कनाडा के हिंदू मंदिर पर हमले के बाद हिंदू एकजुटता मार्च, पुलिस अधिकारी सस्पेंड
खालिस्तानियों द्वारा हमले के एक दिन बाद ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर के बाहर हजारों कनाडाई हिंदुओं ने एकजुटता दिखाते हुए मार्च निकाला। उधर, उत्तरी अमेरिका में भी हिंदुओं के संगठन सीओएचएनए ने भी एकजुटता मार्च निकाला। हिंदू ग्रुप ने एक्स पर लिखा- "हिंदू मंदिरों पर बढ़ते बेशर्म हमलों के विरोध में एक हजार से अधिक कनाडाई हिंदू ब्रैम्पटन में एकत्र हुए। दिवाली के दौरान कई कनाडाई हिंदू मंदिरों पर हमला हुआ। हम कनाडा से इस हिंदूफोबिया को रोकने के लिए अनुरोध करते हैं।"
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प्रदर्शनकारी कनाडा और भारत के झंडों के साथ-साथ भगवा झंडे ले रखे थे और 'जय श्री राम' के नारे लगा रहे थे। इन लोगों ने खालिस्तान विरोधी नारे भी लगाये।
ब्रैम्पटन में एक हिंदू मंदिर के बाहर खालिस्तान समर्थक विरोध प्रदर्शन में भाग लेने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पील क्षेत्रीय पुलिस के सार्जेंट हरिंदर सोही को अधिकारियों ने निलंबित कर दिया।
पील क्षेत्रीय पुलिस ने कहा कि वे उस वीडियो से अवगत हैं, जिसमें एक ऑफ-ड्यूटी अधिकारी को सक्रिय रूप से प्रदर्शन में भाग लेते दिखाया गया है। मीडिया अधिकारी रिचर्ड चिन ने सीबीसी को बताया, "इस अधिकारी को सामुदायिक सुरक्षा और पुलिसिंग अधिनियम के अनुसार निलंबित कर दिया गया है।"
हिंदू प्रदर्शनकारियों ने कहा कि कनाडा में हिंदुओं के साथ लगभग 20 वर्षों से लगातार भेदभाव किया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों ने कनाडा सरकार से हिंदुओं के साथ सही व्यवहार करने का आग्रह किया।
Hindu Groups confront #Canada police calling out their inaction against khalistani terror
— Nabila Jamal (@nabilajamal_) November 5, 2024
Huge crowds of Canadian Hindus marched in solidarity outside the Hindu Sabha temple in Brampton, a day after it was attacked by pro-Khalistanis groups 👇🏽#CanadaTempleAttack pic.twitter.com/hZXg1OPb84
हिंदू प्रदर्शनकारियों ने कहा कि "हिंदू कनाडाई कनाडा के प्रति बहुत वफादार हैं। हिंदू कनाडाई लोगों के साथ जो हो रहा है वह सही नहीं है। सभी राजनेताओं के लिए यह जानने का समय आ गया है कि हिंदू कनाडाई लोगों के साथ जो हो रहा है वह गलत है। हम चाहते हैं कि कनाडा हिंदुओं के साथ अच्छा व्यवहार करे। हम चाहते हैं कि भारत और कनाडा के रिश्ते मजबूत हों। इसका विरोध करने वालों के हम खिलाफ हैं।''
Hindu Priest at Hindu Sabha Temple in Brampton addressing Hindu Community after Khalistanis attacked the temple
— Shashank S Tripathi (@AnalystShashank) November 4, 2024
This was the red line; now, both sides will enjoy their freedom of speech!
pic.twitter.com/31ZwxJQtrH
हिंदू प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सोमवार रात ब्रैम्पटन में सभा "हमारे साथ जो हुआ उसका विरोध करने के लिए" यह मार्च था। यह हमारे साथ लगभग 20 वर्षों से हो रहा है। हमारे साथ लगातार भेदभाव किया जा रहा है। हम यहां यह दिखाने के लिए एकत्र हुए हैं कि कल पुलिस ने हमारे साथ कैसे भेदभाव किया। इसके बावजूद, सभी हिंदू यहां एकत्र हुए और शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन किया।
आरोप है कि रविवार को खालिस्तानी झंडे लेकर आए लोग हिंदू सभा मंदिर में श्रद्धालुओं से भिड़ गए। सोशल मीडिया पर वायरल हुए असत्यापित वीडियो में प्रदर्शनकारियों को खालिस्तान समर्थक बैनर और झंडे लेकर प्रदर्शन करते दिखाया गया है। घटना के सिलसिले में पुलिस ने अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। पील क्षेत्रीय पुलिस ने कहा कि लोगों को हथियार से हमला करने और एक पुलिस अधिकारी पर हमला करने के मामले में गिरफ्तार किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को हमले की निंदा की और ओटावा में कनाडा सरकार से "न्याय सुनिश्चित करने और कानून का शासन बनाए रखने" को कहा। मोदी ने कहा "मैं कनाडा में एक हिंदू मंदिर पर जानबूझकर किए गए हमले की कड़ी निंदा करता हूं। साथ ही, हमारे राजनयिकों को डराने-धमकाने की कायरतापूर्ण कोशिशें भी भयावह हैं। हिंसा के ऐसे कृत्य भारत के संकल्प को कभी कमजोर नहीं करेंगे। हम उम्मीद करते हैं कि कनाडाई सरकार न्याय सुनिश्चित करेगी और कानून का शासन बनाए रखेगी।"
सितंबर 2023 से भारत-कनाडा के बीच द्विपक्षीय संबंधों में गिरावट आना शुरू हुई थी। कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने दावा किया कि कनाडाई सुरक्षा एजेंसियों के पास खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय सरकारी एजेंटों को जोड़ने के विश्वसनीय सबूत हैं। भारत ने आरोपों का खंडन किया। नई दिल्ली ने खालिस्तानी समर्थक निज्जर को आतंकवादी करार दिया और उसे विभिन्न हिंसक गतिविधियों से जोड़ा है, जिसमें 2007 में पंजाब में मूवी थिएटर में बमबारी और 2009 में सिख राजनेता रूलदा सिंह की हत्या भी शामिल है।
लेकिन कनाडा ने उसके खिलाफ कार्रवाई करने से इनकार कर दिया और अन्य खालिस्तान समर्थक तत्वों पर भी अंकुश लगाने में विफल रहा।