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UN सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान का कार्यकाल शुरू, कश्मीर पर बहस तेज होगी

UN सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान का कार्यकाल शुरू, कश्मीर पर बहस तेज होगी

पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अस्थायी सीट पर अपना दो साल का कार्यकाल 1 जनवरी 2025 से शुरू कर दिया है। क्या पाकिस्तान यह मौका भारत विरोध में गुजारेगा। जुलाई में होने वाले सम्मेलन की अध्यक्षता भी उसे मिली है। ऐसे में वो अपने तमाम एजेंडे को रखने में पीछे नहीं रहेगा। उसे इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) और अल कायदा पर प्रतिबंध लगाने वाली कमेटी में भी सीट मिली है, जहां  आतंकवादी घोषित करने और उनके संगठन पर प्रतिबंध लगाया जाता है। 

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान ने बुधवार को जापान की जगह ले ली। अब वो दो वर्षों के लिए एशिया-प्रशांत क्षेत्र के हिस्से में आने वाली दो सीटों में से एक पर काबिज रहेगा। दूसरी सीट दक्षिण कोरिया की है। जुलाई में पाकिस्तान सुरक्षा परिषद के सम्मेलन की अध्यक्षता भी करने वाला है। इससे उसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपना एजेंडा तय करने में मदद मिलेगी। 

पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय एजेंडे में कश्मीर सबसे पहले होता है और वो कोई मौका नहीं छोड़ता है। यूएन में इस्लामाबाद के दूत ने सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान की सीट संभालने के बाद अपनी टिप्पणी में पहले ही इसका संकेत दिया है। पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्र राजदूत मुनीर अकरम ने कहा, "हम 'कश्मीर मुद्दे' को उठाना जारी रखेंगे और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से ठोस कदम उठाने पर जोर देंगे।"

अस्थायी सदस्य के रूप में नया दो साल का कार्यकाल संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान का आठवां कार्यकाल होगा। यह एक महत्वपूर्ण समय पर आया है, जब मध्य और पश्चिम एशिया राजनीतिक और मानवीय संकट का सामना कर रहा है। गजा में युद्ध आज भी जारी है, लेबनान की स्थिति बदतर हो चुकी है, इसराइल और ईरान के बीच तनाव, सीरिया में सत्ता परिवर्तन और अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच संघर्ष कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो यूएन सुरक्षा परिषद को प्रभावित करेंगे।

उधर, यूरोप में भी हालात कुछ कम विकट नहीं हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध ने यूरोप में गंभीर आर्थिक तनाव पैदा कर दिया है। पूर्वी एशिया में, ताइवान के लिए चीन के खतरे और उत्तर कोरिया की बढ़ती सैन्य ताकत पर गंभीर चिंताएं जताई जा रही हैं, जबकि दक्षिण कोरिया अपने सबसे खराब राजनीतिक संकटों में फंसा हुआ है। चीन के फिलीपींस और वियतनाम के साथ भी गंभीर मतभेद हैं जिसके कारण नौसैनिक टकराव की स्थिति पैदा हो गई है।

वीटो का अधिकार नहीं

सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के रूप में, पाकिस्तान के पास वीटो अधिकार नहीं होगा, लेकिन वो आतंकवादियों और उनके संगठनों पर प्रतिबंध की घोषणा कर सकता है। उधर, भारत का लक्ष्य पूर्ण वीटो अधिकार के साथ स्थायी सदस्य बनना है। इस्लामाबाद शायद भारत के इस अभियान में बाधा डालने और परिषद में उचित सीट हासिल करने के भारत के प्रयासों को रोकने के लिए हर मुमकिन कोशिश करेगा। भारत लंबे समय से यूएन सुरक्षा परिषद में "अत्यधिक आवश्यक सुधारों" की मांग कर रहा है।

पाकिस्तान पहले ही कह चुका है कि वह किसी भी नए स्थायी सदस्य को शामिल करने का कड़ा विरोध करेगा और इसके बजाय गैर-स्थायी सदस्यों के विस्तार का समर्थन करेगा।

पाकिस्तान ने यह भी कहा है कि इस्लामिक सहयोग संगठन या ओआईसी देशों से सुरक्षा परिषद के पांच गैर-स्थायी सदस्यों में से एक के रूप में, पाकिस्तान का लक्ष्य 'मुस्लिम दुनिया की आवाज' बनना होगा, ठीक उसी तरह जैसे भारत ग्लोबल साउथ 'की आवाज' है।

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