योगी सरकार: IAS अधिकारी पर 'धर्मांतरण' के आरोपों की एसआईटी जाँच होगी
'लव जिहाद' और धर्मांतरण पर मुखर रहने वाली योगी सरकार आज अपने एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन के ख़िलाफ़ ही सख़्त दिख रही है। यूपी सरकार ने उस अधिकारी के ख़िलाफ़ कथित तौर पर धर्मांतरण का पाठ पढ़ाने के आरोपों पर एसआईटी जाँच गठित कर दी है। सरकार की यह कार्रवाई सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो के वायरल होने के मामले में है। आरोप लगाया गया है कि उन वीडियो में कथित तौर पर वरिष्ठ अधिकारी अपने आधिकारिक आवास पर कुछ लोगों को धर्मांतरण का उपदेश दे रहे हैं। दक्षिणपंथी विचार वाले कई लोगों ने इस वीडियो को शेयर किया और कार्रवाई की मांग की थी। हालाँकि अभी तक वीडियो की प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं हो पाई है।
उन वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर किये जाने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार के गृह विभाग ने ट्वीट कर कहा है कि एसआईटी जाँच के अध्यक्ष डीजी सीबीसीआईडी जीएल मीणा होंगे और 7 दिन में रिपोर्ट आएगी।
कानपुर के आईएएस श्री इफ्तखारुद्दीन के मामले में शासन द्वारा एसआईटी से जांच के आदेश दिए गए हैं।
— HOME DEPARTMENT UP (@homeupgov) September 28, 2021
एसआईटी के अध्यक्ष डीजी सीबीसीआईडी जीएल मीणा होंगे एवं सदस्य एडीजी ज़ोन भानु भास्कर होंगे।
एसआईटी अपनी रिपोर्ट 7 दिन में शासन को प्रेषित करेगा।
मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन फ़िलहाल राज्य के सड़क परिवहन निगम के प्रमुख के रूप में लखनऊ में कार्यरत हैं। वह 1985 बैच के अधिकारी हैं, जो 2007 से 2018 के बीच विभिन्न पदों पर कानपुर में तैनात थे। सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हुए हैं उनमें आरोप लगाया जा रहा है कि उन्हें कानपुर में रिकॉर्ड किया गया था।
सोशल मीडिया पर शेयर किए गए वीडियो में लगता है कि इफ्तिखारुद्दीन कमरे में एक कुर्सी पर बैठे हैं। वीडियो में उनके अलावा 10-15 अन्य लोग फर्श पर बैठे हुए हैं। कथित तौर पर वह वीडियो में उन्हें इसलाम के गुणों का उपदेश देते हुए दिखते हैं।
यह वीडियो कितना सही और कितना ग़लत, अभी तक पुलिस खुद ही साफ़ नहीं कर पाई है। कानपुर पुलिस ने ट्वीट किया है कि जाँच की जा रही है कि क्या वीडियो सही है।
कानपुर आयुक्त आवास में लिए गए #IAS मो. इफ्तिखारुद्दीन के एक वायरल हुए वीडियो की जांच @kanpurnagarpol के ADCP East को दी गई है, जांच की जा रही है कि क्या वीडियो सही है और क्या इसमें कोई अपराध हुआ है। @Uppolice
— POLICE COMMISSIONERATE KANPUR NAGAR (@kanpurnagarpol) September 27, 2021
हालाँकि यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य ने सोमवार को कहा था कि राज्य सरकार इस मामले को गंभीरता से लेगी। उन्होंने एक पत्रकार के सवाल के जवाब में कहा था, 'इसकी जाँच की जाएगी और इसके ख़त्म होने के बाद हम कार्रवाई करेंगे।'
मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन के इस कथित वीडियो को शेयर करने वालों में बीजेपी और आरएसएस से जुड़े होने का दावा करने वाले लोग भी शामिल हैं। इनमें से एक तो नीरज जैन भी हैं जो अजमेर के डेपुटी मेयर हैं। वह ख़ुद को बीजेवाईएम के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, एबीवीपी के पूर्व राज्य सचिव और आरएसएस के कार्यकर्ता बताते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ट्विटर पर उन्हें फ़ॉलो भी करते हैं।
नफ़रत फैलाने के आरोपों का सामना करते रहे न्यूज़ चैनल सुदर्शन न्यूज़ ने भी उस वीडियो को ट्वीट किया है और दावा किया है कि वह आईएएस अधिकारी धर्मांतरण का पाठ पढ़ा रहे हैं। यह वही सुदर्शन न्यूज़ है जिसने 'यूपीएससी जिहाद' का कार्यक्रम प्रसारित किया था और इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने इसकी खिंचाई की थी। उसने उस कार्यक्रम पर रोक भी लगा दी थी।
बता दें कि पिछले साल उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण के ख़िलाफ़ क़ानून लाया गया है। उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 को नवंबर के आख़िरी सप्ताह में राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है। इस क़ानून में व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों तरह के धर्मांतरण को रोकने का प्रावधान किया गया है। इस क़ानून को और 'लव जिहाद' के मुद्दे को अगले विधानसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जाता रहा है।