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बिहार के मजदूरों पर फर्जी वीडियो बनाने वाला यूट्यूबर पत्रकार गिरफ्तार

बिहार के मजदूरों पर फर्जी वीडियो बनाने वाला यूट्यूबर पत्रकार गिरफ्तार

बिहार के उस यूट्यूबर पत्रकार मनीष कश्यप को आज गिरफ्तार कर लिया गया, जिस पर बिहार के मजदूरों को तमिलनाडु में मारे जाने का फर्जी वीडियो बनाने का आरोप है। उसके फर्जी वीडियो को बीजेपी के नेताओं ने काफी हवा दी थी। बाद में पूरे मामले को फर्जी पाया गया। तमिलनाडु और बिहार में उस पर कई एफआईआर दर्ज की गई हैं।

बिहार के प्रवासी मजदूरों की तमिलनाडु में हत्या का फर्जी वीडियो बनाने वाले बिहार के यूट्यूबर मनीष कश्यप उर्फ ​​त्रिपुरारी कुमार तिवारी को आज शनिवार 18 मार्च को गिरफ्तार कर लिया गया। उसने आज बेतिया पुलिस स्टेशन में सरेंडर किया था, उसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

YouTuber मनीष कश्यप ने तमिलनाडु में रह रहे बिहार के मजदूरों के मारे जाने की फर्जी अफवाह फैलाते हुए यह वीडियो बनाया था। जिसे बीजेपी नेताओं ने बहुत बड़ी तादाद में रीट्वीट किया था और जबरन मुद्दा बना दिया था। फर्जी वीडियो की पुष्टि होने के बाद बिहार और तमिलनाडु पुलिस ने मनीष कश्यप के खिलाफ कई मामले दर्ज किए। इस मामले में यह तीसरी गिरफ्तारी है। कश्यप को पश्चिम चंपारण जिले के बेतिया के जगदीशपुर पुलिस थाने में गिरफ्तार किया गया। उसकी संपत्तियों को कुर्क करने के लिए उसके घर अधिकारी पहुंच गए हैं।

बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, "दक्षिणी राज्य (तमिलनाडु) में मजदूरों के मुद्दे पर फर्जी समाचार मामले में बिहार पुलिस और तमिलनाडु पुलिस द्वारा वांछित कश्यप ने शनिवार को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।"

ईओयू ने मनीष कश्यप और अन्य के खिलाफ "सोशल मीडिया पर तमिलनाडु में प्रवासियों के मारे जाने और पिटाई के फर्जी वीडियो फैलाने में शामिल होने" के आरोप में तीन मामले दर्ज किए थे। 

राज्य पुलिस ने 15 मार्च को मनीष कश्यप और युवराज सिंह राजपूत के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद एक विशेष टीम का गठन किया था और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए अन्य राज्यों में छापेमारी की थी।

बिहार पुलिस के मुताबिक ईओयू द्वारा गठित छह टीमों के साथ पटना और चंपारण पुलिस कल (शुक्रवार) से लगातार उसके विभिन्न ठिकानों और ठिकानों पर छापेमारी कर रही थी। उसने गिरफ्तारी और अन्य कानूनी कार्रवाई की आशंका से शनिवार को बेतिया के जगदीशपुर पुलिस स्टेशन में आत्मसमर्पण कर दिया। 

इससे पहले पुलिस को मनीष कश्यप उर्फ ​​त्रिपुरारी कुमार तिवारी के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के सबूत मिले थे और उसके सभी बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया था। पुलिस ने उस पर अपनी गिरफ्तारी की फर्जी तस्वीर पोस्ट कर अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भ्रामक सूचना फैलाने का भी आरोप लगाया था।

ईओयू ने 6 मार्च को इस मामले में पहली एफआईआर दर्ज की थी और कश्यप समेत चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

ईओयू के अधिकारियों ने पहली एफआईआर की जांच के सिलसिले में अमन कुमार को जमुई से पहले ही गिरफ्तार कर लिया है। उस एफआईआर में नामजद लोगों में अमन कुमार, राकेश तिवारी, युवराज सिंह राजपूत और मनीष कश्यप शामिल थे।

बिहार पुलिस (मुख्यालय) के अतिरिक्त महानिदेशक जेएस गंगवार ने पिछले हफ्ते पत्रकारों को बताया था कि ईओयू की जांच में पाया गया है कि तमिलनाडु में प्रवासियों की पिटाई और हत्या के 30 फर्जी वीडियो सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किए गए, जिससे मजदूरों में दहशत फैल गई। अफवाह की वजह से बिहार के मजदूरों को वीडियो के बाद तमिलनाडु से भागने पर मजबूर होना पड़ा।तमिलनाडु पुलिस ने भी मामले की जांच के लिए 13 मामले दर्ज किए हैं।

इससे पहले, बिहार सरकार ने दक्षिणी राज्य में मामले की जांच कर रहे अधिकारियों के साथ समन्वय के लिए शीर्ष अधिकारियों की चार सदस्यीय टीम भी तमिलनाडु भेजी थी।

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