राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई बातचीत में इस पर सहमति बनी है कि सीमा पर शांति बरक़रार रखी जाए और मतभेदों को विवाद न बनने दिया जाए।
तनाव कम करने पर फ़ोकस
शनिवार को दोनों अधिकारियों के बीच टेलीफ़ोन पर बात हुई। इस बातचीत का केंद्र वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बना तनाव और उसे दूर करने के उपायों पर था। दोनों इस पर राजी हो गए कि सीमा पर तनाव कम करने के लिए सैनिकों को वापस बुलाया जाए, इलाक़े खाली किए जाएं और हर हाल में शांति बनाई रखी जाए ताकि दोतरफ़ा सम्बन्धों को और मजबूत किया जा सके।विदेश मंत्रालय ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा,
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'अजित डोभाल और वांग यी इस पर राज़ी हैं कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाम कम करने के लिए यह ज़रूरी है कि सभी सैनिकों की वापसी सुनिश्चित की जाए।'
विदेश मंत्रालय के बयान का हिस्सा
'कूटनीतिक बातचीत जारी रहे'
बयान के मुताबिक़, 'दोनों अधिकारी इस पर सहमत हुए कि दोनों पक्षों के राजनीतिक व कूटनीतिक अधिकारी बातचीत जारी रखें ताकि एलएसी पर पूर्ण और दीर्घकालिक शांति बहाल की जा सके।'दोनों अधिकारियों की यह बातचीत विशेष प्रतिनिधि स्तर की बातचीत की प्रक्रिया को शुरू करने के लिए की गई है।
सैनिकों की वापसी
इसके पहले सोमवार को इसकी पुष्टि हो गई कि गलवान घाटी के पैट्रोलिंग प्वाइंट 14 से भारतीय और चीनी सेनाओं ने अपने-अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है। उन्होंने बनाई गई संरचनाओं को हटा दिया है। दोनों सेनाओं ने अपने-अपने कब्जा वाले इलाक़े खाली कर दिए हैं।उधर बीजिंग में चीन के विदेश मंत्रालय ने इस बातचीत पर एक बयान जारी किया है। बयान में कहा गया है, 'दोनों ही पक्षों को एक दूसरे के लिए ख़तरा नहीं बनना चाहिए, स्थिति की गंभीरता को समझना चाहिए और मौजूदा स्थिति को ठीक करने के लिए मिलजुल कर काम करना चाहिए।'
चीन को नयी उम्मीद
चीनी विदेश मंत्रालय ने यह उम्मीद भी जताई है कि 'भारत और चीन एक ही दिशा में साथ-साथ चलेंगे, अपनी जनता का सही मार्गदर्शन करेंगे और एक दूसरे से सहयोग करेंगे। यह भी कहा गया है कि दोनों पक्षों को ऐसे काम नहीं करने चाहिए जिससे विवाद बढ़े, उन्हें दोतरफा सम्बन्धों को और मजबूत बनाने की दिशा में काम करना चाहिए।'बता दें कि इसके पहले दोनों देशों के बीच सैन्य कमांडरों, राजनीतिकों व कूटनीतिकों में कई स्तर पर और कई दौर की बातचीत हुई है। दोनों सेनाओं में लेफ़्टीनेंट जनरल स्तर पर 5 जून और 22 जून को हुई बातचीत के बाद ही दोनों पक्ष सैनिकों को वापस बुलाने और इलाक़े खाली करने पर राजी हुए हैं। इस आधार पर ही सोमवार को दोनों सेनाओं ने कुछ इलाक़े खाली किए हैं।