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गुजरात: गरबे के एंट्री पास पर लगा 18% जीएसटी, लोग नाराज

गुजरात: गरबे के एंट्री पास पर लगा 18% जीएसटी, लोग नाराज

गरबे के एंट्री पास पर 18% जीएसटी लगने को लेकर जिस तरह लोगों की नाराजगी सामने आई है उससे यह निश्चित रूप से एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है।

गुजरात की बीजेपी सरकार ने गरबा नृत्य देखने के लिए बनने वाले एंट्री पास पर 18 फीसद जीएसटी लगाने का फैसला लिया है। इसका पूरे गुजरात में विरोध हो रहा है और कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने बीजेपी सरकार से इस फैसले को वापस लेने के लिए कहा है।

बता दें कि गुजरात में बड़े पैमाने पर गरबा नृत्य खेला जाता है और नवरात्रि के मौके पर बड़े पैमाने पर कई जगहों पर गरबे का आयोजन किया जाता है। लेकिन राज्य सरकार के द्वारा गरबा के एंट्री पास पर 18 फीसद जीएसटी लगाने से इसका सीधा असर लोगों की जेब पर पड़ेगा।

वडोदरा के कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया है। सूरत में भी लोगों ने गरबा खेल कर सरकार के इस फैसले पर अपनी नाराजगी जताई है। 

आम आदमी पार्टी ने इसे लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है और कहा है कि गरबा गुजरात की परंपरा है, यहां की संस्कृति है और करोड़ों लोग इससे जुड़े हुए हैं। इसे देखते हुए सरकार अपना फैसला बदले। 

इसके अलावा गरबा खेलने की ड्रेस जिसे लहंगा चोली या चनिया चोली कहा जाता है, उस पर भी जीएसटी लगाया गया है। 1000 रुपये से कम की गरबा ड्रेस पर 5 फीसद जीएसटी है जबकि 1000 रुपये से ऊपर की ड्रेस पर 12 फीसद जीएसटी लगा है।

निकाली काट 

सूरत में गरबा नृत्य का आयोजन करने वालों ने जीएसटी लगाए जाने की काट खोज ली है। उन्होंने पूरे गरबा नृत्य के सत्र के दौरान बनने वाले एक पास को डेली पास से बदल दिया है। उनका कहना है कि डेली पास की कीमत 499 रुपये से कम है और इसलिए इस पर जीएसटी नहीं लगेगा। उन्होंने कहा कि अगर गरबा देखने वाले लोग हर दिन डेली पास लेकर आएंगे तो उन्हें जीएसटी नहीं चुकाना होगा।

सरकार के इस फैसले को लेकर स्थानीय लोगों का कहना है कि वे गरबा देखने बाहर नहीं जाएंगे और अपनी सोसाइटी में ही इसका आयोजन करेंगे।

अहमदाबाद के रहने वाले हरीश पटेल ने न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस से कहा कि सरकार कई जरूरी उत्पादों पर जीएसटी लगा रही है। उन्होंने कहा कि गरबा और नवरात्रि गुजरात की पहचान है और गरबे पर जीएसटी लगाना ठीक नहीं है, इससे हर किसी के बजट पर असर होगा। 

इवेंट आयोजन कराने वाले समीर शाह ने कहा कि बड़े गरबा कार्यक्रमों का आयोजन पिछले 3 सालों से कोरोना की वजह से रुका हुआ है और इस वजह से वे लोग पहले से ही नुकसान झेल रहे हैं। उन्हें उम्मीद थी कि इस साल वे कुछ कारोबार करेंगे लेकिन अब गरबा के एंट्री पास पर जीएसटी लगा दिया गया है, ऐसे में सभी चीजों का बजट बढ़ जाएगा और सिर्फ कुछ ही लोग गरबा देखने और खेलने आएंगे।

बता दें कि गुजरात में कुछ महीने बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं और जिस तरह सरकार के फैसले को लेकर लोगों की नाराजगी सामने आई है उससे यह निश्चित रूप से एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है।

देखना होगा कि लोगों और राजनीतिक दलों के विरोध के बाद क्या सरकार इस फैसले को वापस लेगी। 

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