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चुनाव में 'गुजरात दंगे' की एंट्री? शाह बोले- बीजेपी ने 2002 में सबक सिखाया...

चुनाव में 'गुजरात दंगे' की एंट्री? शाह बोले- बीजेपी ने 2002 में सबक सिखाया...

गुजरात चुनाव में अब क्या '2002 के दंगे' पर बयानबाजी़ शुरू होगी? आख़िर गृहमंत्री अमित शाह ने '2002 में सबक़ सिखाने' का ज़िक्र क्यों किया? जानिए इसके क्या मायने हैं।

गुजरात चुनाव में बीजेपी की हालत क्या ठीक नहीं है? या फिर बीजेपी अपनी स्थिति मज़बूत करने के लिए चुनावी अभियान का गियर बदल रही है? केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को आरोप क्यों लगाया कि असामाजिक तत्व पहले गुजरात में हिंसा में शामिल थे क्योंकि कांग्रेस ने उनका समर्थन किया था? उन्होंने क्यों कहा कि 2002 में अपराधियों को सबक सिखाने के बाद बीजेपी ने ऐसी गतिविधियों को रोक दिया और राज्य में स्थायी शांति ला दी?

गृहमंत्री ने जिस 2002 का ज़िक्र किया, क्या आपको पता है कि तब क्या हुआ था? आइए, हम आपको बताते हैं तब का घटनाक्रम। 2002 में फरवरी में गोधरा रेलवे स्टेशन पर ट्रेन में आग लगने की घटना के बाद 2002 में गुजरात के कुछ हिस्सों में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। गोधरा में भीड़ ने हिंसक हमले के बाद ट्रेन के कोच एस 6 में आग लगा दी थी, जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी। मरने वालों में ज़्यादातर अयोध्या से अहमदाबाद लौट रहे कारसेवक थे। इस घटना के बाद पूरा गुजरात सुलग उठा था औऱ सांप्रदायिक दंगे फैले थे जिसमें 1000 से ज़्यादा लोगों की जानें गई थीं। 2002 की इस घटना को भारत के इतिहास का एक काला अध्याय माना जाता है।

अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अब इसी घटना का ज़िक्र किया गया है। बीजेपी उम्मीदवारों के समर्थन में खेड़ा जिले के महुधा शहर में अमित शाह ने एक रैली को संबोधित किया। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार रैली में अमित शाह ने आरोप लगाया, 'गुजरात में कांग्रेस के शासन के दौरान, सांप्रदायिक दंगे बड़े पैमाने पर हुए थे। कांग्रेस विभिन्न समुदायों और जातियों के लोगों को आपस में लड़ने के लिए उकसाती थी। ऐसे दंगों के ज़रिए कांग्रेस ने अपना वोट बैंक मज़बूत किया था और समाज के एक बड़े तबक़े के साथ अन्याय किया था।'

रिपोर्ट के अनुसार अमित शाह ने कहा, 'लेकिन 2002 में उन्हें सबक सिखाने के बाद इन तत्वों ने वह रास्ता छोड़ दिया। उन्होंने 2002 से 2022 तक हिंसा में शामिल होने से परहेज किया। बीजेपी ने सांप्रदायिक हिंसा में लिप्त लोगों के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई करके गुजरात में स्थायी शांति ला दी है।'

गृहमंत्री के इस भाषणा पर तीखी प्रतिक्रिया हुई है। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट किया है, "अमित शाह बोले- 'उन्हें 2002 में सबक सिखाया गया था, गुजरात में स्थायी शांति'। ये हैं भारत के गृहमंत्री...।'

कांग्रेस की प्रवक्ता डॉ. शमा मोहम्मद ने कहा है, "गृह मंत्री अमित शाह ने 2002 के दंगों पर भाजपा सरकार की प्रतिक्रिया को 'सबक सिखाने' के रूप में बताया है। सांप्रदायिक आग भड़काना और फिर चुनावी लाभ के लिए राज्यों का ध्रुवीकरण दशकों से बीजेपी की कार्यप्रणाली रही है। ये है मोदी-शाह का असली गुजरात मॉडल।"

कांग्रेस से जुड़े संजय झा ने लिखा है, "इसलिए 2002 का गुजरात नरसंहार जहाँ 1000 से अधिक लोगों का नरसंहार किया गया था, अमित शाह के अनुसार 'उन्हें सबक सिखाया जा रहा था'। बहुत खूब!!!! यह भाजपा द्वारा उनके दोष का एक बड़ा सार्वजनिक कबूलनामा है।"

बहरहाल, इन आरोपों-प्रत्यारोपों से अलग यदि 2002 के गुजरात दंगों के बाद चुनाव नतीज़ों पर नज़र डालें तो पूरा राजनीतिक परिदृश्य बदला हुआ दिखता है।

दिसंबर 2002 में गुजरात में विधनसभा चुनाव हुए थे तो बीजेपी को गुजरात में सबसे बड़ी जीत मिली थी। कई लोग मानते हैं 2002 के दंगों के बाद मोदी की लोकप्रियता पूरे देश में बढ़ी। इसके बाद बीजेपी राज्य में चुनाव नहीं हारी है। दरअसल, बीजेपी गुजरात में 1995 से ही चुनाव जीत रही है। पिछले 27 सालों से लगातार गुजरात की सत्ता में रही पार्टी 2002 में सबसे ज़्यादा 127 सीटें ही जीत पाई थी। इस बार के नतीजे क्या होंगे, ये तो चुनाव बाद ही पता चल पाएगा।

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