कोरोना से जूझते केरल में अब ज़ीका वायरस का पहला केस मिला
केरल कोरोना संक्रमण से अभी भी जूझ रहा है और इस बीच अब इस साल पहली बार ज़ीका वायरस के संक्रमण का मामला सामने आया है। एक महिला में ज़ीका वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है और 13 संदिग्ध लोगों के सैंपल जाँच के लिए पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी भेजे गए हैं।
यह वायरस एडीज प्रजाति के मच्छरों से फैलता है। हालाँकि, यह जानलेवा नहीं है, लेकिन इसके कई घातक असर हो सकते हैं। ज़ीका वायरस प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिकाओं पर हमला करता है। हालाँकि, गर्भवती महिलाओं में संक्रमण विकासशील भ्रूण को गंभीर रूप से नुक़सान पहुँचा सकता है और इससे जन्मजात विसंगतियाँ हो सकती हैं। चिंता की बात यह भी है कि वर्तमान में ज़ीका वायरस के लिए कोई टीका या इलाज नहीं है।
लेकिन केरल जैसे उस राज्य में यह चिंता की बात इसलिए है कि वहाँ कोरोना संक्रमण के मामले अब बढ़ने लगे हैं। राज्य में हर रोज़ 11 हज़ार से लेकर 13 हज़ार के बीच कोरोना संक्रमण के मामले आ रहे हैं। इतने मामले क़रीब एक महीने से आ रहे हैं। जबकि इस दौरान देश भर में कोरोना संक्रमण के मामले घटकर आधे रह गए हैं, लेकिन केरल में कुछ मामले बढ़े ही हैं।
केरल के हालात क्या हैं यह इससे भी समझा जा सकता है कि 15 जून के बाद सबसे ज़्यादा संक्रमण के मामले केरल राज्य से ही आ रहे हैं।
केरल में कोरोना से अपेक्षाकृत कम मौतें हुई हैं और इसके पीछे महामारी से निपटने में राज्य के बेहतर रिकॉर्ड को कारण बताया जा रहा है। पूरे देश में मृत्यु दर जहाँ 1.32 है वहीं केरल में यह 0.47 ही है। कुल मिलाकर, केरल में कोरोना से मरने वालों की संख्या 14,157 है, जो सबसे ज़्यादा मौत के मामले में देश का आठवाँ राज्य है।
इसी कारण आशंका है कि कोरोना से जूझते राज्य में यदि ज़ीका वायरस के मामले बढ़े तो राज्य के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है।
कहा जा रहा है कि केरल के जंगल ज़ीका वायरस के लिए ज़िम्मेदार एडीज मच्छरों के लिए अनुकूल माहौल पैदा करते हैं। एडीज मच्छर, जो डेंगू के वाहक भी हैं, ठहरे हुए मीठे पानी में प्रजनन करते हैं और ज़्यादातर घर के अंदर रहते हैं। केरल की जिस पहली महिला में इस वायरस का संक्रमण मिला है उसके कहीं दूसरे राज्यों में यात्रा करने के संकेत नहीं है। उसका घर तमिलनाडु की सीमा के पास है। वह गर्भवती थीं और उन्होंने 7 जुलाई को ही एक बच्चे को जन्म दिया है।
इस वायरस को सबसे पहले 1947 में युगांडा के ज़ीका जंगल में पाया गया था। जीका वायरस से संक्रमित होने के लक्षण डेंगू जैसे ही होते हैं जैसे बुखार आना, शरीर पर चकत्ते पड़ना, मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द होना, सिरदर्द, मतली, उल्टी और सामान्य तौर पर अस्पस्थ्य महसूस करना शामिल है।