सवर्ण ग़रीबों के लिए 10 फ़ीसदी आर्थिक आरक्षण वाले विधेयक को को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी है और केंद्र सरकार ने इस बारे में अधिसूचना भी जारी कर दी है। बताया जा रहा है कि 1 हफ़्ते के अंदर क़ानून को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। इससे सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण मिलेगा।
सवर्ण ग़रीबों को आरक्षण देने के लिए 124वाँ संविधान संशोधन विधेयक 8 जनवरी को लोकसभा में लाया गया था, जो बहुमत के साथ पास हुआ था। विधेयक के समर्थन में 323 वोट पड़े थे जबकि 3 सांसदों ने इसके ख़िलाफ़ मतदान किया था। उसके बाद राज्यसभा में भी यह पास हो गया था।
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लोकसभा चुनाव से पहले इसे मोदी सरकार का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। यूथ फ़ॉर इक्विलटी नामक संगठन ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर 124वें संविधान संशोधन विधेयक को ख़ारिज करने की माँग की है।
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यूथ फ़ॉर इक्वलिटी के प्रमुख कौशल कांत मिश्र ने याचिका में कहा है कि यह विधेयक संविधान के ख़िलाफ़ है क्योंकि इससे आरक्षण की उच्चतम सीमा 50 प्रतिशत से अधिक हो जाएगी।
केंद्र सरकार का कहना है कि समाज के बहुत बड़े वर्ग को इसका लाभ मिलेगा और एससी-एसटी आरक्षण व्यवस्था से कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। ग़रीबों को आरक्षण से सबका विकास होगा और देश में अमन-चैन क़ायम होगा।