ऐसे समय जब अमेरिका 16 लाख संक्रमित मामलों के साथ कोरोना वायरस से बुरी तरह जूझ रहा है, वहाँ एक और वायरस ने दस्तक दे दी है। पूरा संसाधन और पूरी स्वास्थ्य सेवा कोरोना वायरस से निपटने में झोंक चुके इस देश को समझ नहीं आ रहा है कि वह इस नए वायरस का सामना कैसे करे।
मल्टीसिस्टम इनफ्लेमेटरी सिंड्रम
न्यूयॉर्क में 161 बच्चों को एक नए तरह का रोग हो गया है। इस शहर में 17 साल के डेविड वरगस को मल्टीसिस्टम इनफ्लेमेटरी सिंड्रम नामक रोग के साथ अस्पताल में दाखिल कराया गया तो इस संक्रमण के बारे में लोगों को पता चला।
मल्टीसिस्टम इनफ्लेमेटरी सिंड्रम, यानी, ऐसी स्थिति जिसमें शरीर के अलग-अलग कई अंगों में सूजन आ गई और इस कारण वे अंग ठीक से काम नहीं कर रहे हैं।
इसके तहत हृदय, रक्त नलिकाएं, पाचन तंत्र के अंदरूनी अंगों में सूजन आ गई। यह क्यों हुआ और इसका इलाज क्या है, इन सवालों के जवाब किसी के पास नहीं हैं।
शोध शुरू
अध्ययन और उपचार की शुरुआत इस तरह की जा रही है कि न्यूयॉर्क में लगभग एक दर्जन बच्चों के ख़ून के नमूने लिए गए। इससे यह अध्ययन किया जाएगा कि क्या इन बच्चों में कोई आनुवंशिकी कारण है, जिससे उन्हें यह रोग हो गया।इस सिंड्रोम से अब तक तीन बच्चों की मौत हो चुकी है, उनकी उम्र 5, 7 और 18 साल है। इनमें से एक की मांसपेशियों का नमूना ले कर रखा गया है और सरकारी प्रयोगशाला में इस पर गहन शोध किया जाएगा।
वायरस पर शोध
महामारी विशेषज्ञों, क्लिनिकल डॉक्टरों और मेडिकल सांख्यिकी से जुड़े 30 लोगों का एक समूह इस पर शोध कर रहा है। ऐसे समय जब पूरी दुनिया में कोरोना के टीका पर शोध किया जा रहा है, न्यूयॉर्क इस नए रोग की दवा खोजने की कोशिश में लग गया है।
न्यूयॉर्क में डॉक्टरों ने 2015 और 2016 में गर्भवती महिलाओं में ज़ीका वायरस पाए जाने और उनमें माइक्रोसेफैली रोग के बीच के संपर्क पर शोध किया था। अब वे लोग ही इस नए वायरस पर शोध कर रहे हैं।
न्यूयॉर्क के स्वास्थ्य आयुक्त डॉक्टर हॉवर्ड ए. ज़कर ने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा, ‘हम हर मुमकिन विकल्प पर विचार कर रहे हैं, थेरैपी, डायगनॉस्टिक्स, क्लिनिकल रिसर्च, हम सब पर एक साथ काम कर रहे हैं।’ उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले 6 महीने में कोई इलाज खोज लिया जाएगा।
छोटे बच्चों की मौत
बच्चों में इस रोग का पता इस तरह चला कि उनकी सांस फूलने लगी, वे सांस नहीं ले पा रहे थे। उन्हें ट्यूब का सहारा दिया गया, लाइफ सपोर्ट के सारे उपकरण लगा दिए गए, सभी तरह के दवाओं पर विचार किया गया, कुछ दवाएँ दी गईं।तमाम कोशिशों के बावजूद छोटे बच्चों को नहीं बचाया जा सका। अब तक तीन बच्चों की मौत हो चुकी है। डॉक्टर ज़कर ने कहा, ‘उन्हें बचाने के लिए सबकुछ किया गया, सबकुछ!’
वायरस का कहर
न्यूयॉर्क में एक अस्पताल ने माना कि उसके यहाँ इस तरह के 40 से ज़्यादा मामले हैं। एक दूसरे डॉक्टर ने बताया कि इस रोग से ग्रस्त बच्चों का हृदय ठीक से काम नहीं कर रहा था। ब्रॉन्क्स के एक और डॉक्टर ने कहा कि 14 साल का एक किशोर अस्पताल लाया गया तो वह अपेक्षाकृत ठीक था, पर बाद में उसकी स्थिति बिगड़ती चली गई।इस संक्रमण का पहला मामला अप्रैल में आया, मई में बहुत बढ़ गया। यह ठीक उसी समय बढ़ा जब कोरोना वायरस संक्रमण अपने चरम पर है।
कावासाकी सिंड्रोम
डॉक्टरों ने पाया कि इस रोग के लक्षण बच्चों में पाए जाने वाले एक और रोग कावासाकी सिंड्रोम से मिलते जुलते हैं। कावासाकी सिंड्रोम में भी रक्त नलिकाएं फूल जाती हैं, आखें लाल हो जाती हैं और सांस लेने में दिक्क़त होने लगती है।क्या तार कोरोना से जुड़ते हैं
न्यूयॉर्क सिटी के स्वास्थ्य विभाग की महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर एलन ली ने एक अध्ययन में पाया कि इंगलैंड में बच्चों में होने वाला एक रहस्यमय रोग कोरोना वायरस संक्रमण से जुड़ा हुआ है। इस रोग में बच्चों के पेट में दर्द होता है, सूजन होती है और हृदय के कामकाज में गड़बड़ी होती है। ली की टीम को कुछ ही दिनों में इस तरह के 9 मामले मिल गए।यह साफ़ है कि कोरोना संकट में ही कुछ ऐसे रोग आ रहे हैं, जिन पर अभी शोध चल रहा है कि वे कोरोना से किसी रूप मे जुड़े हुए हैं या नहीं।