आगरा में औरंगजेब की मुबारक मंजिल किसने गिराई, अखिलेश ने कहा-जांच हो
17वीं शताब्दी की मुबारक मंजिल को आगरा में गिरा दिया गया। यह एक मुगल विरासत स्थल है, जिसे औरंगजेब की हवेली भी कहा जाता है। राज्य पुरातत्व विभाग ने तीन महीने पहले इसे नोटिस जारी किया था। उसे तीन महीने बाद ध्वस्त कर दिया गया था। स्थानीय लोगों ने बताया कि विध्वंस के बाद साइट से 100 ट्रैक्टर से अधिक मलबा हटाया गया।
ऑस्ट्रियाई इतिहासकार एब्बा कोच की किताब 'द कम्प्लीट ताज महल एंड द रिवरफ्रंट गार्डन्स ऑफ आगरा' में मुबारक मंजिल का इतिहास मौजूद है। ऐसे इतिहास और विरासत पर गर्व करने की बजाय इन्हें गिराने के लिए देश में माहौल बना दिया गया है। इसकी शुरुआत अयोध्या में बाबरी मस्जिद से हुई थी और अब आगरा में मुबारक मंजिल तक आ पहुंची है। हर मस्जिद के नीचे मंदिर खोजने का अभियान चरम पर पहुंच चुका है।
विश्वविख्यात इतिहास विलियम डेलरिम्पल ने इस घटना पर तीखी टिप्पणी की है। विलियम ने एक्स पर लिखा- भारत की विरासत की इससे भी भयावह उपेक्षा-आगरा की सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक इमारतों में से एक को अधिकारियों की पूरी मिलीभगत से नष्ट कर दिया गया। यही कारण है कि भारत इतने कम पर्यटकों को आकर्षित करता है।
More appalling negligence of India's heritage-
— William Dalrymple (@DalrympleWill) January 3, 2025
One of the most important historicbuildings in Agra destroyed with the full connivance of the authorities. This is exactly why India attracts so few tourists.
Agra's 17th C Mubarak Manzil razed by 'builder'
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सपा प्रमुख की तीखी प्रतिक्रिया
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। अखिलेश ने एक्स पर लिखा- आगरा में अवैध रूप से गिरायी गयी ऐतिहासिक धरोहर के मामले में हमारी संस्कृति मंत्रालय और भारतीय पुरातत्त्व विभाग से चार माँगें हैं: 1. सभी दोषियों के विरुध्द मामला दर्ज़ कराएं और वैधानिक रूप से दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करे। 2. प्रशासनिक स्तर पर जो लापरवाही हुई है, उसके ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई हो। 3. जो हिस्सा खंडित हो गया है, उसके पुनर्निर्माण (रेस्टोरेशन) का काम तुरंत शुरू किया जाए। 4. जो शेष बचा है, उसका संरक्षण सुनिश्चित किया जाए। भाजपा राज में न इतिहास बच रहा है, न भविष्य बन रहा है।आगरा में अवैध रूप से गिरायी गयी ऐतिहासिक धरोहर के मामले में हमारी संस्कृति मंत्रालय और भारतीय पुरातत्त्व विभाग से निम्नलिखित माँगें हैं:
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) January 4, 2025
1. सभी दोषियों के विरुध्द मामला दर्ज़ कराएं और वैधानिक रूप से दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करे।
2. प्रशासनिक स्तर पर जो लापरवाही हुई है,… pic.twitter.com/5czv6ibxF5
औरंगजेब के शासनकाल के दौरान बनी इस इमारत में शाहजहाँ, शुजा और औरंगजेब सहित तमाम प्रमुख मुगल हस्तियां रह चुकी हैं। ब्रिटिश शासन के तहत संरचना को संशोधित किया गया, जो एक सीमा शुल्क घर और नमक कार्यालय बन गया। 1902 तक इसे तारा निवास के नाम से जाना जाता था।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर 2024 में, राज्य पुरातत्व विभाग ने एक नोटिस जारी कर एक महीने के भीतर साइट को संरक्षित स्मारक घोषित करने के लिए आपत्तियां आमंत्रित कीं, लेकिन कोई आपत्ति नहीं उठाई गई। दो सप्ताह पहले, लखनऊ के अधिकारियों ने संरक्षण के प्रयास शुरू करने के लिए साइट का दौरा किया था। हालाँकि, उनके दौरे के तुरंत बाद विध्वंस शुरू हो गया, जिसके परिणामस्वरूप पूरा ढांचा खंडहर में बदल गया।
- टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि एक बिल्डर ने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से आपत्तियों और यमुना के किनारे साइट के पास एक पुलिस चौकी की मौजूदगी के बावजूद विध्वंस को अंजाम दिया। स्थानीय निवासी कपिल वाजपेयी ने टीओआई को बताया, "मैंने अधिकारियों के पास कई शिकायतें दर्ज कीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई और विध्वंस जारी रहा। अब तक, मुबारक मंजिल का 70% हिस्सा नष्ट हो चुका है। हम हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करने की योजना बना रहे हैं।"
आगरा के डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने कहा कि अधिकारियों को इस मुद्दे की जानकारी है। बंगारी ने कहा- "हमने मामले का संज्ञान लिया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और राजस्व विभाग को जांच करने का निर्देश दिया गया है। एसडीएम को साइट का दौरा करने और एक रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया है। इस बीच, साइट पर किसी भी अन्य बदलाव की अनुमति नहीं दी जाएगी।"
आर्चीबाल्ड कैंपबेल कार्लाइल की 1871 की रिपोर्ट ने मुबारक मंजिल की वास्तुकला की विस्तृत जानकारी दी। साइट पर एक संगमरमर की पट्टिका से पता चलता है कि इसे सामूगढ़ की लड़ाई में जीत के बाद औरंगजेब ने बनवाया था। इतिहासकार राजकिशोर राजे ने कहा कि औरंगजेब ने उसी युद्ध में अपनी जीत की याद में दारा शिकोह के महल का नाम बदल दिया।
आगरा का 1868 का नक्शा मुबारक मंजिल को पोंटून पुल के पास बताता है, जहां वर्तमान लोहे का पुल है। ब्रिटिश शासन के दौरान, ईस्ट इंडियन रेलवे ने इसे माल डिपो के रूप में इस्तेमाल किया। मुबारक मंजिल में लाल बलुआ पत्थर का आधार मेहराबदार निचली मंजिलें और मीनारें मुगल वास्तुशिल्प प्रभावों को बताती हैं।
उत्तर प्रदेश में खासतौर पर मुगलकालीन इमारतों या मुस्लिम शासकों द्वारा बनवाए गए भवनों को लेकर बेहद नकारात्मक माहौल बना हुआ है। यहां तक कि आगरा के ऐतिहासिक ताज महल को प्राचीन शिव मंदिर बताया गया। इस संबंध में आरटीआई के जरिए सवाल पूछा गया और यह सवाल अब केंद्रीय सूचना आयोग ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या आगरा का ताजमहल हिंदू राजा ने शाहजहां को प्राचीन शिव मंदिर के रूप में भेंट किया था, जिसे बाद में ताजमहल नाम दिया गया। संभल में पिछले दिनों शाही मस्जिद के नीचे हरिहर मंदिर बताया गया। कोर्ट ने इसके सर्वे का आदेश भी कर दिया। इसके बाद संभल के आसपास अन्य जगहों की भी खुदाई कराई गई और तमाम तरह के दावे किये गये।