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बीजेपी शासित कर्नाटक-महाराष्ट्र का विवाद अमित शाह नहीं सुलझा पाए?

बीजेपी शासित कर्नाटक-महाराष्ट्र का विवाद अमित शाह नहीं सुलझा पाए?

बीजेपी शासित कर्नाटक और महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने के बाद भी दोनों राज्यों के बीच विवाद क्यों है? क्या केंद्रीय गृहमंत्री उस विवाद को सुलझा पाए? जानिए अमित शाह ने क्या कहा।

कर्नाटक और महाराष्ट्र के सीमा विवाद के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की। बैठक के बाद उन्होंने कहा कि कर्नाटक और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों ने दशकों पुराने सीमा विवाद में अपने दावों पर तब तक जोर नहीं देने की सहमति जताई है जब तक कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर फ़ैसला नहीं करता।

अमित शाह की दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक से ठीक पहले कर्नाटक में विलय का प्रस्ताव पास करने वाली 11 में से 10 ग्राम पंचायतों ने अपना प्रस्ताव रद्द कर दिया था। महाराष्ट्र सरकार की ओर से सोलापुर जिले के अक्कलकोट की 11 ग्राम पंचायतों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। नोटिस में उनसे यह पूछा गया था कि वे बताएं कि उन्होंने कर्नाटक में विलय का प्रस्ताव क्यों पास किया था। लेकिन 11 में से 10 गांवों ने राज्य सरकार को बताया है कि उन्होंने अपना प्रस्ताव रद्द कर दिया है और वह महाराष्ट्र के साथ ही रहना चाहते हैं। 

पिछले कुछ दिनों में महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद एक बार फिर तेज हुआ है। कुछ दिन पहले महाराष्ट्र से कर्नाटक आ रहे ट्रक को बेलगावी में रोक लिया गया था और उस पर पत्थर फेंके गए थे। उस दौरान कर्नाटक रक्षण वैदिके नाम के संगठन के कार्यकर्ताओं ने जोरदार प्रदर्शन किया था।

महाराष्ट्र सरकार की पूरी कोशिश है कि उसके इलाके के गांव कर्नाटक में शामिल करने की मांग नहीं रहे क्योंकि महाराष्ट्र में यह मुद्दा राजनीतिक तूल पकड़ गया है। उद्धव ठाकरे गुट के अलावा कांग्रेस और एनसीपी ने भी बीजेपी-एकनाथ शिंदे सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इस मुद्दे पर 17 दिसंबर को मुंबई में एक बड़ा प्रदर्शन भी बुलाया गया है।

चूँकि महाराष्ट्र और कर्नाटक दोनों ही राज्यों में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार है इसलिए बीजेपी के लिए इस मसले को सुलझाना बड़ी चुनौती है। कर्नाटक में कुछ ही महीनों के अंदर विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं इसलिए राज्य के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई यह नहीं चाहते कि यह मुद्दा किसी भी तरह तूल पकड़े। क्योंकि अगर इस मुद्दे ने तूल पकड़ा तो निश्चित रूप से बीजेपी को विधानसभा के चुनाव में नुक़सान उठाना पड़ सकता है।

कुछ दिन पहले महाराष्ट्र सरकार के दो मंत्रियों ने जब बेलगावी जिले में आने की बात कही थी तो कर्नाटक ने इसका विरोध किया था। बेलगावी जिला कर्नाटक में पड़ता है लेकिन महाराष्ट्र उस पर अपना अधिकार जताता है।

बेलगावी जिले के प्रशासन ने यहां महाराष्ट्र के मंत्रियों के आने पर रोक लगा दी थी और कानूनी कार्रवाई करने की बात कही थी। इसके बाद मंत्रियों ने अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया था। लेकिन इसे लेकर महाराष्ट्र के विपक्षी दलों ने कहा था कि राज्य सरकार के मंत्रियों को बेलगावी जाने की नई तारीख के बारे में बताना चाहिए। 

दोनों राज्यों के बीच यह विवाद 1957 से है। भाषाई तर्ज़ पर राज्यों के पुनर्गठन के दौरान पूर्व बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा रहे बेलगावी सहित मराठी भाषी क्षेत्रों को कर्नाटक में शामिल करने से महाराष्ट्र नाराज़ था। इसने 814 मराठी भाषी गांवों पर भी दावा किया जो वर्तमान में कर्नाटक का हिस्सा हैं।

यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। इन दोनों राज्यों में कर्नाटक में अगले साल विधानसभा चुनाव होंगे। ऐसे में गुस्से को शांत करने के लिए बीजेपी चतुराई का रास्ता अपनाने की कोशिश करेगी।

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