अग्निपथ स्कीम के खिलाफ नया आंदोलन नई रणनीति के सामने आने जा रहा है। अभी तक इसके खिलाफ आंदोलन की कमान युवा संगठनों, छात्र संगठनों के पास थी। अब इसकी कमान किसान नेता और पूर्व सैनिकों का संगठन संभालने जा रहे हैं। दूसरी तरफ अग्निपथ योजना के लिए युवकों के आवेदन जिस तरह आए हैं, उससे सरकार उत्साहित है। लेकिन इस आंदोलन ने बेरोजगारी की जिस भयावहता को बयान किया है, वो सरकार के लिए चिन्ता का सबब नहीं है, यह हैरानी की बात है।
सबसे पहले सरकार की बात
अग्निपथ के लिए सरकार के पास 1 अगस्त तक 32.5 लाख आवेदन आए हैं। जिनमें सेना की 25 हजार वैकेंसी है लेकिन इन पदों के लिए 17.17 लाख आवेदन आए हैं। इसी तरह नेवी में 3 हजार वैकेंसी हैं, जिनके लिए 7.70 लाख आवेदन आए हैं। एयरफोर्स में भी 3 हजार वैकेंसी हैं, जिसके लिए 7.69 लाख आवेदन आए हैं।इन आंकड़ों से साफ है कि सरकार की योजना सुपरहिट है। तीनों सेनाओं ने अपनी भर्ती प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। लेकिन सरकारी आंकड़ा इस भयावहता को भी दर्शाता है कि भयानक बेरोजगारी की वजह से युवकों ने इस स्कीम के लिए आवेदन किया है। फाइलों में आंकड़े गुलाबी कहानी बयान करते हैं, लेकिन जमीन हकीकत वो है जिसे संयुक्त किसान मोर्चा और नेशनल फ्रंट ऑफ एक्स सर्विसमेन ने समझा है।
नए आंदोलन की रूपरेखा
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 16 अगस्त को अग्निपथ योजना के खिलाफ हर जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करने जा रहा है। इसमें प्रदर्शन में पूर्व सैनिक भी शामिल होंगे। पंजाब में तो पहले से ही एसकेएम का प्रदर्शन शुरू हो चुका है। पंजाब में रविवार से लेकर 14 अगस्त तक यानी एक हफ्ते तक हर जिला मुख्यालय पर जय किसान जय जवान सम्मेलन होगा। ये सम्मेलन ठीक उसी तरह का होगा, जैसा शनिवार को दिल्ली के महिला प्रेस क्लब में आय़ोजित किया जा रहा है। पंजाब में ऐसे आयोजनों के जरिए जनता को जागरूक करने की रणनीति है।अग्निपथ योजना की घोषणा होने के बाद बिहार और यूपी के कुछ हिस्सों में सबसे ज्यादा हिंसक प्रदर्शन हुए थे, दूसरी तरफ पंजाब से इससे अछूता रहा, जबकि पंजाब से बहुत बड़ी तादाद में लोग सेना में भर्ती होते हैं। लेकिन वहां इस स्कीम को लेकर जागरूकता नहीं होने से आंदोलन नहीं हो पाया। संयुक्त किसान मोर्चा और पूर्व सैनिकों का संगठन अब इसी काम को पंजाब, हरियाणा में करने जा रहा है।
पंजाब से शुरू हो रहे इस आंदोलन के पीछे क्रांतिकारी किसान संघ के अध्यक्ष डॉ दर्शन पाल हैं। आप लोगों को याद होगा कि किसान आंदोलन की शुरुआत इसी तरह पंजाब से हुई थी और उस समय भी डॉ दर्शनपाल और बलबीर सिंह राजेवाल ने इसके पीछे अपने-अपने संगठनों की ताकत लगाई थी।
इस बार अग्निपथ योजना के खिलाफ जो संयुक्त किसान मोर्चा के अलावा जो किसान संगठन लामबंद हो रहे हैं, उनमें किसान संघर्ष कमेटी, कीर्ति किसान यूनियन, कुल हिंद किसान सभा, बीकेयू (डकौंडा), जम्हूरी किसान सभा, पंजाब किसान यूनियन, बीकेयू-कादियान, बीकेयू-दोआबा, माझा किसान संघर्ष समिति, दोआबा किसान समिति, दोआबा किसान संघर्ष समिति, दोआबा किसान संघ, कौमी किसान संघ, कीर्ति किसान मोर्चा और बीकेयू-मालवा शामिल हैं।
राकेश टिकैत फिर साथ आए
इस आंदोलन को यूपी के किसान नेता राकेश टिकैत ने भी अपना समर्थन दिया है। यह समर्थन भी महत्वपूर्ण है। क्योंकि किसान आंदोलन के बाद उनमें से कई संगठनों के रास्ते अलग हो गए थे। कुछ ने पंजाब में चुनाव भी लड़ा था। लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन को धार राकेश टिकैत ने ही दी थी। अब उन्होंने अग्निपथ योजना के खिलाफ शुरू होने वाले आंदोलन को भी समर्थन दिया है।
- राकेश टिकैत, किसान नेता
राकेश टिकैत और राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) की मुहिम अब दरअसल, साथ-साथ चलने लगी है। दोनों तमाम मुद्दों पर एक हैं। इसलिए वेस्ट यूपी में अब सरकार विरोधी आंदोलनों की अगुआई मुख्य रूप से राकेश टिकैत और आरएलडी ही कर रहे हैं। अखिलेश की समाजवादी पार्टी अभी भी सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित हैं। अखिलेश अग्निपथ योजना के विरोधी हैं लेकिन उनकी पार्टी इसके विरोध में होने वाले प्रदर्शनों में शामिल नहीं हो रही है। अब देखना है कि वेस्ट यूपी में अगर अग्निपथ विरोधी आंदोलन ने जोर पकड़ा तो सपा सामने आती है या नहीं।
जमीनी हकीकत
थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) 1के लिए निरंजन साहू ने एक लेख लिखा है। जिसमें उन्होंने लिखा है कि देश में बढ़ती बेरोजगारी की समस्या ने अग्निपथ के खिलाफ युवकों का गुस्सा भड़काया है। वो लिखते हैं कि आंदोलन करने वालों को यह बात अच्छी तरह मालूम है कि इस योजना के तहत अगर उन्हें सेना में ठेके पर नौकरी मिल भी गई तो इससे न तो उनका सामाजिक स्तर (सोशल स्टेटस) ऊंचा उठ पाएगा और न बहुत ज्यादा आर्थिक लाभ होगा।
निरंजन साहू ने सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) के हवाले से बताया है कि देश में दिसंबर 2021 तक सभी क्षेत्रों में सैलरीड कामगार (वेतनभोगी) घटकर 19 फीसदी रह गए हैं। 2019-20 में यही वेतनभोगी लोग 21.2 फीसदी थे। देश में 90 लाख 50 हजार लोग नौकरियों से हाथ धो बैठे। अब जो लोगों के पास नौकरियां हैं, उनमें सैलरी भी बहुत कम हो गई है। नौकरी जाने का आंकड़ा भी इसी अंतराल का है। ऐसा सिर्फ वेतनभोगी कामगारों के साथ नहीं हुआ, इनको नौकरियां देने वाले कारोबारियों में भी करीब दस लाख लोग अपने कारोबार से हाथ धो बैठे।
माओवादी लिंक
बिहार में अग्निपथ योजना के खिलाफ हुए आंदोलन में सरकार और जांच एजेंसियों ने माओवादी लिंक तलाश लिया है। बिहार पुलिस ने इसी शुक्रवार को दावा किया कि अग्निपथ योजना के विरोध में प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में शीर्ष माओवादी नेता शामिल थे। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि गिरफ्तार माओवादी नेता मनश्याम दास ने जांचकर्ताओं को बताया है कि जून में विरोध प्रदर्शन के दौरान लखीसराय में एक ट्रेन को जलाने में उसने सहानुभूति रखने वालों के साथ भूमिका निभाई थी। समूह ने प्रदर्शनकारियों के एक वर्ग को आगजनी करने और रेलवे संपत्तियों में तोड़फोड़ करने के लिए प्रेरित किया।बिहार पुलिस का दावा है कि एक खुफिया सूचना के बाद माओवादी नेता मनश्याम दास को लखीसराय शहर से गिरफ्तार किया गया है। उसके संबंध भागलपुर यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर से भी बताए गए लेकिन प्रोफेसर ने इस आरोप से इनकार किया है। माओवादी नेता लखीसराय में किराये का मकान लेकर लंबे समय से रह रहा था। उसके टॉप माओवादी नेताओं से संबंध बताए गए हैं
इस आरोप के बाद बिहार में अब शायद ही कोई युवा संगठन अग्निपथ योजना के खिलाफ आंदोलन चलाए। लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा और पूर्व सैनिकों के संगठन जिस तरह से इस योजना के विरोध में उतरने जा रहे हैं तो सरकार अब क्या आरोप लगाएगी। भयानक बेरोजगारी को देखते हुए सरकार की योजना नाकाम तो नहीं होगी लेकिन इस योजना को लेकर वास्तविक सवाल उठते रहेंगे।