श्रीलंकाः मार्क्सवादी रुझान वाले दिसानायके की पार्टी को बहुमत के मायने क्या हैं?
පුනරුද යුගය ඇරඹීමට උරදුන් සැමට ස්තූතියි!
— Anura Kumara Dissanayake (@anuradisanayake) November 15, 2024
மறுமலர்ச்சி யுகத்தை ஆரம்பிக்க தோள் கொடுத்த அனைவருக்கும் நன்றி!
Thank you to all who voted for a renaissance!
श्रीलंका में उत्सव का माहौल है। यहां की जनता ने जिसे अपने आंदोलन का हीरो चुना था, उसकी पार्टी को बहुमत भी दे दिया। शुक्रवार, 15 नवंबर को आधिकारिक चुनाव परिणामों के अनुसार, श्रीलंका के नए मार्क्सवादी-झुकाव वाले राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके की पार्टी ने संसद में बहुमत हासिल कर लिया है। उन्हें अपने आर्थिक पुनरुद्धार एजेंडे के लिए एक मजबूत जनादेश मिला है। दिसानायके ने एक ट्वीट करते हुए एक्स पर लिखा- देश के लिए 50 महान दिन! एक अन्य ट्वीट में दिसानायके ने लिखा- नए युग के लिए मतदान करने वाले सभी लोगों को धन्यवाद!
දින 50 යි රටට සුබයි!
— Anura Kumara Dissanayake (@anuradisanayake) November 15, 2024
நாட்கள் 50 நாட்டுக்கு நலம்!
50 great days for the country! pic.twitter.com/oRV4fJrly4
श्रीलंका चुनाव आयोग के नतीजों के मुताबिक, अनुरा कुमारा दिसानायके की नेशनल पीपुल्स पावर पार्टी ने संसद की 225 सीटों में से कम से कम 123 सीटें जीती हैं। विपक्षी नेता साजिथ प्रेमदासा के नेतृत्व वाली समागी जन बलवेगया (यूनाइटेड पीपुल्स पावर पार्टी) ने 31 सीटें हासिल कीं।
1948 में अपनी आजादी के बाद से श्रीलंका पर शासन करने वाले पारंपरिक राजनीतिक दलों को खारिज करते हुए, दिसानायके को 21 सितंबर को राष्ट्रपति चुना गया था। केवल 42 प्रतिशत वोट प्राप्त करने की वजह से संसदीय चुनावों में उनकी पार्टी की संभावनाओं पर सवाल उठ रहे थे। लेकिन मात्र दो महीने में दिसनायके की पार्टी को श्रीलंका की जनता ने महत्वपूर्ण समर्थन दे दिया। जनता ने इस वोट से दिसानायके को साफ कर दिया कि अब वो जनता के समर्थन वाली नीतियों को लागू करें।
यह जीत कई नजरिये से महत्वपूर्ण है। एक महत्वपूर्ण बदलाव में, दिसानायके की पार्टी ने कई अन्य अल्पसंख्यक गढ़ों के साथ-साथ उत्तर में जातीय तमिल समुदाय के केंद्र जाफना जिले में जीत हासिल की। यानी तमिल मूल के श्रीलंकाई और मुस्लिमों ने भी दिसानायके को भरपूर समर्थन दिया है। यह पहला मौका है जब श्रीलंका के इतिहास में हर क्षेत्र से जीत हासिल करते हुए कोई पार्टी संसद में पहुंची है।
- जाफना में यह जीत पारंपरिक जातीय तमिल पार्टियों के लिए एक बड़ा झटका है, जो आजादी के बाद से उत्तरी राजनीति पर हावी रही हैं।
“
यह तमिलों के रवैये में बदलाव का भी संकेत है, जो ऐतिहासिक रूप से सिंहली-बहुसंख्यक नेताओं से सावधान रहे हैं। जातीय तमिल विद्रोहियों ने सिंहली नेतृत्व वाली सरकारों द्वारा हाशिए पर रखे जाने का हवाला देते हुए एक अलग देश बनाने के लक्ष्य के साथ 1983 से 2009 तक असफल गृह युद्ध लड़ा।
संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार, श्रीलंकाई नागरिक संघर्ष में 100,000 से अधिक लोग मारे गए थे। संसद की 225 सीटों में से 196 पर श्रीलंका की आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत चुनाव लड़ा गया था, जो हर जिले में प्राप्त वोटों के अनुपात के आधार पर पार्टियों को सीटें आवंटित करता है।
Sri Lanka's President Anura Dissanayake wins control of parliament pic.twitter.com/OoUytrv3jd
— TRT World Now (@TRTWorldNow) November 15, 2024
शेष 29 सीटें, जिन्हें राष्ट्रीय सूची सीटों के रूप में जाना जाता है, पार्टियों और स्वतंत्र समूहों को देश भर में प्राप्त कुल वोटों के अनुपात के आधार पर आवंटित की जाती हैं।