इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में फीस वृद्धि के खिलाफ छात्रों का आंदोलन शनिवार को 26वें दिन मामूली रूप से उग्र हो गया। न्यूज 18 यूपी के मुताबिक आंदोलनकारी छात्रों ने दो टीचरों प्रोफेसर आशीष सक्सेना, प्रोफेसर मनमोहन कृष्ण को बंधक बनाने का दावा किया। हालांकि इसकी पुष्टि खुद उन प्रोफेसरों ने नहीं की। प्रोफेसर आशीष सक्सेना ने कहा कि छात्रों ने उन्हें बातचीत के लिए रोका था। छात्रों का कहना है कि प्रो. मनमोहन कृष्ण वीसी के सलाहकार हैं। इसलिए उनसे बातचीत जरूरी है।
छात्र रोजाना अलग-अलग तरीकों से अपना विरोध जता रहे हैं। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में भूख हड़ताल पर बैठे चार छात्र नेता अजय यादव सम्राट, छात्र संघ के पूर्व उपाध्यक्ष एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव, सिद्धार्थ कुमार गोलू और समाजवादी छात्र सभा के जिला महासचिव शिव शंकर सरोज हैं। इनकी हालत कल शुक्रवार को नाजुक हो गई थी।
प्रदर्शनकारी छात्रों ने भूख हड़ताल कर रहे छात्रों की कथित अंतिम यात्रा प्रतीक रूप में निकाल कर विरोध किया। छात्रों ने छात्र नेताओं को शव मानकर अपने कंधों पर चारपाई पर रख। शरीर पर रामनामी का कपड़ा भी रखा था। इस दौरान भारी संख्या में पुलिस बल मौजूद रहा।
हालांकि शुक्रवार को समाजवादी पार्टी छात्र सभा के पदाधिकारी आपस में भिड़ गए। संयुक्त संघर्ष समिति के साथ छात्रसभा का एक धड़ा पहले से ही भूख हड़ताल पर बैठा है। तो वहीं दूसरी ओर छात्र सभा का एक और धड़ा बगल में एक अलग बैनर लगाकर अनशन पर बैठने की तैयारी कर रहा था। जब एक गुट ने इसका विरोध किया तो हंगामा हो गया। दोनों आपस में भिड़ गए और जमकर मारपीट हुई। पुलिस प्रशासन मूकदर्शक बना रहा। बता दें कि एबीवीपी और अपना दल (एस) छात्र मंच के बैनर तले यहां करीब एक दर्जन छात्र भूख हड़ताल पर बैठे हैं।
इस बीच प्रदेश कांग्रेस कमेटी का प्रतिनिधिमंडल इलाहाबाद यूनिवर्सिटी छात्रसंघ भवन पहुंचा। इसमें मुख्य रूप से प्रदेश उपाध्यक्ष कांग्रेस कमेटी विश्वविजय सिंह, किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जगदीश सिंह, जिलाध्यक्ष वाराणसी राजेश्वर पटेल, नगर अध्यक्ष वाराणसी राघवेंद्र चौबे समेत अन्य शामिल थे।
विश्व विजय सिंह ने कहा कि इस आंदोलन को हमारी नेता प्रियंका गांधी का लंबे समय से समर्थन है और हम लगातार हर जिले और हर मंच पर फीस वृद्धि की मांग उठा रहे हैं, कांग्रेस पार्टी छात्रों के हित में खड़ी है। जगदीप सिंह ने छात्र आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि यहां के ज्यादातर छात्र किसान पृष्ठभूमि से आते हैं। क्षेत्र में सूखा पड़ा है, इसलिए फीस वृद्धि किसानों पर दोहरी मार है, जहां शिक्षा को मुफ्त किया जाना चाहिए, केंद्र सरकार फीस बढ़ाकर शिक्षा की मार्केटिंग कर रही है।