महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ रुपए की वसूली के आरोपों की जाँच प्रवर्तन निदेशालय तो कर ही रहा था, अब सीबीआई ने भी जाँच तेज कर दी है।
सीबीआई ने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव सीताराम कुंटे और डीजीपी संजय पांडे को पूछताछ के लिए समन भेजा है।
सीबीआई सीताराम कुंटे और संजय पांडे से पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह द्वारा लिखी गयी चिट्ठी के आधार पर पूछताछ करना चाहती है, जो उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखी थी।
मनी लॉन्ड्रिंग
उन्होंने देशमुख पर 100 करोड़ रुपये की वसूली के आरोप लगाए थे। सीबीआई के साथ-साथ प्रवर्तन निदेशालय भी अनिल देशमुख के ख़िलाफ़ मनी लॉन्ड्रिंग की जाँच कर रहा है।
पिछले काफी दिनों से पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के ख़िलाफ़ 100 करोड़ रुपए की वसूली के मामले में सीबीआई की जाँच में कोई प्रगति नहीं दिख रही थी। गुरुवार को सीबीआई ने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव सीताराम कुंटे और डीजीपी संजय पांडे को पूछताछ के लिए समन भेज दिया।
सूत्रों का कहना है कि सीताराम कुंटे और संजय पांडे ने सीबीआई से अनुरोध किया है कि वह उनका बयान उनके ही दफ्तर में दर्ज करें।
परमबीर सिंह, पूर्व कमिश्नर, मुंबई पुलिस
क्या कहा था परमवीर ने?
हालांकि इसके पीछे की वजह अभी तक साफ नहीं हो पाई है कि आखिरकार कुंटे और संजय पांडे अपना बयान अपने ही दफ्तर में क्यों दर्ज कराना चाह रहे हैं।
बता दें कि मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने इसी साल 20 मार्च को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक चिट्ठी लिखकर पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर मुंबई के बार और रेस्टोरेंट्स से 100 करोड़ रुपए की अवैध वसूली का आरोप लगाया था।
परमबीर सिंह की इस चिट्ठी के बाद से देश की राजनीति में भूचाल आ गया था और उसके बाद गृह मंत्री अनिल देशमुख को अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ गया था।
इसके बाद बंबई हाई कोर्ट के आदेश के बाद अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था। अब उसी मामले में सीबीआई महाराष्ट्र के मुख्य सचिव और डीजीपी से पूछताछ करना चाहती है।
अभी कुछ दिन पहले ही सीबीआई की प्राथमिकी जाँच की एक रिपोर्ट भी मीडिया में लीक हो गई थी जिसको लेकर काफी बवाल हुआ था। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई को जाँच में कुछ भी हासिल नहीं हुआ था इसलिए उनके ऊपर मनी लॉन्ड्रिंग जैसा गंभीर मामला बनता ही नहीं है।
इस मामले में जब सीबीआई ने जाँच की तो पता लगा कि उसके ही एक अधिकारी ने प्रारंभिक जाँच को अनिल देशमुख के वकील के साथ साझा किया था। इसके बाद उस वकील ने इस प्रारंभिक जाँच की रिपोर्ट को मीडिया में लीक कर दिया। सीबीआई ने इस मामले में अपने ही अधिकारी को घूस लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था एवं अनिल देशमुख के वकील की भी गिरफ्तारी हुई थी।
सीबीआई ने साफ कर दिया था कि अनिल देशमुख के खिलाफ अभी भी जांच चल रही है। ऐसा माना जा रहा है कि मुख्य सचिव और डीजीपी को भेजा गया समन उसी जांच को आगे बढ़ाने का हिस्सा है।
अनिल देशमुख के ख़िलाफ़ प्रवर्तन निदेशालय भी मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जाँच कर रहा है। ईडी ने 5 बार अनिल देशमुख को पूछताछ के लिए समन भेजा, लेकिन वह एक भी बार ईडी के सामने पेश नहीं हुए। यही कारण है कि कुछ दिन पहले ही ईडी ने अनिल देशमुख के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर भी जारी कर दिया था ताकि अनिल देशमुख देश छोड़कर फरार ना हो जाएं।
देशमुख के वकीलों ने हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ईडी की जांच का विरोध किया लेकिन दोनों ही अदालतों से अनिल देशमुख को कोई राहत नहीं मिली।
आपको बता दें कि प्राथमिकी जाँच में सीबीआई के हाथ जानकारी लगी थी कि देशमुख और उनके दोनों सचिवों के बीच कुछ संदिग्ध लेनदेन हुआ था और उसी की जांच के बाद ईडी ने भी मामला दर्ज किया था।
इसी जाँच का ये नतीजा रहा कि ईडी ने देशमुख के दोनों सचिवों को गिरफ्तार कर लिया था। दरअसल ये कथित उगाही का मामला उस समय सामने आया था जब मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ 100 करोड़ की उगाही के आरोप लगाए थे और उसी की जांच के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा था और इस मामले की जांच करने के लिए सीबीआई को हरी झंडी दी थी।