दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली में हिंसा के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने अधिकारियों की बैठक ली और इसमें सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करने का फ़ैसला लिया गया। मंगलवार शाम को हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि अतिरिक्त अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती भी की जाएगी। बैठक में सुरक्षा से जुड़े बड़े अधिकारियों से लेकर पुलिस के अधिकारी भी शामिल हुए। गृह सचिव अजय भल्ला और दिल्ली पुलिस के आयुक्त एसएन श्रीवास्तव भी उस बैठक में शामिल थे। बैठक में गृहमंत्री को दिल्ली के ताज़ा हालात से अवगत कराया गया।
दिल्ली में मंगलवार को हालात इतने बिगड़ गए कि हिंसा तक हुई। इसमें एक व्यक्ति की जान भी चली गई। इससे पहले गणतंत्र दिवस समारोह के बीच ही दिल्ली में किसानों ने ट्रैक्टर की रैली निकालनी शुरू कर दी थी और हिंसा की ख़बरें आईं। पुलिस की ओर से लाठी चार्ज किया गया और आँसू गैस के गोले दागे गए। पथराव की भी घटनाएँ हुईं। प्रदर्शन करने वाले कुछ लोगों ने मंगलवार को लाल क़िले की प्राचीर से पीले रंग का झंडा फहरा दिया। पुलिस की बैरिकेडिंग पार करते हुए किसान यहाँ तक पहुँचे थे। किसानों की ट्रैक्टर रैली को जिस रूट की मंजूरी दी गई थी उसमें लाल क़िले का रूट शामिल नहीं था।
हालाँकि, रिपोर्टों में कहा गया है कि अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था पहले से ही थी। 'एएनआई' ने सूत्र के हवाले से लिखा, 'कल (सोमवार को) अर्धसैनिक बलों की 15 कंपनियों को दिल्ली भेजा गया था। दस सीआरपीएफ़ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) के थे और बाक़ी पाँच अर्धसैनिक बलों के थे। इसी तरह पाँच कंपनियाँ आज स्टैंडबाय पर थीं।' लेकिन हिंसा के बाद सुरक्षा व्यवस्था और पुख्ता किए जाने पर जोर दिया गया।
दिल्ली पुलिस ने किसानों को ट्रैक्टर रैली निकालने के लिए रविवार को ही मंजूरी दे दी थी, लेकिन इसने कई शर्तें भी लगा दी थीं। इन शर्तों पर किसानों को आपत्ति थी। इनमें सबसे महत्वपूर्ण रूट को लेकर किसान नाराज़ थे। एक शर्त यह भी थी कि किसान राजपथ पर गणतंत्र दिवस समारोह ख़त्म होने के बाद रैली निकालेंगे। लेकिन किसानों ने उससे पहले ही रैली निकालनी शुरू कर दी।
किसानों ने जब रैली निकाली तो वे पुलिस द्वारा मंजूर रूट से इधर-उधर भी हुए। किसान राजधानी दिल्ली के अंदरूनी हिस्सों तक पहुँच गए। केंद्रीय दिल्ली के आईटीओ के पास पुलिस ने उन्हें रोकने की नाकाम कोशिश की। पुलिस ने आँसू गैस के गोले छोड़े, लेकिन पुलिस वालों की तुलना में किसानों की तादाद बहुत ज़्यादा रही। चारों तरफ अफरातफरी का माहौल रहा।
आईटीओ पर भारी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात रहे और वहीं से पुलिस की बाधा को पार कर किसान निकले। आईटीओ से जो तसवीरें आई हैं उनमें दिख रहा है कि पुलिसकर्मी ट्रैक्टर को रोकने का प्रयास कर रहे हैं और किसान ट्रैक्टर तेज़ दौड़ाते हुए आगे निकल रहे हैं।
हिंसा की ख़बरों के बीच ही अमित शाह की उच्चस्तरीय बैठक की ख़बर आई है। एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि इस बैठक के बाद सुरक्षा को लेकर बड़ा फ़ैसला लिया जा सकता है। अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती भी की जा सकती है।
वीडियो में देखिए, क्या रास्ते से भटका किसान आंदोलन?
हिंसा की रिपोर्टों के बीच गृह मंत्रालय ने दिल्ली के बाहरी इलाकों की इंटरनेट सेवा बंद कर दी है। गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि ये सेवाएँ आज रात 12 बजे से पहले तक बंद रहेंगी। सरकार के इस फ़ैसले से जो क्षेत्र प्रभावित होंगे उनमें वे क्षेत्र शामिल हैं जहाँ किसान क़रीब दो महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं। इसमें किसान प्रदर्शन का केंद्र रहे सिंघु बॉर्डर भी शामिल है। सिंघु बॉर्डर के अलावा ग़ाज़ीपुर, टिकरी, मुकारबा चौक, नांगलोई और उसके आसपास क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाएँ बाधित रहेंगी।