ट्रम्प लाए मुसीबत, न्यूयॉर्क, न्यूजर्सी के गुरुद्वारों में किनको तलाशा जा रहा?

05:55 pm Jan 27, 2025 | सत्य ब्यूरो

अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (डीएचएस) के आव्रजन प्रवर्तन अधिकारियों ने "अवैध" अप्रवासियों की मौजूदगी की जांच करने के लिए रविवार को न्यूयॉर्क और न्यू जर्सी के गुरुद्वारों का दौरा किया, जिस पर सिख संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

ट्रम्प प्रशासन के अधिकारियों ने "अवैध अप्रवासियों" के बारे में बताने के लिए बार-बार "अवैध एलियंस" शब्द का इस्तेमाल किया है।

डीएचएस के प्रवक्ता ने कहा, "यह कार्रवाई हमारे आव्रजन कानूनों को लागू करने और हत्यारों और बलात्कारियों सहित आपराधिक एलियंस को पकड़ने के लिए सशक्त बनाती है, जो अवैध रूप से हमारे देश में आए हैं।"

प्रवक्ता ने कहा- “गिरफ्तारी से बचने के लिए अपराधी अब अमेरिका के स्कूलों और चर्चों में नहीं छिप सकेंगे। ट्रम्प प्रशासन हमारे बहादुर अधिकारियों के हाथ नहीं बांधेगा।''

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन ने "अवैध" माने जाने वाले अप्रवासियों के खिलाफ टारगेट कार्रवाई शुरू कर दी है। रिपब्लिकन प्रशासन ने पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रशासन के दिशानिर्देशों को वापस ले लिया है, जो "संवेदनशील" समझे जाने वाले क्षेत्रों के पास ऐसे कदम को रोकते थे। इनमें गुरुद्वारा और चर्च जैसे पूजा स्थल शामिल थे।

इससे पहले, उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने धार्मिक स्थलों को निशाना बनाकर आप्रवासन छापे की संभावना से इंकार कर दिया था और कहा था कि ऐसे उपाय आप्रवासन के लिए "मायने नहीं" रखते हैं। वेंस ने कहा था, "यदि आपके पास कोई ऐसा व्यक्ति है जिसे हिंसक अपराध का दोषी ठहराया गया है, चाहे वह अवैध आप्रवासी हो या नहीं, आपको सार्वजनिक सुरक्षा की रक्षा के लिए उस व्यक्ति के पास जाना होगा।"

सिख 'गंभीर रूप से चिंतित'

सिख अमेरिकन लीगल डिफेंस एंड एजुकेशन फंड (एसएएलडीएफ) ने ट्रम्प प्रशासन द्वारा "संवेदनशील" क्षेत्रों पर पिछले दिशानिर्देशों को रद्द करने पर गंभीर चिंता व्यक्त की। पीटीआई ने एसएएलडीईएफ की कार्यकारी निदेशक किरण कौर गिल के हवाले से कहा, ''संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा खत्म करने और फिर गुरुद्वारों जैसे पूजा स्थलों को निशाना बनाने के होमलैंड सिक्योरिटी विभाग के फैसले से हम बहुत चिंतित हैं।''

एसएएलडीएफ ने कहा, "अमेरिकी नीति में यह परेशान करने वाला बदलाव है। निर्देश जारी होने के कुछ ही दिनों बाद डीएचएस एजेंटों द्वारा न्यूयॉर्क और न्यू जर्सी गुरुद्वारों का दौरा करने को हम गंभीर मान रहे हैं।"

गिल ने कहा कि इन कार्रवाइयों से सिख आस्था की "पवित्रता" को खतरा है और अमेरिका में आप्रवासी समुदायों के लिए एक "डराने वाला संदेश" है।

संगठन ने कहा कि नया निर्देश सिखों की अपनी आस्था के अनुसार इकट्ठा होने और एक-दूसरे से जुड़ने की क्षमता को सीमित कर देगा। इसमें कहा गया है, "यह विचार कि हमारे गुरुद्वारों पर सरकारी निगरानी की जा सकती है और सशस्त्र कानून प्रवर्तन द्वारा वारंट के साथ या उसके बिना छापेमारी की जा सकती है, सिख आस्था परंपरा के लिए अस्वीकार्य है।"

  • सिख संगठनों के गठबंधन ने कहा, "सिख-चाहे दस्तावेजी हों या गैर-दस्तावेजी उन्हें तलाशने के लिए गुरुद्वारे छापे और निगरानी से चिंतित हैं। इससे गुरुद्वारों में उपस्थिति का असर पड़ सकता है। ऐसे में सार्थक तरीके से आवश्यक धार्मिक प्रथाओं को ठीक से निभाने में दिक्कत आएगी।"

ट्रम्प की टैरिफ धमकियों के बाद कोलंबिया ने घुटने टेके

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा निर्वासित प्रवासियों को ले जाने वाले अमेरिकी सैन्य विमानों को वापस भेजने के लिए बोगोटा को टैरिफ और वीजा प्रतिबंधों की धमकी दी। कुछ ही घंटों बाद कोलंबिया ने घुटने टेक दिए और कहा कि वो सैन्य विमानों को उतरने से नहीं रोकेगा, जिसमें अवैध अप्रवासियों को लाया जा रहा है। रविवार देर रात को यह कदम तब उठाया गया जब कोलंबियाई राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने अमेरिकी आयात पर जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की थी और जोर देकर कहा था कि वह उन प्रवासियों को स्वीकार नहीं करेंगे जिनके साथ "गरिमा और सम्मान" के साथ व्यवहार नहीं किया जाता है।

देर रात संवाददाता सम्मेलन में, कोलंबियाई विदेश मंत्री लुइस गिल्बर्टो मुरिलो ने कहा कि हम अमेरिका से निर्वासित नागरिकों को स्वीकार करेंगे। उधर, व्हाइट हाउस के एक बयान में कहा गया है कि कोलंबिया ट्रम्प की सभी शर्तों पर सहमत हो गया है, जिसमें "संयुक्त राज्य अमेरिका से लौटे कोलंबिया के सभी अवैध एलियंस की अप्रतिबंधित स्वीकृति, जिसमें अमेरिकी सैन्य विमान भी शामिल हैं। व्हाइट हाउस ने कहा, "आज की घटनाओं से दुनिया को यह स्पष्ट हो गया है कि अमेरिका का फिर से सम्मान किया जा रहा है।"

(इस रिपोर्ट का संपादन यूसुफ किरमानी ने किया)