पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने विरोधी नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने पर सहमत हो गए हैं, पर कुछ शर्तों के साथ।
इसके पहले शनिवार को ही प्रदेश कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत से मुलाक़ात में कैप्टन ने कहा था कि वे केंद्रीय नेतृत्व की हर बात मानने को तैयार हैं।
एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि मुख्यमंत्री ने शर्त रखी है कि सिद्धू प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में तमाम अहम फ़ैसले पार्टी नेतृत्व के साथ बातचीत और आपसी सहमति से ही लेंगे।
उन्होंने इसके साथ ही यह भी कहा कि अगले विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने के लिए सिद्धू काम करेंगे और इसकी ज़िम्मेदारी लेंगे।
कैप्टन की शर्तें
कैप्टन ने यह भी कहा कि उन्हें अपनी मर्जी से मंत्रिमंडल में फेरबदल करने की छूट होनी चाहिए। इसके साथ ही वे सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने पर उनकी इच्छा से कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए।पंजाब कांग्रेस में जिस फ़ॉर्मूले पर सहमति बनी है, उसके अनुसार, अध्यक्ष के रूप में सिद्धू की पदोन्नति होगी और अमरिंदर की मर्जी से तीन कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति होगी। मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा और हिंदुओं और दलितों को प्राथमिकता दी जाएगी।
जाखड़ से मुलाक़ात
इसके पहले शनिवार को ही नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस के मौजूदा अध्यक्ष सुनील जाखड़ से मुलाक़ात की थी। इस मुलाक़ात के बाद सिद्धू ने कहा था कि उन्होंने पार्टी की पंजाब इकाई के कई पूर्व अध्यक्षों से उनका मार्गदर्शन करने का निवेदन किया था।
उन्होंने इसी क्रम में सुनील जाखड़ से मुलाक़ात की थी। सिद्धू ने जाखड़ से मुलाकात के बाद ट्वीट कर कहा कि उन्होंने "बुद्धिमान व्यक्तियों से बातचीत की।"
जाखड़ से मुलाक़ात के बाद नवजोत सिंह सिद्धू खुश दिखे। उन्होंने इसके पहले ही पूर्व पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष प्रताप बाजवा और शमशेर सिंह ढुलो से भी मुलाक़ात की थी।
बता दें कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शुक्रवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को ख़त लिखा था और इसमें कहा था कि पार्टी हाईकमान पंजाब सरकार के कामकाज और राज्य की राजनीति में जबरन दख़ल दे रहा है।
इस ख़त के सामने आने के बाद हरीश रावत आनन-फ़ानन में चंडीगढ़ पहुंचे और अमरिंदर सिंह से मिले।
अमरिंदर सिंह ने ख़त में नवजोत सिंह सिद्धू को राज्य इकाई का अध्यक्ष बनाए जाने की ख़बरों को लेकर भी नाराज़गी जाहिर की थी और कहा था कि हाईकमान को पंजाब के हालात समझने चाहिए और अभी यहां नेतृत्व में परिवर्तन नहीं हो सकता।