भारत विरोधी रुख रखने वाले मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने कहा है कि भारतीय सैनिकों का पहला समूह 10 मार्च से पहले वापस लौट जाएगा। मुइज्जू सोमवार को मालदीव की संसद के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। मुइज्जू के इस संबोधन का देश के प्रमुख विपक्षी दलों ने बहिष्कार किया।
विपक्षी दल संसद में बहुमत में हैं। विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी यानी एमडीपी और डेमोक्रेट्स ने सरकार पर अलोकतांत्रिक तरीके अपनाने का आरोप लगाया है और इसी को वजह बताते हुए इस बैठक का बहिष्कार करने का फ़ैसला किया। कुल 56 सांसदों ने शुरुआती बैठक का बहिष्कार किया। इसमें डेमोक्रेट के 13 सांसद और एमडीपी के 44 सांसद शामिल हैं।
जब राष्ट्रपति मुइज्जू का संबोधन चल रहा था तो गिने-चुने सांसद ही मौजूद थे। एएनआई ने मालदीव स्थित ऑनलाइन समाचार अधाधू की रिपोर्ट के हवाले से ख़बर दी है कि पीपुल्स मजलिस की शुरुआती बैठक में मालदीव के केवल 24 संसद सदस्य शामिल हुए, जहां राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने अपना पहला राष्ट्रपति भाषण दिया।
मालदीव स्थित सन ऑनलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने कहा कि भारत और मालदीव इस साल 10 मार्च से पहले मालदीव में तैनात भारतीय सैनिकों के पहले समूह को वापस भेजने पर सहमत हुए हैं।
उन्होंने कहा कि भारतीय सेना 10 मार्च, 2024 तक मालदीव में तीन विमानन प्लेटफार्मों में से एक से सैन्य कर्मियों को स्थानांतरित कर देगी। उन्होंने कहा कि शेष दो प्लेटफार्मों के सैन्य कर्मी 10 मई तक चले जाएंगे। मुइज्जू ने कहा कि उनका सबसे बड़ा वादा मालदीव के लोगों की स्वतंत्रता और संप्रभुता की रक्षा करना है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के लिए मालदीव के अधिकांश लोगों का समर्थन 'मालदीव से विदेशी सैनिकों को वापस लेने, मालदीव के समुद्र के खोए हुए हिस्से को वापस पाने और राज्य द्वारा किए गए किसी भी समझौते को रद्द करने की प्रतिज्ञा के लिए है जो मालदीव की संप्रभुता को कमजोर कर सकता है।'
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारत के साथ तनाव के बीच चीन की यात्रा से लौटते ही कहा था कि भारत सरकार 15 मार्च से पहले द्वीपसमूह राष्ट्र से अपनी सैन्य उपस्थिति हटा ले।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने वाले मालदीव के मंत्रियों की हालिया अपमानजनक टिप्पणियों पर दोनों देशों में तनावपूर्ण राजनयिक संबंधों के बीच मालदीव में घटनाक्रम तेज़ी से बदल रहा है।
नवंबर 2023 में मालदीव के नए राष्ट्रपति मुइज्जू ने भारत के साथ संबंधों को कम करने और चीन के साथ जुड़ाव बढ़ाने के लिए अभियान चलाया हुआ है। उन्होंने आधिकारिक तौर पर भारत से देश में तैनात सैन्य कर्मियों को वापस लेने का अनुरोध किया था। अक्टूबर महीने में राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के बाद मुइज्जू ने कहा था कि लोग नहीं चाहते हैं कि भारत के सैनिकों की मौजूदगी मालदीव में हो और विदेशी सैनिकों को मालदीव की ज़मीन से जाना होगा।
दरअसल, मुइज्जू को चीन की ओर झुकाव वाला नेता माना जाता है। वह इससे पहले राजधानी माले शहर के मेयर रहे थे और तभी से वे चीन के साथ मजबूत संबंधों की वकालत करते रहे हैं। मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति सोलिह 2018 में राष्ट्रपति चुने गए थे। मुइज्जू ने उनपर आरोप लगाया था कि उन्होंने भारत को देश में मनमर्जी से काम करने की छूट दी है। सोलिह के बाद जब मुइज्जू सरकार आई तो उन्होंने भारत को लेकर सख्त रुख अख्तियार किया।
सैनिकों को हटाने के लिए कहने के बाद मालदीव की मुइज्जू सरकार ने देश के हाइड्रोग्राफिक सर्वे पर भारत के साथ पिछली सरकार के समझौते को आगे नहीं बढ़ाने का फ़ैसला किया है। कहा जा रहा है कि मालदीव भारत के साथ 100 ऐसे समझौते की समीक्षा कर रहा है।