यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। सूत्रों ने बताया कि इस दौरान योगी ने लखनऊ में 10-12 फरवरी, 2023 को आयोजित होने वाले यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर समिट पर चर्चा की।
बीजेपी के सूत्र ने कहा, जैसे-जैसे शिखर सम्मेलन नजदीक आ रहा है, उत्तर प्रदेश के साथ-साथ केंद्रीय नेतृत्व के साथ कई बैठकें हो रही हैं। मुख्यमंत्री ने शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री को निमंत्रण दिया और अब तक की तैयारियों पर अपडेट साझा किया।
सूत्र ने बताया कि आदित्यनाथ ने मोदी से उत्तर प्रदेश में एमएलसी चुनाव के बारे में भी बात की। समझा जाता है कि एमएलसी चुनाव में बीजेपी के किन लोगों को टिकट दिया जाएगा, उन नामों पर दोनों ने विचार किया। हालांकि इस बारे में विस्तृत जानकारी सामने नहीं आया है।
आधिकारिक अपडेट के अनुसार, ग्लोबल शिखर सम्मेलन के लिए कुछ ही हफ्ते बचे हैं, यूपी लगभग 7 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त करने में कामयाब रहा है।मुख्यमंत्री के नेतृत्व में विभिन्न प्रकार के निवेश प्रस्तावों पर हाथ आजमाने के लिए राज्य के प्रतिनिधि भी विदेश यात्रा कर रहे हैं।
हालांकि जिन विदेशी प्रस्तावों की बहुत चर्चा हुई, उनमें से एक प्रस्ताव विवादों में भी आ गया। रविवार 18 दिसंबर को यूपी सरकार ने एक प्रेस रिलीज के जरिए दावा कि अमेरिका की प्रसिद्ध ऑस्टिन यूनिवर्सिटी से नॉलेज पार्क नोएडा में कैंपस बनाने के लिए 42 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग रु. 35,000 करोड़) का एमओयू साइन किया गया है। इससे यूपी में अकेले इसी एमओयू से 35000 करोड़ का विदेशी निवेश आएगा। सिद्धार्थ नाथ सिंह भारत लौटे तो अपने गृह नगर इलाहाबाद में विस्तार से इस एमओयू का बखान किया। सिंह ने इलाहाबाद के एक कार्यक्रम में कहा कि इससे 6 लाख लोगों को नौकरियां मिलेंगी।
इंडियन एक्सप्रेस ने 22 दिसंबर को एक खबर छापकर बताया कि कैलिफोर्निया डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स के एक आदेश के अनुसार, सैन फ्रांसिस्को में ऑस्टिन यूनिवर्सिटी को 2011 में एक गैर-मान्यता प्राप्त निजी माध्यमिक शिक्षा संस्थान के रूप में संचालित करने की मंजूरी 8 दिसंबर, 2022 को रद्द कर दी गई है। इसके अलावा, इस यूनिवर्सिटी पर यूएस $ 9,965 का जुर्माना लगाया गया है। यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर खुद इन तथ्यों को डाला गया है और बताया गया है कि कुल 25 कर्मचारी इस कथित प्राइवेट यूनिवर्सिटी में काम करते हैं।
बुधवार को उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट) अरविंद कुमार ने स्पष्ट किया कि एमओयू ऑस्टिन यूनिवर्सिटी के साथ नहीं बल्कि ऑस्टिन कंसल्टिंग ग्रुप के साथ हुआ था। लेकिन इंडियन एक्सप्रेस की 22 दिसंबर की रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑस्टिन यूनिवर्सिटी और ऑस्टिन कंसल्टिंग ग्रुप के पीछे एक ही चेहरा है और उनका नाम अशरफ अल मुस्तफा है। अशरफ ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वो मिश्र के मूल निवासी हैं और अब अमेरिकी नागरिक हैं। उन्होंने हाल ही में ऑस्टिन कंसल्टिंग ग्रुप का गठन किया है। जिसकी परियोजनाएं भारत और मिश्र में हैं। उन्होंने बताया कि ऑस्टिन कंसल्टिंग ग्रुप लाभ कमाने के लिए है। जबकि ऑस्टिन यूनिवर्सिटी का गठन उन्होंने नॉन प्रॉफिट संस्था के रूप में किया है। यूपी सरकार के एमओयू का ऑस्टिन यूनिवर्सिटी से कोई संबंध नहीं है। मुस्तफा का दावा है कि ऑस्टिन कंसल्टिंग ग्रुप में उनकी 50 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी है।
बहरहाल, यूपी सरकार अब कह रही है कि यह सिर्फ एमओयू भर है। हम इसके लिए बाध्य नहीं हैं। ऑस्टिन से किये गए समझौते के दस्तावेज यूपी सरकार से 16 दिसंबर को साझा किए गए थे। इससे पता चलता है कि एमओयू पर कुछ अमेरिकी लोगों के भी हस्ताक्षर हैं, जिन्होंने खुद को ऑस्टिन यूनिवर्सिटी का वीसी और सीईओ बताया था। इसके साथ यूपी सरकार ने एक फोटो भी जारी किया था। जिसमें मंत्री सुरेश खन्ना, सिद्धार्थ नाथ सिंह और अशरफ अल मुस्ताफा के अलावा बाकी लोग दिखाई दे रहे हैं।