सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिए फैसले में कहा है कि केंद्र सरकार को गैंगस्टर अबू सलेम को 25 साल की सजा पूरी करने के बाद रिहा करना होगा। अदालत ने कहा कि पुर्तगाल के साथ भारत की जो अंतरराष्ट्रीय संधि है, उसके मुताबिक ऐसा किया जाना जरूरी है।
अबू सलेम की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि उसकी सजा को 25 साल से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता क्योंकि भारत की ओर से इस संबंध में 2002 में पुर्तगाल को ठोस आश्वासन दिया गया था।
अबू सलेम 1993 के मुंबई बम धमाकों में दोषी है और उसे 11 नवंबर 2005 को एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद पुर्तगाल से भारत प्रत्यर्पित किया गया था।
जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह 25 साल की सजा पूरे होने के 1 महीने के भीतर ही इस संबंध में जरूरी दस्तावेजों को राष्ट्रपति के सामने रखे।
अबू सलेम के वकील ऋषि मल्होत्रा ने अदालत से अनुरोध किया कि जितने वक्त तक उनके मुवक्किल पुर्तगाल में हिरासत में रहे हैं, उस अवधि को भी 25 साल की क़ैद वाली अवधि में जोड़ा जाए लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनके इस अनुरोध को स्वीकार नहीं किया।
आडवाणी ने लिखा था पत्र
17 दिसंबर, 2002 को तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की ओर से पुर्तगाली गणराज्य को पत्र लिखा गया था। इसमें भारत सरकार की ओर से आश्वासन दिया गया था कि भारत सरकार कानून के नियमों के मुताबिक अपनी शक्तियों का प्रयोग करेगी और अबू सलेम को पुर्तगाल द्वारा जांच के लिए भारत में प्रत्यर्पित किया जाता है तो सलेम को मौत की सजा नहीं होगी और उम्रकैद की सजा की अवधि भी 25 साल से ज्यादा नहीं होगी।
25 फरवरी, 2015 को टाडा की स्पेशल अदालत ने भी अबू सलेम को मुंबई के बिल्डर प्रदीप जैन और उनके ड्राइवर मेहंदी हसन की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा सुनाई थी। प्रदीप जैन और उनके ड्राइवर की हत्या 1995 में हुई थी।