+
अलवर: मंदिर तोड़ने का विरोध, बीजेपी ने निकाली आक्रोश रैली 

अलवर: मंदिर तोड़ने का विरोध, बीजेपी ने निकाली आक्रोश रैली 

अलवर में मंदिर तोड़े जाने को लेकर राजस्थान की सियासत गरमा गई है। बीजेपी और कांग्रेस इस मामले में आमने-सामने हैं। क्या बीजेपी इस मामले में गहलोत सरकार को घेरने में कामयाब रही है?

अलवर में 300 साल पुराने मंदिर को तोड़े जाने के मामले में बवाल बढ़ गया है। बीजेपी और हिंदू संगठनों की ओर से बुधवार को अलवर में आक्रोश रैली निकाली गई। यह रैली शहीद स्मारक कंपनी बाग से जिला कलेक्ट्रेट तक पैदल मार्च करते हुए निकाली गई। इस दौरान बीजेपी नेताओं ने मंदिर तोड़े जाने के लिए जिम्मेदार नेताओं और अफसरों पर कार्रवाई की मांग की।

आक्रोश रैली में मौजूद बीजेपी कार्यकर्ताओं ने अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था बेहद सख़्त रही। 

इस मामले में बीते दिनों में राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस एक-दूसरे पर हमलावर रहे हैं। राजगढ़ नगर पालिका की ओर से मंदिरों को गिराने की यह कार्रवाई की गई थी। कुल तीन मंदिरों को गिराया गया था। 

विवाद बढ़ने के बाद अलवर के जिला प्रशासन ने कहा था कि वह अतिक्रमण हटाने के अभियान के दौरान गिराए गए इन तीनों मंदिरों को फिर से बनाएगा। मंदिरों को गिराने की कार्रवाई 17 अप्रैल को हुई थी।

अलवर से बीजेपी सांसद बालक नाथ, राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया ने इस मामले में गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है तो कांग्रेस की ओर से कैबिनेट मंत्री प्रचाप सिंह खाचरियावास, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सहित तमाम नेता मैदान में हैं।

 - Satya Hindi

मंदिर तोड़े जाने को लेकर बीजेपी ने अपने नेताओं की एक टीम बनाई थी जिसने अलवर में घटनास्थल का दौरा किया था। कांग्रेस के नेता भी मौके पर पहुंचे और आम लोगों से मिले थे। 

राज्य सरकार ने विवाद बढ़ने के बाद राजगढ़ के एसडीएम केशव कुमार मीणा, राजगढ़ नगरपालिका बोर्ड के चेयरमैन सतीश दुहरिया और ईओ बनवारी लाल मीणा को निलंबित कर दिया था। 

बीजेपी-कांग्रेस आमने-सामने

इस मामले में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने एक-दूसरे को दोषी साबित करने की कोई कोशिश नहीं छोड़ी। बीजेपी के लगातार हमलों के बीच कांग्रेस ने भी इसका जवाब दिया। लेकिन बीजेपी ने इस तरह का माहौल बना दिया कि मंदिर को तोड़े जाने के लिए कांग्रेस ही जिम्मेदार है।

कांग्रेस ने भी इस बात को लगातार लोगों के बीच पहुंचाने की कोशिश की कि मंदिर को गिराए जाने के फैसले से गहलोत सरकार का कोई लेना-देना नहीं है और यह फैसला स्थानीय राजगढ़ पालिका के बोर्ड का है और वहां पर बीजेपी काबिज है। 

कांग्रेस ने यह भी कहा था कि कांग्रेस के स्थानीय विधायक ने मंदिरों को तोड़े जाने का विरोध किया था।

क्या है मामला?

राजगढ़ कस्बे के गोल सर्किल से मेला का चौराहे के मध्य तक मास्टर प्लान 2031 के तहत सड़क बनने में बाधा बन रहे निर्माण कार्यों को जेसीबी से हटाया गया था। इससे पहले प्रशासन की ओर से 86 मकान व दुकान मालिकों को नोटिस जारी किए गए थे। सरकार यहां पर 60 फीट चौड़ी सड़क बनाने जा रही है।

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें