यूएस राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषणा की है कि जब तक अमेरिका में नवजात शिशु के पैरंट्स में से कम से कम एक अमेरिकी नागरिक या ग्रीन कार्ड धारक नहीं है, तब तक बच्चा अमेरिकी नागरिक नहीं होगा। यह एक ऐसा अधिकार है जो अमेरिका में जन्म लेने वाले सभी लोगों को काफी समय से मिला हुआ है।
ट्रम्प के फैसले का अमेरिका में अस्थायी वीजा स्थिति वाले सभी लोगों पर व्यापक असर पड़ेगा। इससे सबसे ज्यादा भारत, पाकिस्तान सहित तमाम एशियाई देशों के लोग प्रभावित हो सकते हैं। हजारों भारतीय अस्थायी वर्क वीजा (एच -1 बी और एल 1), आश्रित वीजा (एच 4), अध्ययन वीजा (एफ 1) पर हैं। लेकिन ट्रम्प का नया आदेश 30 दिन बाद यानी 20 फरवरी से अमेरिका में पैदा हुए सभी बच्चों पर लागू होगा।
अमेरिका में भारतीय मूल के 50 लाख से अधिक लोग हैं। लेकिन इसमें भारतीय-अमेरिकी और भारतीय दोनों शामिल हैं। हालांकि इस आदेश को न्यू हैम्पशायर और मैसाचुसेट्स की अदालतों में मंगलवार को ही चुनौती दी जा चुकी है और अगर अगले महीने अदालतें इस पर रोक लगा देती हैं तो ट्रम्प का आदेश प्रभावी नहीं होगा। विशेषज्ञ ट्रम्प के इस आदेश को अमेरिकी संविधान की मूल भावना के खिलाफ भी बता रहे हैं। इसलिए अदालत ट्रम्प के आदेश पर रोक जरूर लगाएगा।
हालांकि ट्रम्प ने बाद में एच 1 बी वीजा पर बहस के दौरान अपनी बात में सुधार किया। लेकिन आदेश को नहीं बदला। व्हाइट हाउस में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान ट्रम्प ने कहा कि उन्हें एच-1बी विदेशी मेहमान वीजा, श्रमिक वीजा पर बहस के दोनों पक्ष पसंद हैं। वह देश में आने वाले "काबिल लोगों" का स्वागत करते हैं।
ट्रम्प ने कहा- “मुझे हमारे देश में बहुत सक्षम लोगों का आना पसंद है, भले ही इसमें उन्हें ट्रेनिंग देना और अन्य लोगों की मदद करना शामिल हो, जिनके पास उनके जैसी योग्यता नहीं है। मैं रुकना नहीं चाहता...।'' ट्रम्प जब यह सब बोल रहे थे तो उनके साथ ओरेकल के सीटीओ लैरी एलिसन, सॉफ्टबैंक के सीईओ मासायोशी सोन और ओपन एआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन मौजूद थे।
20 हजार भारतीयों पर लटकी तलवार, भारत चिंतितः ट्रम्प ने भले ही कई देशों से अवैध आव्रजन (इमीग्रेशन) को रोकने के लिए कड़ा उठाया है। लेकिन उसकी बेचैनी भारत में भी महसूस की जा रही है। मोदी सरकार इस बात को लेकर परेशान है कि यूएस से बड़ी तादाद में ऐसे भारतीयों की वापसी हो सकती है जो अवैध अप्रवासी श्रेणी में आते हैं। करीब 300,000 भारतीय छात्र अमेरिका में हैं, जो कि किसी भी विदेशी देश का सबसे बड़ा समूह हैं। कुल मिलाकर 20,000 से अधिक की स्थिति पर बादल मंडरा रहे हैं।
अगर ट्रम्प प्रशासन अपने फैसले पर आगे बढ़ता है, तो सबसे पहले प्रभावित होने वालों में नवंबर 2024 तक 20,407 "अप्रमाणित" भारतीय हो सकते हैं। वे भी प्रभावित होंगे जो "अंतिम निष्कासन आदेश" का सामना कर रहे हैं या वर्तमान में, अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) के हिरासत केंद्रों में हैं। इनमें से 17,940 "पेपरलेस" भारतीय हिरासत में नहीं हैं, लेकिन "अंतिम निष्कासन आदेश" के तहत हैं। अन्य 2,467 आईसीई के प्रवर्तन और निष्कासन संचालन (ईआरओ) के तहत हिरासत में हैं।
अमेरिकी एजेंसी आईसीई ने भारत को इराक, दक्षिण सूडान और बोस्निया-हर्जेगोविना के साथ उन 15 "असहयोगी" देशों की सूची में रखा है जो अमेरिका से अपने "अवैध" नागरिकों को वापस स्वीकार करने में अनिच्छुक हैं। "असहयोगी" के वर्गीकरण में फिर कई श्रेणियां हैं।
आईसीई की 2024 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, निर्वासित भारतीयों की संख्या चार वर्षों में पांच गुना बढ़ गई है: 2021 में 292 से 2024 में 1,529 तक।
विवादः ट्रंप ने डार्क वेब 'सिल्क रोड' के निर्माता रॉस उलब्रिच्ट को माफ़ किया
ट्रम्प ने मंगलवार को कुख्यात डार्क वेब साइट सिल्क रोड के संस्थापक रॉस उलब्रिच्ट को "पूर्ण और बिना शर्त" माफी की घोषणा की। उन्होंने ट्रुथ सोशल पर उलब्रिच्ट को क्षमादान देने के अपने फैसले की घोषणा की। यह शख्स डार्क वेब पर तमाम अवैध काम के लिए कुख्यात था। ऑस्टिन, टेक्सास के रहने वाले उलब्रिच्ट ने 2011 में सिल्क रोड की शुरुआत की, जो एक डार्कनेट मार्केटप्लेस है। यह व्यापार के लिए एक गुमनाम और फ्रीव्हीलिंग प्लेटफॉर्म था और क्रिप्टोकरेंसी के जरिये चलता था। इसने बिटकॉइन को अपनी मुद्रा के रूप में इस्तेमाल किया और टोर नेटवर्क पर काम किया। प्लेटफ़ॉर्म ने यूजर्स को अपने स्थान या पहचान का खुलासा किए बिना लेनदेन करने की अनुमति दी।
दो साल की अवधि में, सिल्क रोड अवैध गतिविधियों का केंद्र बन गया और 200 मिलियन डॉलर से अधिक की आमदनी करने लगा। अभियोजकों के अनुसार, उलब्रिच्ट 'ड्रेड पाइरेट रॉबर्ट्स' उपनाम के तहत काम करता था और सिल्क रोड का संचालन करता था। उन पर कई तरह के आरोप लगे जिनमें इस मंच को बचाने के लिए हत्याओं तक का आरोप शामिल है।
अक्टूबर 2013 में, उलब्रिच्ट को सैन फ्रांसिस्को में गिरफ्तार किया गया। फरवरी 2015 में, उन्हें मादक पदार्थों की तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग और कंप्यूटर हैकिंग जैसे आरोपों में दोषी ठहराया गया। कोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अपनी सजा पर प्रतिक्रिया देते हुए, उलब्रिच्ट ने कहा था, "मैं लोगों को अपने जीवन में विकल्प चुनने और गोपनीयता और गुमनामी में जीने के लिए मजबूत बनाना चाहता था।"