नेपाल ने एक बार फिर भारत को तेवर दिखाए हैं। नेपाल ने एक बार फिर भारत को तेवर दिखाए हैं। नेपाल के केबल टेलीविजन ऑपरेटर्स ने भारत के न्यूज़ चैनल्स को सस्पेंड कर दिया है। इसका कारण यह बताया गया है कि भारतीय न्यूज़ चैनल्स ने देश के प्रधानमंत्री केपी ओली को लेकर आपत्तिजनक रिपोर्टिंग की है। नेपाल और भारत के बीच इन दिनों सीमा विवाद को लेकर खासी तनातनी चल रही है।
नेपाल के केबल टेलीविजन ऑपरेटर्स की ओर से यह कार्रवाई गुरूवार को तब की गई, जब एक भारतीय न्यूज़ चैनल की एक ख़बर में कहा गया कि चीन के राजदूत और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के रिश्तों की वजह से नेपाल का भारत के साथ विवाद हो रहा है।
मैक्स डिजिटल टीवी के वाइस चेयरमैन धुर्बा शर्मा ने न्यूज़ एजेंसी एएफपी से कहा, ‘हमें लगता है कि हमारे देश के बारे में आपत्तिजनक रिपोर्ट चलाने के बाद ऐसे चैनलों को ब्लॉक करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।’
नेपाल के मंत्री युबराज खातीवाड़ा ने भी हाल ही में भारत की ओर इशारा करते हुए कहा था, ‘हम सभी मीडिया समुदाय से जिसमें पड़ोसी देश का मीडिया भी शामिल है, अनुरोध करते हैं कि हमारे देश की छवि को नुकसान पहुंचाने वाली ख़बरें प्रसारित न करें।’
नेपाल के सीमांत इलाक़े के नजदीक भारत ने लिपुलेख के रास्ते कैलाश मानसरोवर तक जाने के लिए 80 किलोमीटर का सड़क मार्ग बनाया है। मई में इस सड़क मार्ग के उद्घाटन के बाद से ही नेपाल लगातार भारत विरोधी बयान दे रहा है।
नेपाल देश के नए राजनीतिक नक्शे को लेकर भारत को आंखें दिखा चुका है। इस नक्शे में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाल का हिस्सा बताया गया है। इस नक्शे को संसद से मंजूरी के बाद राष्ट्रपति से भी स्वीकृति मिल गई है। इसका सीधा मतलब यह है कि नेपाल भारत की नाराज़गी की परवाह नहीं करता और इस बात को वहां के प्रधानमंत्री के.पी.ओली भी कह चुके हैं।
जब ओली पहली बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने थे, तब नेपाल की ओर से 2015-16 में भारत पर आर्थिक नाकेबंदी करने का आरोप लगाया गया था।
भारत विरोधी क़दम उठा रहा नेपाल
राजनीतिक नक्शे को पास करने के अलावा भी नेपाल ने भारत विरोधी दो क़दम उठाए हैं। हाल ही में उसने एक क़ानून पारित किया है जिसके तहत विदेशी महिलाओं को नेपाली पुरूषों से शादी करने के 7 साल बाद वहां की नागरिकता मिलेगी। नेपाल के इस क़दम को इसलिए भारत विरोधी माना जा रहा है क्योंकि दोनों देशों के बीच शादी-विवाह ख़ूब होते हैं।एक और मामले में नेपाल ने अड़ियल रूख़ दिखाते हए बिहार में गंडक नदी के बांध की मरम्मत के काम के लिए अनुमति नहीं दी थी।