सेना की अग्निपथ योजना में हिस्सा लेने वाले युवकों को चार साल बाद तमाम सशस्त्र बलों और सरकारी एजेंसियों में प्राथमिकता मिलेगी। यह संकेत गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को दिया। अमित शाह ने एक ट्वीट में कहा कि इस योजना में हिस्सा लेने वाले युवकों को चार साल बाद असम राइफल्स समेत सभी सशस्त्र बलों में भर्ती में प्राथमिकता मिलेगी।
शाह ने ट्विटर पर कहा, अग्निपथ योजना युवाओं के उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक दूरदर्शी और स्वागत योग्य निर्णय है। इस संदर्भ में, आज गृह मंत्रालय (एमएचए) ने सीएपीएफ (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) और असम राइफल्स में भर्ती के लिए इस योजना के तहत 4 साल पूरे करने वाले अग्निवीरों को प्राथमिकता देने का फैसला किया है। शाह ने कहा कि इस कदम से 'अग्निपथ' के तहत प्रशिक्षित युवाओं को राष्ट्र की सेवा और सुरक्षा में अधिक योगदान करने में मदद मिलेगी। गृह मंत्री ने कहा, इस फैसले पर विस्तृत योजना पहले ही शुरू हो चुकी है।
केंद्र सरकार ने मंगलवार को अग्निपथ योजना की घोषणा की थी। इस योजना के तहत 17.5 साल से 21 साल के 45000 से 50000 युवाओं को 4 साल के लिए सेना में भर्ती किया जाएगा। केंद्र सरकार ने बताया कि अगले 90 दिनों के भीतर भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी और जुलाई 2023 तक पहला बैच तैयार हो जाएगा। इस योजना के तहत जिन युवाओं का चयन सेनाओं में होगा उन्हें अग्निवीर के नाम से जाना जाएगा और इसमें चयन ऑनलाइन केंद्रीय सिस्टम के जरिए होगा।
योजना घोषित होने के बाद से ही तमाम विशेषज्ञ और जाने-माने लोग तमाम नजरिए से इस योजना को लेकर सवाल उठा रहे हैं। इसमें सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर चार साल के बाद सेना से निकले युवक क्या करेंगे। सरकार ने इस सवाल का सीधा जवाब देने की बजाय गृह मंत्री अमित शाह का ट्वीट सामने आया, जिसमें बाद में इन युवकों को अन्य बलों में खपाने की बात कही गई है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जब मंगलवार को इस योजना की घोषणा की तो सेना के तीनों अंगों के चीफ प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद थे। उन्होंने योजना का स्वागत करने में देर नहीं लगाई। लेकिन जब पूरी योजना सोशल मीडिया के जरिए आम लोगों तक पहुंची तो इसकी तारीफ के साथ आलोचना भी शुरू हो गई। सोशल मीडिया पर इसे लेकर मीम भी बने कि सेना से चार साल बाद ही रिटायर होने वाले युवक को क्या कहा जाएगा। गृह मंत्री अमित शाह के ट्वीट से अब स्थिति साफ हो गई है।