँधी ने पत्रकारों के साथ 'वार्तालाप' करके दिया है।